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भारी कर्ज में डूबा शख्‍स, किडनी बेचने के लिए खा रहा है दर-दर की ठोकरें

पुष्यमित्र पटना : कृपया इस सूचना को अवश्य पढ़ें. मैं अपनी किडनी को दान करना चाहता हूं. कृपया संपर्क करें. यह तीन पंक्तियों की हस्तलिखित सूचना इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस), पटना के परिसर की एक दीवार पर सात-आठ दिनों से लगी है. इस सूचना के नीचे दो नंबर भी दिये हुए हैं. जब आप […]

पुष्यमित्र
पटना : कृपया इस सूचना को अवश्य पढ़ें. मैं अपनी किडनी को दान करना चाहता हूं. कृपया संपर्क करें. यह तीन पंक्तियों की हस्तलिखित सूचना इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस), पटना के परिसर की एक दीवार पर सात-आठ दिनों से लगी है. इस सूचना के नीचे दो नंबर भी दिये हुए हैं. जब आप इन नंबरों पर कॉल करते हैं, तो दिल को दहलाने देने वाली एक कहानी सामने आती है.
यह एक ऐसे व्यक्ति की कथा है, जो भीषण कर्ज में दबा है, सूदखोरों के भय से फरार है और यहां-वहां भागा फिर रहा है. वह किसी तरह अपनी किडनी बेच कर कुछ पैसे जुगाड़ करना चाहता है, ताकि वह महाजनों के मुंह को भर सके और फिर चैन का जीवन जी सके. हालांकि, इसके बाद भी शायद ही उसे चैन हो, क्योंकि उस पर करीब 10 लाख का कर्ज है और एक बेटी की शादी भी उसे करनी है.
इस कहानी में हम न तो उस व्यक्ति का नाम उजागर कर रहे हैं, न कोई पहचान. हम सिर्फ इतना बताना चाहेंगे कि वह व्यक्ति पटना शहर का रहने वाला है और एक ठीक-ठाक प्राइवेट फैक्टरी में काम करता है. अपनी दुख भरी कहानी सुनाते हुए वह कहता है कि 2009 तक मेरा जीवन ठीक-ठाक चल रहा था. एक पुरानी प्राइवेट कंपनी में नौकरी थी. छोटा-सा ही सही, अपना घर भी था. 2009 में अचानक आग लगने से मेरा घर जल गया. वही से मेरे बुरे दिनों की शुरुआत हुई. नया घर बनाने के लिए मुझे दोस्तों से कर्ज लेना पड़ा. घर बना ही था और कुछ साल हमलोग रह ही पाये थे कि दीघा रेल परियोजना की वजह से हमें विस्थापित होना पड़ा.
पुनर्वास मिला और नये सिरे से घर बना, पैसे भी मिले, मगर पिछले साल की बाढ़ में वह घर डूब गया. एक बार फिर मैं बेघर हो गया. इस बीच अलग-अलग वजहों से मेरे ऊपर 10 लाख का कर्ज हो गया. लगातार इस कर्जे का सूद भी चुकाता रहा. मगर कर्ज देने वाले मुझ पर रकम वापसी का दबाव बनाने लगे. इस डर से 15 महीने पहले मैंने नौकरी पर जाना छोड़ दिया और वीआरएस के लिए अप्लाइ कर दिया कि वहां से अगर 15 लाख रुपये तक मिल जाते हैं, तो मैं कर्ज चुका लूंगा और बेटी की शादी कर लूंगा. मगर इस बीच एक महाजन ने जो मेरा करीबी मित्र है, मुझ पर मुकदमा कर दिया है, पुलिस मुझे तलाश कर रही है और मैं फरार हूं. वह कहता है कि मैं उसे जेल भेज कर दम लूंगा.
ऐसे में लाचार होकर मुझे यह फैसला लेना पड़ा कि अपनी किडनी बेच दूं, जिससे कम-से-कम मुकदमा करने वाले महाजन का मुंह भर सकूं. किडनी बेचने के बारे में घर में पत्नी को छोड़ कर किसी को नहीं बताया है. मेरी पत्नी भी 2003 से ब्रेन ट्यूमर की मरीज है और अब लाइलाज हो चुकी है. वह भी मन मार कर इस फैसले पर सहमत हो गयी है.
यह कहते-कहते वह व्यक्ति फूट-फूट कर रोने लगता है. कहता है, इन झमेलों में फंस कर मेरी जिंदगी बेकार हो गयी है, लेकिन परिवार वालों की परेशानी भी नहीं देखी जाती है. जीवन का मोह खत्म हो गया है.
अगर किडनी और दूसरे अंगों को बेच कर कर्ज चुक जाये और बेटी की शादी हो जाये, तो चैन की सांस लूंगा. फिर मरूं, चाहे बचूं. उसे एक लड़का और दो बेटियां हैं. एक बेटी की शादी हो चुकी है, लड़के की भी शादी हो चुकी है. लड़का एक कुरियर कंपनी में डिलीवरी ब्वाय का काम करता है. फिलहाल फरारी की हालत में वह अपनी बेटी और दामाद के पास छिप कर रह रहा है. यह पूछने पर कि किडनी बेचने का ख्याल मन में क्यों आया, वह कहता है, महाजन ही बार-बार धमकाते थे कि अगर पैसे वापस नहीं किये तो किडनी बिकवा दूंगा. इसलिए विपरीत परिस्थिति में यही विचार मन में आया.
आइजीआइएमएस के एक चिकित्सक डॉ रत्नेश्वर चौधरी ने उस व्यक्ति को बुला कर भरोसा दिलाया है कि वह घबराये नहीं. किडनी या कोई और अंग बेचने का फैसला न करे. उसकी समस्या सुलझाने की कोशिश की जायेगी. वे कुछ मित्रों के साथ इस व्यक्ति की समस्या सुलझाने में जुटे हैं.
वह फिलहाल इसी उम्मीद पर ठहरा हुआ है. वहीं, इसे कर्ज देने वाले व्यक्ति ने फोन पर बताया कि साढ़े तीन साल पहले इसने चार लाख रुपये कर्ज लिया था, 11 महीने बाद वापस करने की बात कही थी. मगर एक पैसा वापस नहीं किया है, ऐसे में मुकदमा करना पड़ा. अब वह चाहे किडनी बेच कर चुकाये या जैसे चुकाये वह क्या कर सकता है.
भीषण कर्ज में डूबा है और मुकदमे की वजह से भागा-भागा फिर रहा है
अस्पताल की दीवार पर लगा दिया है नोटिस कि मैं किडनी दान करना चाहता हूं
कर्ज देने वाले दोस्त ने ही किया है मुकदमा, कहता है जेल पहुंचा कर दम लूंगा
पहले घर जला, फिर विस्थापित हुआ, फिर डूब गया मकान और दब गया कर्ज तले
15 महीने से नहीं जा पा रहा नौकरी पर, वीआरएस के लिए किया है आवेदन
Prabhat Khabar Digital Desk
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