इसके लिए वे वैशाली के जंदाहा के चावल मिल संचालकों से भेंट करने जाते थे. दो दिसंबर को उन्होंने बताया था कि वे बिस्कोमान अपने दोस्त के दुकान पर जा रहे हैं और शाम को लौट जायेंगे. शाम में जब उन्होंने मोबाइल पर कॉल किया, तो रंजय सिंह ने समस्तीपुर कुछ काम से जाने की बात बतायी. इसके बाद फिर से जब शाम पांच बजे कॉल किया, तो रंजय का तीनों नंबर स्विच ऑफ बता रहा था. इसके बाद नेहा को शक हुआ, तो उसने खोजबीन शुरू कर दी और पति के दोस्तों को फोन कर उनके बारे में जानकारी लेनी शुरू कर दी.
लेकिन सभी ने नहीं मिलने की जानकारी दी. समस्तीपुर से पटना आने के बाद रंजय की लाश बांसघाट ले जायी गयी. वहां पर पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार हुआ. इस दौरान पत्नी नेहा का रो-रो कर बुरा हाल हाे रहा था. वह बेसुध हो गयी थीं. रंजय का बेटा भी मां से लिपट कर रो रहा था. आसपास के लोग ढांढस बढ़ाने में जुटे थे. इधर मूल रूप से सीवान के रहने वाले रंजय के परिजन भी घाट पर पहुंचे गये थे.

