पटना : राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बिहार से अपने जुड़ाव को दर्शाते हुए कहा कि हर बार यहां आने से एक नयी प्रेरणा मिलती है. यह स्थान सिर्फ इसलिए भी प्रेरणादायक नहीं है कि यहां चरणबद्ध तरीके से सभ्यताओं का विकास हुआ या गौतम बुद्ध और महावीर जैसे अन्य महान संत पैदा हुए, जिन्होंने समस्त जगत को मानवता और मोक्ष की शिक्षा प्रदान की. बल्कि, इतिहास के महान शासक चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक ने आधुनिक राज्य की अवधारणा देने के कारण भी इसे प्रेरणादायक बनाता है. सम्राट अशोक का सर्वशक्तिमान विजेता से एक महान प्रचारक के रूप में परिवर्तित होने की यशगाथा भी बिहार में समाहित है.
नीतीश की जन-कल्याणकारी योजनाओं की सराहना की
आद्री के रजत जयंती समारोह के मौके पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधितकरतेहुएराष्ट्रपतिने कहा कि बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जन-कल्याणकारी योजनाओं कीसराहना की. साथ ही बिहार के समक्ष मौजूद चुनौतियों को गिनाते हुए कहा कि इसे दूर करने के लिए सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में गहन रिसर्च करने की जरूरत है. बिहार को विकास के लिए बंगलादेश के मॉडल को अपनाने का भी सुझाव दिया.
बिहार में आश्चर्यजनक परिवर्तन आये हैं : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उल्लेखनीय कार्य किये हैं, जिसकी वजह से राज्य में आश्चर्यजनक परिवर्तन आये हैं. यहां की कई जन कल्याणकारी योजनाओं का बेहतरीन असर सामाजिक-आर्थिक परिपेक्ष में दिखा है. इन योजनाओं में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है. राज्य का विकास दर 10.50 प्रतिशत से ज्यादा होने के बाद भी यह पिछड़ा हुआ है. यह सोचने वाली बात है. बिहार की तुलना में झारखंड समेत कई दूसरे राज्यों का विकास दर धीमा रहा है. बिहार को मौजूदा समस्याओं का समाधान निकालने के लिए प्रयत्न करने की आवश्यकता है.
आजादी पहले और बाद भी हुई बिहार की उपेक्षा
यह भी समझने की जरूरत है कि अंग्रेजी हुकूमत में तो इस प्रदेश का काफी शोषण हुआ ही, लेकिन इसके बाद आजाद भारत की कई नीतियों के कारण भी काफी नुकसान हुआ. इस इलाके में 1794 में लागू की गयी जमीन की स्थायी बंदोबस्ती से जुड़ा कानून पूर्वोत्तर भारत के विकास में बड़ी बाधा बनकर उभरे. इसके बाद भाड़ा सामानिकरण समेत ऐसी अन्य नीतियों के कारण बिहार समेत इस पूरे इलाके को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. इतिहास से एक बेहतरीन सबक सीखने की जरूरत है, विकास के लिए सही सामाजिक और राजनीतिक गतिशीलता. दशकों तक इस क्षेत्र ने शोषण और उपेक्षा को झेला है.
विकास के लिए बांग्लादेश मॉडल की जरूरत
राष्ट्रपति ने कहा कि सिर्फ औद्योगिकीकरण से ही विकास की अवधारणा तय हो यह जरूरी नहीं है. इसके लिए बंगलादेश के विकास के मॉडल को अपनाने पर विचार करने की जरूरत है. 1971 बंगलादेश का विभाजन हुआ. इसके बाद उसने अपने सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि के आधार पर विकास के मॉडल को तैयार किया.अपनी जनसंख्या को उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उपयोग किया. विकास के इस मॉडल से बिहार और झारखंड जैसे राज्य काफी कुछ सीख सकते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार को अपनी जनसंख्या का उपयोग बेहतर संसाधन के तौर पर करना चाहिए. लोगों को ज्यादा से ज्यादा कौशल के अवसर प्रदान करते हुए इन्हें प्रशिक्षित कामगार के रूप में तैयार करें. शिक्षा का मकसद सिर्फ आर्थिक स्थिति बेहतर करना नहीं हो, बल्कि यह लोगों को सशक्त बनाने का ज्यादा काम करे.
विकास के मॉडल को बेहतर रिसर्च की जरूरत
विकास के मॉडल को तैयार करने के लिए सामाजिक आर्थिक शोध संस्थान होने चाहिए. बिहार जैसे राज्यों में ऐसे संस्थानों का गठन होना चाहिए. आद्री जो रिसर्च करता है, उसका फायदा सीधे तौर पर आम लोगों को हो. सामाजिक स्थित को ध्यान में रखते हुए ऐसे शोध होने चाहिए, जिनमें जन कल्याणकारी नीतियों का खाका तैयार हो. इनके जरिये उपर्युक्त नीतियां तैयार हो सकें. इसके बाद तमाम मौजूदा संसाधनों का उपयोग बेहतर रणनीति के तहत की जाये, ताकि राज्य का हर क्षेत्र में विकास हो सके और अपनी चुनौतियों से ऊपर उठ सके.