23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार और झारखंड मिल कर विकास का दृष्टिकोण अपनाएं : द्रौपदी मुर्मू

पटना : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि बिहार और झारखंड मिल कर विकास का दृष्टिकोण अपनाएं. इससे न सिर्फ दोनों राज्यों का विकास होगा, बल्कि देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे.दोनों राज्यों के अलग होने के बाद भी दोनों राज्यों की सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषायी संस्कृति एक सी है. […]

पटना : झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि बिहार और झारखंड मिल कर विकास का दृष्टिकोण अपनाएं. इससे न सिर्फ दोनों राज्यों का विकास होगा, बल्कि देश के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगे.दोनों राज्यों के अलग होने के बाद भी दोनों राज्यों की सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषायी संस्कृति एक सी है. द्रौपदी मुर्मू मंगलवार को आद्री के रजत जयंती समारोह के मौके पर बिहार और झारखंड : साझा इतिहास से साझा दृष्टि तक’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रही थी. सत्र को बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी, झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय, झारखंड के विकास आयुक्त अमित खरे सहित लार्ड मेघनाद देसाई व अन्य ने भी संबोधित किया.
झारखंड की राज्यपाल ने अपने संबोधन में बिहार और झारखंड के सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा के विचार-विमर्श से ही नया रास्ता निकलेगा. बिहार शुरू से ही स्कॉलर के पसंद की जगह रही है. दोनों राज्य 17 साल पहले अलग हुए इसके बाद भी दोनों का सामाजिक, आर्थिक और भाषायी स्थिति एक सी है. विकास दोनों राज्यों के लिए चुनौती है. एक के पास उपजाऊ जमीन है, तो एक के पास प्रचुर मात्रा में खनिज है. अगर दोनों राज्य मिल कर विकास के अवधारणा को आगे बढ़ाये, तो देश के विकास का इंजन बन सकता है.
पूर्वी क्षेत्र का तेजी से विकास होगा
राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र व उदारवाद के सामने कई चुनौतियां है. समाज विज्ञानियों को इस दिशा में भी सोचना चाहिए. समाज में संवादहीनता की प्रवृत्ति बढ़ रही है. सामाजिक और राजनैतिक परिदृश्य को ध्यान में रख कर काम करना होगा. शिक्षा में सुधार के प्रति बिहार कृतसंकल्पित है. बिहार फिर से शिक्षा का हब बनेगा. शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार किया जा रहा है. नयी तकनीक का सहयोग लिया जा रहा है.
विकास के साथ-साथ पर्यावरण की भी चिंता जरूरी : सरयू राय
झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि हमें विकास के साथ-साथ पर्यावरण की भी चिंता करनी होगी. झारखंड में सिर्फ खनिज ही नहीं, बल्कि पानी भी उपलब्ध है. अगर बिहार व झारखंड एक साथ मिल कर विकास करें, तो न सिर्फ पूर्वी भारत का विकास होगी, बल्कि देश के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे. दोनों राज्य भी मजबूत होगा. जब बिहार-झारखंड एक था, उस समय भी झारखंड की खनिज संपदा का बहुत लाभ बिहार को नहीं मिला. यहां के संसाधन से दूसरे राज्यों को लाभ हुआ. देश की खनिज संपदा का 65 फीसदी हिस्सा पूर्वी भारत में है. क्षमता के अनुसार पूर्वी भारत का विकास नहीं हो पाया है.
झारखंड के विकास आयुक्त अमित खरे ने कहा कि महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप से ग्रामीण क्षेत्रों में एक मौन क्रांति हुई है. लार्ड मेघनाद देसाई ने चंपारण सत्याग्रह की चर्चा की. उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड और नेपाल की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है. इसके पहले आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विस्तार से सम्मेलन के दृष्टिकोण और उसके प्रभाव पर प्रकाश डाला. धन्यवाद ज्ञापन अंजन मुखर्जी ने किया. काॅन्फ्रेंस को फ्रांस के अर्थशास्त्री जेजे वायलोट, यूनिसेफ के बिहार चीफ असदुर रहमान, बीएमजीएप के अलकाश वाधवानी व जियोगो पालासियोस ने भी संबोधित किया.
मंगलवार को आद्री के सिल्वर जुबली समारोह के अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का पांचवां और अंतिम दिन था. इस अवसर पर छह व्याख्यान आयोजित किये गये, जिनमें यूरोप, अमेरिका और सिंगापुर के नामी विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर समेत कई बड़े बुद्धिजीवियों ने भाग लिया. समारोह में दो तकनीकी सत्र भी आयोजित किये गये. सोशल जस्टिस एंड गवर्नेंस चैलेंज विषय पर आयोजित तकनीकी सत्र में ‘अपने अाप वूमन वर्ल्ड वाइड’ की संस्थापक और न्यूयार्क विवि की विजिटिंग प्रोफेसर रुचिरा गुप्ता ने गांधीयन सोशल जस्टिस फ्रेमवर्क फॉर अपलिफ्ट ऑफ द लास्ट गर्ल विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि गांधी अंत्योदय की बात करते थे. उनके हर आंदोलन में महिलाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया.
वस्तुत: इसके माध्यम से वे महिलाओं का उत्थान करना चाहते थे. जिस प्रकार गांधी ने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए सोची-समझी रणनीति अपनायी, यदि उसी तरह देश व प्रदेश की सरकारें भी प्रयास करें, तो उस अंतिम दलित लड़की तक भी सामाजिक न्याय पहुंचाया जा सकता है. पंचायती राज में महिलाओं को आरक्षण, साइकिल और पोशाक वितरण के माध्यम से बालिका शिक्षा का प्रसार, जीविका के माध्यम से उनको आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना आदि नीतीश सरकार के ऐसे प्रयास हैं, जिनसे महिलाओं के उत्थान में सहायता मिली है. लेकिन यह प्रयास ऊपर से नीचे की तरफ चल रहे हैं.
पॉलिटिकल डायनेमिक्स एंड डेवलपमेंट एजेंडा विषय पर यूएस के ब्राउन विवि के शोधार्थी पॉलोमी धर चक्रवर्ती ने द पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ बिहार एंड डेवलपमेंट पॉलिसी पर अपना शोध पत्र पढ़ते हुए कहा कि लालूजी के राज्य में बिहार की जातीय संरचना में उलटफेर हुआ और कुछ खास जाति के लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठने का अधिक अवसर मिला. लेकिन, 10-12 वर्षों से यहां विकास आधारित राजनीति चल रही है.
गवर्नेंस ऑफ इरीगेशन सिस्टम इन साउथ बिहार विषय पर अपना शोध पत्र पढ़ते हुए नालंदा विवि के एसोसिएट प्रो अविराम शर्मा ने कहा कि 1950 के बाद नव स्वाधीन भारत की सरकार ने बड़े बांध व नहरों पर जोर दिया और आहार-पइन जैसे सिंचाई के छोटे साधनों को छोड़ दिया. एविडेंस फ्रॉम ए होम स्टीड विषय पर देशकाल सोसायटी, नयी दिल्ली के सचिव संजय कुमार और नाॅर्थवेस्टर्न विवि के शोधार्थी एंड्रे निकोव ने लैंड इनटाइटलमेंट इनीसिएटिव इन गया डिसट्रिक्ट ऑफ बिहार पर संयुक्त रूप से शोधपत्र पढ़ा. इज ऑल वर्किंग आउट इन बिहार विषय पर शोध पत्र पढ़ते हुए नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के शोधार्थी मिखाइल बास ने कहा कि 2013 की तुलना में बिहार बदला-बदला और नया लग रहा है.
एगोनिस्टिक निगोसिएशंस एंड इमैनसिपेट्री पॉलिटिक्स इन कंटेंपररी बिहार विषय पर ऑक्सफोर्ड विवि के शोधार्थी इंद्रजीत राय ने भी अपने विचार रखे. तकनीकी सत्र की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री सचिवालय के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने कहा कि पहले विकास के सभी पैमानों पर हम काफी पीछे थे. पिछले कुछ वर्षों से यहां की सरकार और विभिन्न हित समूहों ने मिल कर विकास करने का प्रयास शुरू किया है. हमें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने में अभी कुछ समय और लगेगा.
सीजनल माइग्रेशन आदिवासियों व दलितों की बड़ी समस्या : प्रो शाह
झारखंड इन द बेली ऑफ द इंडियन बूम विषय पर व्याख्यान देते हुए लंदन स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स की एसोसिएट प्रो डॉ अल्पा शाह ने कहा कि आदिवासी और दलित अभी भी भारत के समाजिक-आर्थिक विकास के अंतिम पायदान पर हैं. वे अकुशल मजदूर होते हैं और उन्हें स्थानीय मजदूरों की तुलना में कम वेतन दिया जाता है. सीजनल माइग्रेशन आदिवासियों व दलितों की बड़ी समस्या है. नक्सलाइट व वामपंथी आंदोलन भी सीजनल माइग्रेशन को रोकने में विफल रहे हैं.
भूमि अधिग्रहण के समय उद्देश्य स्पष्ट हो : प्रो सतीश जैन
ऑन द लैंड एक्विजीशन अंडर द इमीनेंट डोमेन पावर फॉर प्राइवेट इंटाइटिज विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि बाजार मूल्य से कम कीमत पर भूमि अधिग्रहण करने पर सरकारी अधिकारी द्वारा किसी प्राइवेट पार्टी को फायदा पहुंचाने की अधिक आशंका होती है. बाजार मूल्य के बराबर अधिग्रहण मूल्य होने पर इस प्रकार की आशंका नहीं होती है. भूमि अधिग्रहण कानून भी कहता है कि अधिग्रहण मूल्य बाजार दर से कम नहीं होना चाहिए.
भूमि का वास्तविक मूल्य निर्धारण भी एक बड़ी समस्या है क्योंकि सर्किल रेट वास्तविक रेट से कम होता है. सेल डीड भी वास्तविक कीमत से कम का बनाया जाता है. अधिग्रहण मूल्य बाजार दर से अधिक होने पर भी अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन के दुरुपयोग व बंदरबांट की आशंका रहती है. इसलिए ऐसे मामलों में भी सावधानी बरतने की आवश्यकता है. प्रो जैन ने कहा कि अधिग्रहण के समय यह स्पष्ट होना चाहिए कि जमीन अधिग्रहण का उद्देश्य क्या है और सरकार खुद इसका इस्तेमाल करेगी या किसी अन्य पार्टी को देगी. यह भी महत्वपूर्ण है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें