संवाददाता, पटना
आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) बिहार अब सिर्फ आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी जुड़कर नयी पहल कर रहा है. इसी कड़ी में एटीएस ने सोमवार को बिहार उर्दू अकादमी में ज्ञान, शिक्षा और सामाजिक समरसता पर केंद्रित निबंध लेखन प्रतियोगिता और परिचर्चा का आयोजन किया.यह एटीएस का दूसरा कार्यक्रम था. एडीजी एटीएस पंकज कुमार दराद द्वारा जुलाई में इस पहल को शुरू करते हुए राज्यभर में कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश अधिकारियों को दिये थे. एडीजी दराद का कहना है कि एटीएस की भूमिका केवल आतंकवाद और देशविरोधी ताकतों पर कार्रवाई तक सीमित नहीं है. समाज में शांति, सद्भाव और जागरूकता कायम करना भी उतना ही जरूरी है. नयी पीढ़ी को सही दिशा और सकारात्मक सोच देना हमारा दायित्व है. अगर युवा ज्ञान और अनुशासन से लैस होंगे, तो वे न सिर्फ आतंकवाद और कट्टरता को चुनौती देंगे, बल्कि देश निर्माण की सबसे बड़ी ताकत बनेंगे.
बिहार उर्दू अकादमी में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में डीआइजी एटीएस राजीव मिश्रा ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण से पहले स्वयं का निर्माण जरूरी है. शिक्षा और अनुशासन के बिना समाज और देश का विकास संभव नहीं है. उन्होंने युवाओं से सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे नफरत फैलाने वाले कंटेंट से दूर रहने की अपील की. एसपी नीरज कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के जरिए एटीएस सीधे नयी पीढ़ी से संवाद कर पा रहा है. मौलाना शमीम मुनामी ने कुरान के हवाले से आतंकवाद के खिलाफ संदेश दिया और कहा कि इस्लाम सहिष्णुता और सहनशीलता का नाम है. इतिहासकार प्रोफेसर इम्तियाज अहमद ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया और कहा कि हम या तो साथ डूबेंगे या साथ पार करेंगे. कार्यक्रम का संचालन एएसपी एटीएस तनवीर अहमद ने किया.
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