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Bihar AQI: सावधान! पटना की हवा हुई दमघोंटू, एयरपोर्ट–वेटनरी इलाके में सांस लेना भी खतरनाक

Bihar AQI: सुबह की धुंध अब सिर्फ ठंड का संकेत नहीं, बल्कि जहरीली हवा की चेतावनी बन चुकी है. पटना में सांस लेना धीरे-धीरे जोखिम भरा होता जा रहा है.

Bihar AQI: राजधानी पटना में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. शनिवार को शहर के अलग-अलग इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 151 से लेकर 333 तक दर्ज किया गया. खासकर एयरपोर्ट और वेटनरी मैदान के आसपास रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मानकों के अनुसार 300 से ऊपर का AQI स्वास्थ्य के लिए ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है.

एयरपोर्ट और वेटनरी इलाके की हवा सबसे खराब

शनिवार को वेटनरी मैदान और एयरपोर्ट क्षेत्र में AQI 333 रिकॉर्ड किया गया, जो सीधे तौर पर गंभीर स्वास्थ्य जोखिम की ओर इशारा करता है. पटना सिटी में यह स्तर 273 रहा, जबकि दानापुर में 226, तारामंडल क्षेत्र में 225 और ईको पार्क के आसपास 174 दर्ज किया गया. अपेक्षाकृत बेहतर माने जाने वाले गांधी मैदान इलाके में भी AQI 151 रहा, जो अब भी ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है.

धूल-कण और नमी ने बढ़ाई परेशानी

वायु प्रदूषण विशेषज्ञ रविरंजन सिन्हा के अनुसार, हवा में मौजूद सूक्ष्म धूल-कण लगातार लोगों के फेफड़ों में जा रहे हैं. ठंड के मौसम में नमी और धुंध बढ़ने से ये कण हवा में ज्यादा देर तक टिके रहते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है. बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों के लिए यह स्थिति खासतौर पर खतरनाक है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है. डॉक्टरों का कहना है कि जब एक्यूआई 300 के पार पहुंचता है तो हवा खतरनाक हो जाती है. आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत और सिरदर्द जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं. फेफड़े और हृदय रोगियों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा रहता है. ऐसे लोगों को बाहर निकलने से बचना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मास्क का उपयोग करना चाहिए.

पराली जलाना भी बन रहा बड़ी वजह


पटना के आसपास के ग्रामीण इलाकों में पराली जलाना भी प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण बनता जा रहा है. नौबतपुर, बिहटा, विक्रम, मसौढ़ी और फतुहा जैसे क्षेत्रों में हार्वेस्टर से धान कटाई के बाद पुआल जलाया जा रहा है. इससे कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड और मिथेन जैसी हानिकारक गैसें वातावरण में फैल रही हैं. इसके बावजूद कृषि विभाग, जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नियमित मॉनिटरिंग पर सवाल उठ रहे हैं.

पिछले साल पराली जलाने के मामलों में 14 किसानों पर कार्रवाई हुई थी और उन्हें कृषि योजनाओं से वंचित किया गया था. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते सख्त निगरानी और जन-जागरूकता नहीं बढ़ाई गई, तो आने वाले दिनों में पटना की हवा और ज्यादा जहरीली हो सकती है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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