Bihar Train: लंबे इंतजार के बाद बख्तियारपुर-राजगीर रेलखंड का दोहरीकरण की मंजूरी प्रदान की गयी है. रेलवे मंत्रालय ने इसके लिए राशि भी जारी कर दी है. इस रेलखंड के दोहरीकरण का कार्य राजगीर से आगे तिलैया (नवादा) तक होगा. दोहरीकरण से इस इलाके के यात्रियों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी. मालगाड़ियों के परिचालन में भी तेजी आएगी. राजगीर, नालंदा, पटना, नवादा और शेखपुरा जिले के हजारों यात्रियों को इससे लाभ मिलेगा.
1903 में मार्टिन लाइट रेलवे का सफर हुआ था शुरू
बख्तियारपुर-राजगीर रेलखंड का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. ब्रिटिश काल में सबसे पहले 1903 में मार्टिन लाइट रेलवे कंपनी ने बख्तियारपुर से बिहारशरीफ तक नैरोगेज रेल लाइन बिछाई थी. उस समय यह क्षेत्र कृषि उत्पादों और स्थानीय व्यापार का केंद्र हुआ करता था. रेल लाइन ने व्यापार और लोगों के आवागमन में नई ऊर्जा भरी थी. इसके बाद 1911 में नैरोगेज लाइन को बिहारशरीफ से नालंदा और सिलाव होते हुए राजगीर तक बढ़ाया गया था.
राजगीर उस समय भी धार्मिक, अध्यात्मिक और पर्यटन दृष्टिकोण से उभरता हुआ केंद्र था. सनातन धर्मावलंबियों के साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में यहां पहुंचते थे. रेल संपर्क से यहां के विकास को और गति मिली थी. शुरुआत में यह पूरी रेल लाइन नैरोगेज थी. छोटे भाप इंजनों और हल्के डिब्बों के सहारे इस रेलखंड में गाड़ियां चलती थी. बाद में यात्री की संख्या और व्यापारिक जरूरतें जैसे जैसे बढ़ने लगी, तब इसका विस्तार आवश्यक हो गया.
जगजीवन राम के समय नैरोगेज से बनी ब्रॉड गेज लाइन
आजादी के बाद भारतीय रेल मंत्रालय ने इस रेलखंड के महत्व को समझा. तत्कालीन रेल मंत्री जगजीवन राम के कार्यकाल में 1962 में इस नैरोगेज लाइन को ब्रॉडगेज (1676 मिमी या 5 फीट 6 इंच) में बदल दिया गया. उसी समय राजगीर को गया जी से जोड़ने की योजना बनाई गई थी. डीपीआर भी तैयार किया गया था. इससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ी और अधिक डिब्बों वाली गाड़ियां इस खंड पर दौड़ने लगीं. पटना से राजगीर और गया से राजगीर आने-जाने वाले यात्रियों के लिए यह रेल लाइन बेहद उपयोगी साबित हुई है.
दोहरीकरण से यात्रियों को मिलेगी राहत
समय के साथ इस रूट पर ट्रेनों की संख्या लगातार बढ़ी है. राजगीर न केवल धार्मिक, अध्यात्मिक और ऐतिहासिक नगरी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन, शिक्षा और खेल भूमि भी है. हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक यहां पहुंचते हैं. दुनिया के दर्जनों देशों के छात्र यहां शिक्षा पाने आते हैं.
यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों का भी आयोजन होने लगा है. इसके अलावा गया और पटना से होकर जाने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों के संचालन में भी यह रेलखंड महत्वपूर्ण कड़ी है. एकल लाइन होने की वजह से ट्रेनों के आवागमन में हमेशा बाधा आती रहती है. अक्सर यात्रियों को देरी से चलने वाली गाड़ियों की परेशानी झेलनी पड़ती है. इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए रेलवे ने बख्तियारपुर-राजगीर- तिलैया रेलखंड का दोहरीकरण कराने का निर्णय लिया है.
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रेलखंड के दोहरीकरण से विकास को मिलेगी रफ्तार
दोहरीकरण होने के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी. परिचालन सुगम होगी. ट्रेन के लेट लतीफी से निजात मिलेगी. माल गाड़ियां भी बिना रुके फर्राटे से दौड़ेंगी. इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा.
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह परियोजना नालंदा के पर्यटन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंच जाएगी. राजगीर, नालंदा और पावापुरी जैसे बौद्ध और जैन तीर्थ स्थलों तक पहुंचना आसान हो जाएगा.
केन्द्रीय कैबिनेट की मुहर लगने और रेलवे द्वारा राशि आवंटित करने के बाद नालंदा और नवादा में खुशी की लहर दौड़ गई है. लंबे समय से लोग इस खंड के दोहरीकरण की मांग करते आ रहे थे. अब यह सपना पूरा होने वाला है.
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