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Bihar Election: ‘हम’ को चाहिए स्थायी पहचान, मांझी ने शुरू की नयी राजनीतिक कवायद

Bihar Election: लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद में भी दल से सदस्य होने के बावजूद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (से) मान्यता प्राप्त दल के रूप में स्थापित नहीं है.

Bihar Election: मनोज कुमार, पटना. विधानसभा में सीटों की संख्या दलों की राजनीतिक हैसियत तय करती है. सत्ता बनाने-बिगाड़ने या फिर विपक्ष में पूछ भी, सीटों की संख्या ही निर्धारित करती है. इसके लिए पार्टी का एक नाम-निशान और चेहरे का होना बड़ी शर्त है. पार्टी का एक चुनाव चिह्न और इसे शहर से लेकर सुदूर गांव तक पहचान, यह बहुत जरूरी है. इसके लिए राजनीतिक पार्टी का मान्यता प्राप्त दल होना जरूरी है.

एनडीए से 20 सीटों की मांग

लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद में भी दल से सदस्य होने के बावजूद हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (से) मान्यता प्राप्त दल के रूप में स्थापित नहीं है. इन तीनों सदनों में प्रतिनिधित्व होने के बावजूद मान्यता प्राप्त दल नहीं होने पर पार्टी ने एक्सरसाइज शुरू कर दी है. पार्टी के दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन में हम के संरक्षक केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने इसे सार्वजनिक किया है. अलग-अलग मंचों से वे सीटों की मांग करते रहे हैं. इस बार उन्होंने पार्टी को मान्यता प्राप्त दल का दर्जा प्राप्त करने के नाम पर एनडीए से 20 सीटों की मांग की है.

20 सीटें मिलेंगी, तभी तो शर्तें होंगी पूरी

केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी का तर्क है कि मान्यता प्राप्त दल बनने के लिए छह फीसदी वोट और सात से आठ सीटें चाहिए. इसके लिए जरूरी है कि उनकी पार्टी कम से कम 20 सीटों पर चुनाव लड़े. इससे उनकी पार्टी मान्यता प्राप्त करने लायक सीटें जीत पायेगी और छह फीसदी से अधिक मत प्राप्त कर सकेगी.

राज्यसभा पर भी मांझी की नजर

जीतनराम मांझी की नजर राज्यसभा में अपने दल से प्रतिनिधि भेजने पर भी है. मांझी कई बार इसका जिक्र छेड़ चुके हैं. लोकसभा चुनाव के वक्त से ही राज्यसभा में एक सीट मिलने की बात बार-बार दोहराते रहे हैं. पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी फिर से इसे ताजा किया गया है. उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी से अब तक राज्यसभा में कोई प्रतिनिधि नहीं है. राज्यसभा में भी वे अपने दल का प्रतिनिधि चाह रहे हैं.

जीती थीं चार सीटें, मगर वोट शेयर एक फीसदी से भी कम

हम ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चार सीटों पर जीत हासिल की थी. मगर, वोट शेयर एक फीसदी से भी कम था. हम पार्टी का वोटर शेयर लगभग 0.89 फीसदी था. हम को इमामगंज, बाराचट्टी, सिकंदरा और टिकारी में जीत मिली थी. जीतनराम मांझी के गया से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद हुए इमामगंज उपचुनाव में भी उनकी ही पार्टी ने कब्जा जमाया था.

मान्यता प्राप्त दल को क्या-क्या फायदा मिलता है

  • उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न स्थायी हो जाता है
  • नामांकन के समय प्रस्तावकों की संख्या भी कम हो जाती है
  • सरकारी भवनों में पार्टी के नाम पर कार्यालय भी आवंटित हो जाता है
  • चुनाव आयोग की बैठकों में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाता है

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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