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लालू की राजनीतिक विरासत को संभालेगी यह जोड़ी, बेटी ने कहा-परंपरा यही है

पटना : बिहार की सियासत में इन दिनों लालू परिवार केंद्र में है. महागठबंधन के मुख्य घटक दल में शामिल राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने दो दिनों तक पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ नालंदा के राजगीर में प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से उनकी क्लास लगायी. प्रशिक्षण शिविर और कार्यकारिणी की बैठक के बाद […]

पटना : बिहार की सियासत में इन दिनों लालू परिवार केंद्र में है. महागठबंधन के मुख्य घटक दल में शामिल राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने दो दिनों तक पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ नालंदा के राजगीर में प्रशिक्षण शिविर के माध्यम से उनकी क्लास लगायी. प्रशिक्षण शिविर और कार्यकारिणी की बैठक के बाद बिहार की सियासत में एक बार फिर राजद को लेकर चर्चा छिड़ गयी है. इस बार बहस इस बात को लेकर हो रही है कि कहीं यह प्रशिक्षण शिविर लालू द्वारा अपनी सियासी विरासत को बेटों के हवाले करने की गुप्त कवायद तो नहीं. हालांकि, कई जानकार इससे इनकार करते हैं, तो कइयों का मानना है कि प्रशिक्षण शिविर का असल मकसद यहीं था. पार्टी की ओर से ऐसी आधिकारिक घोषणा भले ना हुई हो,लेकिन मीडिया में यह खबरें चल रही हैं कि लालू ने अपनी राजनीतिक विरासत को सौंपने का एलान कर दिया है.

मीडिया में चर्चा

एक अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लालू ने तेजस्वी और तेज प्रताप को पार्टी की कमान सौंप दी है. दोनों बेटे फिलहाल बिहार सरकार में मंत्री हैं. इस चर्चा के बाद, अब सवाल यह उठने लगा है कि लालू प्रसाद ने अपनी बेटी यानी मीसा भारती को अपनी विरासत में हिस्सेदार क्यों नहीं बनाया ? मीडिया में इस बात की चर्चा है कि मीसा भारती अपने दोनों भाईयों से ज्यादा एक्टिव हैं और सार्वजनिक मंचों पर भी ज्यादा सक्रिय नजर आती हैं. मीसा भारती लालू प्रसाद की पहली संतान हैं और ऐसा माना जाता है कि मीसा का नाम भी लालू के राजनीतिक कैरियर से जुड़ा हुआ है. जब मीसा का जन्म हुआ तब लालू प्रसाद यादव मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा) के तहत जेल में थे. इसी वजह से पहली संतान का नाम भी लालू ने मीसा रखा.

राजगीर प्रशिक्षण शिविर में घोषणा

राजगीर में राजद के प्रशिक्षण शिविर में लालू प्रसाद यादव ने ऐलान किया कि मेरे बाद तेज प्रताप और तेजस्वी पार्टी की कमान संभालेंगे. लालू प्रसाद अब उम्र के 70वें पड़ाव में प्रवेश कर चुके हैं. अब वे सक्रिय राजनीति से धीरे-धीरे मौका देखकर अलग होना चाहते हैं. हालांकि, मीसा राज्यसभा सांसद हैं और सक्रिय भी हैं. हालांकि, वह रामकृपाल यादव के खिलाफ लोकसभा चुनाव में खड़ी थीं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दोनों भाइयों के विरासत सौंपे जाने के सवाल पर मीसा ने कहा कि हमारे यहां बेटों को दायित्व दिया जाता है. यह हमारी परंपरा है. मीसा ने अखबार को यह भी बताया कि आज की राजनीति में लोकतंत्र ही सबकुछ है. वंशवाद पर कोई जोर नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पिता के बाद बेटे को ही गद्दी मिले. जनता ने तेज और तेजस्वी को चुना और दोनों मंत्री बने.

नेताओं को भेजा संदेश

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लालू ने अपनी सियासत की विरासत को बेटों के हाथों में देने का संदेश अपने पार्टी के बुजुर्ग और बड़े नेताओं तक भी पहुंचा दिया है.लालू ने कहा है कि रघुवंश प्रसाद, जगदानंद सिंह और प्रभुनाथ सिंह जैसे सीनियर नेताओं को भी मैसेज भेज दिया है.

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