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Congress: कृष्णा अल्लावरु के आसान नहीं बिहार की राह, सीट बंटवारे में लालू और तेजस्वी से तालमेल बैठाना होगी बड़ी चुनौती

Krishna allavaru Bihar Congress In Charge: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस के कई नेता 70 सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. राजद के बड़े नेताओं ने कांग्रेस नेताओं के इस मांग पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. इसी बीच कांग्रेस ने बड़ा फेरबदल करते हुए राज्य में कृष्णा अल्लावरु को नया प्रभारी बनाया है. आइये जानते हैं इनके सामने क्या-क्या चुनौतियां है?

Krishna allavaru Bihar Congress In Charge: कांग्रेस ने दिल्ली में निराशाजनक प्रदर्शन करने के बाद कई राज्यों में अपने प्रभारी बदल दिए हैं. इस बदलाव के तहत मोहन प्रकाश को बदलते हुए पार्टी ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया है. प्रभारी बनाए जाने के बाद बिहार के बड़े नेताओं ने कृष्णा अल्लावरु को बधाई दी है. कांग्रेस के राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कृष्णा कांग्रेस के विश्वास पर कितना खरे उतरेंगे, यह तो भविष्य में पता चलेगा लेकिन, इतना तय है कि उनकी बिहार की राह आसान नहीं होने वाली है. बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. फिलहाल पार्टी राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है.

राजद और कांग्रेस में सामंजस्य बिठाना होगा

कृष्णा अल्लावरु को ऐसे समय में बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला है, जब कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव होना है. बेहद कम समय में न केवल उन्हें पार्टी और संगठन को मजबूती देने पर काम करना होगा, बल्कि राजद के साथ सीट बंटवारे पर भी सामंजस्य बिठाना होगा. बताया जा रहा है कि राजद इस बार किसी हाल में कांग्रेस को 70 सीट देने के पक्ष में नहीं है. ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव से तालमेल बनाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी.

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खोई जमीन को तलाशने में जुटी कांग्रेस

कांग्रेस बिहार में पिछले कई सालों से अपनी खोई जमीन की तलाश में है, लेकिन उसे अब तक सफलता नहीं मिली है. वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 27 सीटें जीतकर अपनी मजबूती का दावा भी पेश किया था, लेकिन पांच साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 19 सीटें ही जीत सकी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होकर राज्य के 243 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसके मात्र 19 प्रत्याशी ही विजयी हो सके. कांग्रेस के नेता एक बार फिर 70 सीटों की मांग कर रहे हैं.

राजनिति के जानकारों की मानें तो बिहार में कांग्रेस को पुरानी पटरी पर लाने के लिए बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है, केवल प्रभारी बदलने से कुछ नहीं होगा. पार्टी के कार्यकर्ता भी हताशा और निराशा में हैं. कांग्रेस की स्थिति यह है कि प्रदेश अध्यक्ष अब तक प्रदेश की कमिटी की घोषणा नहीं कर पाए हैं. ऐसे में नए कांग्रेस प्रभारी को एक साथ बिहार में कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी होगी.

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