Bihar Makhana: मखाना बोर्ड को 100 करोड़ रुपये मिल गए हैं. इसमें सबसे ज्यादा 35.91 करोड़ रुपये मखाना उत्पादन बढ़ाने पर खर्च होंगे. उत्पादन के बाद इसके मैनेजमेंट के लिए 27.728 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. रिसर्च और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के लिए 5 करोड़ रुपये, मार्केटिंग और एक्सपोर्ट पर 2.626 करोड़ रुपये और मखाना से जुड़े ट्रेनिंग और विस्तार पर 1.15 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
छह साल में खर्च होंगे 476 करोड़
मखाना को विकसित करने के लिए छह साल की योजना तैयार की गयी है. 2025-26 से 2030-31 तक इसे विकसित करने का प्लान बनाया गया है. इस अवधि में मखाना पर 476.03 करोड़ रुपये खर्च होंगे. पूरी राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जायेगी.
बिहार मखाना को वैश्विक ब्रांड में स्थापित किया जायेगा
बिहार में मखाना का हाई क्वालिटी वाले बीज का प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन किया जायेगा. साइंटिफिक तरीके से इसकी खेती की जायेगी. घरेलू और एक्सपोर्ट बाजारों में बिहार मखाना को वैश्विक ब्रांड के रूप में स्थापित किया जायेगा. इसमें एसएचजी, एफपीओ, सहकारी संस्थाओं और जीविका दीदियों को प्राथमिकता दी जायेगी.
मनरेगा और जीविका से एमओयू की तैयारी
आने वाले दिनों में सीड प्रोडक्शन और मछली-मखाना एग्रीकल्चर मेथड अपनायी जायेगी. खेत और तालाब आधारित मखाना खेती का विस्तार किया जायेगा. इसके लिए मनरेगा और जीविका से एमओयू करने की तैयारी हो रही है. माइक्रो और बड़े स्तर की प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जायेगी.
गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला (Quality Control Laboratory) और आदर्श मखाना केंद्र आइसीएआर के माध्यम से स्थापित किया जायेगा. मार्केटिंग और ब्रांड निर्माण का भी कार्य किया जायेगा. इसमें महिला नेतृत्व वाले एसएचजी और जीविका को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी.
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