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स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह :सांप्रदायिकता से भी आजादी पाने की जरूरत
पटना : चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर सोमवार को यहां स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने आये राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की आजादी की लड़ाई में बिहार के अहम योगदान को याद किया और कहा कि शुरू से अंगरेजी हुकूमत के दमन का विरोध यहां से किया गया. दक्षिण अफ्रीका से लौटने के […]
पटना : चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष के मौके पर सोमवार को यहां स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने आये राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की आजादी की लड़ाई में बिहार के अहम योगदान को याद किया और कहा कि शुरू से अंगरेजी हुकूमत के दमन का विरोध यहां से किया गया. दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद चंपारण की मिट्टी पर ही मोहनदास करमचंद गांधी का रूपांतरण हुआ और उन्हें महात्मा बना दिया.
चंपारण सत्याग्रह के बाद से ही पूरा देश उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानने लगा. साथ ही उन्होंने कहा कि आजादी तो मिल गयी, लेकिन आज भी हम सांप्रदायिकता, जातिवाद, वर्गवाद, नस्लवाद जैसी कुरीतियों से लगातार संघर्ष कर रहे हैं. हमें इनसे भी आजादी पाने के लिए सोचने की जरूरत है.
आज पूरे देश को एकजुट करके रखने के लिए ‘मैं भारतीय हूं’ की पहचान को अपनाने की जरूरत है. श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले कई अविस्मरणीय वीरों की फेहरिस्त बिहार से है, जिनमें 80 वर्ष के वीर कुंवर सिंह से लेकर सिद्धू-कानू जैसे कई महान विभूति शामिल हैं.
राष्ट्रपति ने बिहार सरकार की ओर से मनाये जा रहे चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष की प्रशंसा की. कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंपारण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर ऐसा आयोजन कर अनूठा कार्य किया है. यह बेहद ही सुनहरा मौका है, जब हम अपनी उन महान हस्तियों को सम्मानित कर रहे हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अनोखी भूमिका निभायी थी. चंपारण आंदोलन सिर्फ इतिहास की एक घटना नहीं है, बल्कि यह हम सभी के लिए जानने कि अहम है कि हम किन परिस्थितियों और कहां से निकल कर आज यहां तक पहुंचे हैं. इसमें संघर्ष, उत्पीड़न, दर्द, दया, करुणा सब का मेल है.
राष्ट्रपति ने कहा कि चंपारण सत्याग्रह के बाद गुजरात में सत्याग्रह हुआ. जहां वल्लभभाई पटेल को गांधीजी ने सरदार की उपाधि दी. इसके बाद पूरे देश में कई स्थानों पर सत्याग्रह और आंदोलनों का सिलसिला शुरू हो गया. लेकिन चंपारण सत्याग्रह ने ही देश के स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में बिगुल फूंकने का काम किया. इसके बाद देश में सविनय अवज्ञा, असहयोग आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलनों का चरणबद्ध सिलसिला शुरू हुआ.
इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति ने देश के अलग-अलग हिस्से से आये 16 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया. राष्ट्रपति के साथ राजपाल रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, जदयू के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, सीपीआइ के राष्ट्रीय सचिव सत्येंद्र नारायण सिंह और अखिल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम समिति के अध्यक्ष सत्यानंद याजी मंच पर मौजूद थे.
उन्होंने जालियावाला बाग नरसंहार का जिक्र करते हुए कहा कि इस हृदय विदारक घटना के बाद गांधीजी और रवींद्रनाथ टैगोर ने अपनी-अपनी पदवी बर्बर अंगरेजी सरकार को लौटा दी थी.
उन्होंने कहा कि बिहार, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा में हमारे किसानों पर अत्यधिक अत्याचार किया जाता था. उपनिवेशवाद का अंत होने के बाद इन्हें इस अत्याचार से मुक्ति तो मिली. उन्होंने कहा कि दुनिया में मार्टिन लूथर किंग जैसे भी महान नेता हुए, जिन्होंने अहिंसा की बदौलत लड़ाई लड़ी. महात्मा गांधी ने अहिंसा के इन दूतों के संदेशों को परिवर्तित करते हुए सत्याग्रह और असहयोग आंदोलन जैसे अहिंसक हथियारों की बदौलत इसे कहीं आगे बढ़ाया.
आजादी आंदोलन में शामिल नहीं हुए, लेकिन यहां आकर हो रहा गर्व
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मैं आजादी के आंदोलन में तो शरीक नहीं हो पाया था, क्योंकि उस समय 10-12 वर्ष का बालक था. लेकिन, मेरा परिवार आजादी के आंदोलन से जुड़ा रहा है.
आजादी की लड़ाई में कई महान लोगों का बलिदान ऐसा भी है, जिन्हें कोई जानता नहीं है. जिनकी कहानी कभी कही या सुनी नहीं गयी. चंपारण शताब्दी वर्ष के मौके पर इस तरह के आयोजन में शामिल होकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. यह मेरे लिए बेहद सुखद संयोग है कि बतौर राष्ट्रपति इस तरह के समारोह में शामिल होने का अवसर मिला है और ब्रिटिश राज के खिलाफ लड़नेवालों को सम्मानित करने का मौका मिला है.
ब्रिटिश शासनकाल को बताया देश के लिए काला अध्याय
देश पर 190 वर्ष के लंबे ब्रिटिश शासनकाल को काला अध्याय बताते हुए राष्ट्रपति कहा कि अंगरेजों ने सिर्फ हमारे किसानों और आम लोगों पर जुल्म नहीं किया, बल्कि यहां की अतुल संपदा का भी जम कर दोहन किया. यहां के खनिजों की बदौलत ब्रिटिश में औद्योगिक क्रांति हुई थी. आजादी के पहले तक हमारे देश की विकास दर 1% या इससे कम हुआ करती थी, जबकि आज यह बढ़ कर दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था में शामिल हो गयी है. विकास दर निरंतर बढ़ती जा रही है. आज किसान खेतों में, वर्कर उद्योगों में और साइंटिस्ट लैब में काम करते हैं.
पटना : अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में राजधानी में 840 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया. सोमवार को श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित समारोह में मंच पर जहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 15 राज्यों के 16 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया, वहीं बाकी 824 स्वतंत्रता सेनानियों को उनकी जगह पर जाकर सम्मान दिया गया.
साथ ही बिहार के वैसे 2154 स्वतंत्रता सेनानी जो स्वास्थ्य व दूसरे कारणों से नहीं आ सके थे, उन्हें घर पर जाकर स्थानीय जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया गया. सभी को सम्मान स्वरूप जूट का झोला, गांधी टोपी, गांधी मैदान स्थित बापू की मूर्ति का मोमेंटो, मधुबनी पेंटिंग से सजी शाल, गांधी सूक्ति, स्मारिका और दो स्टिकर दिये गये.
समारोह के लिए पटना में देश के दूसरे राज्यों से 264 और बिहार से 554 स्वतंत्रता सेनानियों को बुलाया गया था, लेकिन देश के दूसरे राज्यों के 210 स्वतंत्रता सेनानी ही आ सके, जबकि बिहार से आनेवालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और बिहार के कुल 630 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया. शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की टीम सभी स्वतंत्रता सेनानियों की सीट पर जाकर सम्मान के लिए तैयार किट उन्हें सौंपा. उधर, जिलों में शिक्षा विभाग ने सम्मान का किट पहले ही पहुंचा दिया था. शिवहर 16, पूर्वी चंपारण से 15, सहरसा से 22 और नालंदा जिले से एक अतिरिक्त किट की मांग की गयी थी, जिसे अहले सुबह तक पहुंचा दिया गया. सभी जिलों में जिलाधिकारी ने टीम तैयार कर रखी थी, जो दोपहर 12 बजे के बाद एक-एक कर स्वतंत्रता सेनानियों के घर पर गयी और उन्हें सरकार की ओर से सम्मानित किया.
गोडसे व बापू को माला एक साथ नहीं चलेगा
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने कहा कि नाथूराम गोडसे का समर्थन और बापू को माला पहनाने का आडंबर अब नहीं चलेगा. उन्होंने इस समारोह में राजनाथ सिंह के नहीं आने के मसले को उठाते हुए गृह मंत्री पर अपने अंदाज में जम कर प्रहार किया. कहा कि जब नहीं आना था, तो कंसेंट काहे दिये. कुरसी बदलनी पड़ी, नाम की तख्ती हटानी पड़ी.
पटना. कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि गांधी जी ने चंपारण के किसानों से कहा था कि अंगरेजों के पास सत्ता है, लेकिन सत्य नहीं और जीत हमेशा सत्य की होती है. जिसके पास सत्य है, उसे कोई नहीं हरा सकता है. यह सत्य का देश है. सत्ता किसी के पास हो, नफरत और डर की यहां नहीं चलेगी.
सम्मान स्वरूप सभी को जूट का झोला, गांधी टोपी, गांधी मैदान स्थित बापू की मूर्ति का मोमेंटो, मधुबनी पेंटिंग से सजी शाल, गांधी सूक्ति, स्मारिका और दो स्टिकर िदये गये
नहीं आये केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह सोमवार को स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में शामिल नहीं हुए. इसमें उन्हें भी शामिल होना था. लेकिन, अंतिम समय में उनका कार्यक्रम रद्द हो गया. भाजपा की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम का राजनीतिकरण कर दिया. इसलिए वह नहीं आये.
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