Bihar Cabinet 2025: बिहार की राजनीति के उतार–चढ़ाव में अगर किसी नेता ने वफादारी, बगावत और सत्ता—तीनों के रंग करीब से देखे हैं, तो वह नाम है राम कृपाल यादव. एक समय लालू प्रसाद यादव के सबसे भरोसेमंद सिपाही माने जाने वाले राम कृपाल तीन दशकों तक राजद की राजनीति के केंद्र में रहे. संगठन से लेकर रणनीति तक, वे लालू की हर राजनीतिक योजना का हिस्सा थे.
2014 में उनकी राजनीतिक यात्रा ने ऐसा मोड़ लिया जिसने बिहार की सियासत ही नहीं, उनकी पहचान भी बदल दी. राजद की भीतरी खींचतान छोड़कर उन्होंने भाजपा का दामन थामा.
संघर्ष, रणनीति और निर्णायक मोड़ों से भरा हुआ सफर
बिहार की राजनीति में राम कृपाल यादव एक ऐसा नाम हैं, जिनका सफर संघर्ष, रणनीति और निर्णायक मोड़ों से भरा हुआ है. 12 अक्टूबर 1957 को जन्मे राम कृपाल यादव तीन दशक तक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की राजनीति के केंद्र में रहे और लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी नेताओं में गिने जाते थे. संगठन से लेकर चुनावी रणनीति तक, वे लंबे समय तक लालू यादव की राजनीति की एक मजबूत कड़ी रहे.
पटना के मेयर से राजनीतिक शुरुआत
राम कृपाल यादव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत स्थानीय निकायों से की और पटना के मेयर भी बने. इसके बाद उनकी पहचान एक जमीनी नेता के रूप में मजबूत होती गई. राजद के टिकट पर वे तीन बार लोकसभा सांसद चुने गए और लगातार अपनी पकड़ साबित करते रहे.
लेकिन 2014 में परिस्थितियाँ बदल गईं. पार्टी के अंदरूनी विवादों, टिकट बंटवारे पर असहमति और नेतृत्व से मतभेद के चलते राम कृपाल यादव ने राजद से नाता तोड़ लिया. यही फैसला उनके जीवन का सबसे बड़ा राजनीतिक मोड़ साबित हुआ. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थामा और पाटलिपुत्र सीट से चुनाव मैदान में उतरे जहां मुकाबला लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती से था.
नतीजा चौंकाने वाला था. राम कृपाल ने मीसा भारती को हराकर भाजपा के लिए पाटलिपुत्र जैसी प्रतिष्ठित सीट जीती. यहीं से उनकी नई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत हुई. 2014-2019 के बीच वे केंद्र सरकार में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रहे और ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, सड़क, आवास और मनरेगा से जुड़े कई कार्यक्रमों पर काम किया.
2019 में भी वे सांसद चुने गए, लेकिन 2024 के बाद उनकी भूमिका संगठन और राज्य के राजनीतिक समीकरणों में अधिक दिखाई देने लगी. बिहार की राजनीति में उनका प्रभाव अभी भी कायम है एक ऐसे नेता के रूप में, जिन्होंने राजद के भरोसेमंद सहयोगी से लेकर भाजपा के केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया और दोनों ही दौर में अपनी पहचान मजबूत रखी.
आज रामकृपाल यादव ने नीतीश सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.

