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24 घंटे तक छानते रहे अस्पतालों की खाक, पोस्टमार्टम हाउस में मिला छात्र अक्षय का पार्थिव शरीर

पटना : इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में हताहत पटना के छात्र अक्षय कुमार के परिजन उसके पार्थिव शरीर पाने के लिए पूरे 24 घंटे तक कानपुर के अस्पतालों के खाक छानते रहे, मगर उसका शव घटना स्थल के पास ही पोस्टमार्टम हाउस से मिला. दुखद बात यह है कि अपने लाडले को खोजने के लिए […]

पटना : इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में हताहत पटना के छात्र अक्षय कुमार के परिजन उसके पार्थिव शरीर पाने के लिए पूरे 24 घंटे तक कानपुर के अस्पतालों के खाक छानते रहे, मगर उसका शव घटना स्थल के पास ही पोस्टमार्टम हाउस से मिला. दुखद बात यह है कि अपने लाडले को खोजने के लिए उसके परिजन पटना जंक्शन से लेकर कानपुर के सभी अस्पतालों और संभावित जगहों की खाक छान ली, मगर किसी ने उनके बेटे के बारे में सही जानकारी नहीं दी. इससे रेल प्रशासन के साथ ही देश के अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर भी एक बड़ा सवाल खड़ा होता है. कानपुर ट्रेन हादसे में मारे गये संत माइकल हाइस्कूल, पटना के 12वीं के छात्र अक्षय कुमार के पिता कंचन पाठक ने घटना के बाद की आपबीती सुनायी.

अक्षय के परिजनों का कहना है कि शनिवार की दोपहर से ही उसका फोन नहीं लग रहा था. हम चिंतित थे. बाद में उसने फोन किया कि छह बजे भोपाल से ट्रेन पकड़ रहा हूं. फिर रविवार की सुबह स्कूल के प्रिंसिपल का फोन आया और बताया गया कि इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गयी है. शायद अक्षय अब नहीं रहा. तब हमलोग भागे-भागे पटना जंकशन पहुंचे. कुछ जानकारी मिली और इसके बाद रविवार को दिन में 10 बजे कानपुर के लिए निकल गये. सोमवार की सुबह लगभग ढाई बजे कानपुर पहुंचे. सबसे पहले वहां के सदर अस्पताल पहुंचे. लेकिन, कुछ पता नहीं चला. फिर राजपथ अस्पताल, अनंत राज अस्पताल, अकबरपुर अस्पताल, पोखरायां अस्पताल और फिर देवीपुर हॉस्पिटल की खाक छानी. कहीं कुछ पता नहीं चला.

थक-हार कर फिर हमलोग घटनास्थल पर पहुंचे, तो किसी ने बताया कि अभी-अभी कुछ डेड बॉडी (शव) निकली है. आप लोग पोस्टमार्टम हाउस जाइए. तब सोमवार को दिन में लगभग एक बजे हमलोग वहां पहुंचे, फिर पोस्टमार्टम हाउस से अक्षय की डेड बॉडी मिली और फिर हमलोग वहां से पटना के लिए निकले. मंगलवार को दिन में लगभग दो बजे बांसघाट पहुंचे.
बिछड़ गयी स्वीमिंग ब्रदर्स की जोड़ी : अक्षय के पिता कंचन पाठक सामाजिक संस्था तरूमित्र में काम करते हैं. मां आशा पाठक घरेलू महिला है. मैथ में गहरी रुचि रखने वाला अक्षय उम्दा तैराक भी था. पहले स्टेट चैंपियन (गोल्ड मेडलिस्ट), फिर आठ राज्यों के बीच जाेनल चैंपियन हाेने के बाद और भोपाल में होनेवाले नेशनल चैंपियन में भाग लेने गया था.

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