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बिहार : बीजेपी नेता पर भड़के मंत्री, दी कानूनी कार्रवाई की चेतावनी

पटना : बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के प्रदेश में तटबंध टूटने का लगाये आरोप को झूठ का पुलिंदा बताया और कहा कि सुशीलमोदी को अपने पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए ऐसा गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं […]

पटना : बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी के प्रदेश में तटबंध टूटने का लगाये आरोप को झूठ का पुलिंदा बताया और कहा कि सुशीलमोदी को अपने पद की गरिमा का ख्याल रखते हुए ऐसा गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए और वे इसके लिए क्षमा मांगे. ललन ने आज यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कल कटिहार जिला में सुशील द्वारा मीडिया में दिये गये उक्त बयान को गैर जिम्मेदारावाना और झूठ का पुलिंदा बताते हुए उन्हें चुनौती दी कि हाल में आयी बाढ़ के कारण प्रदेश में कहीं भी तटबंध टूटा है उसे वे या तो साबित करें नहीं तो क्षमा मांगें.

सुशील मोदी को कनूनी कार्रवाई की चेतावनी

राज्य में हाल में आयी बाढ़ से तटबंध टूटने के कारण लोगों जान जाने के लिए मुख्यमंत्री सहित विभागीय मंत्री पर भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किये जाने को लेकर सुशील के बयान पर ललन ने कहा कि वे अपनी सीमा लांघ रहे हैं. वे राजनेता हैं सीमा के भीतर बात करें. सीमा के बाहर बात करने पर भविष्य में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में अपनी गलत बयानी के कारण सुशील जी बड़ी मुश्किल से अपने को कानूनी कार्रवाई से बचा पाए. ललन ने सुशील पर उनका ‘गैर जिम्मेदाराना बर्ताव’ बढ़ते जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें खबरों में बने रहने का ‘मेनिया’ है और वे ‘छपास का रोग’ से ग्रसित हैं, इसलिए वे इलाज कराएं. उन्होंने सुशील से स्वयं को अब भी छात्र नेता नहीं समझने और मीडिया में आयी बातों पर बयानबाजी करने से परहेज करने की सलाह देते हुए कहा कि वे एक राजनेता हैं. इसलिए उन्हें सीमा के भीतर बात करनी चाहिए.

सुशील मोदी के आरोप को बर्दास्त नहीं करेंगे-ललन

ललन सिंह ने कहा कि कोई भी इस तरह का गैर जिम्मेदाराना बयान देकर राजनेता नहीं बल्कि अपने कर्म और आचरण से राजनेता बनता है. उन्होंने सुशील पर इस तरह का बयान देकर उनके विभाग के अभियंताओं जो कि हाल में आयी बाढ़ के दौरान रात-दिन अथक परिश्रम कर प्रदेश के तटबंधों को सुरक्षित रखा का मनोबल गिराने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वे इसे बर्दास्त नहीं करेंगे. ललन ने हाल में आयी बाढ़ के कारणों और उससे बचाव के लिए अपने विभाग के अभियंताओं और अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इस बार गंडक, सोन, कोसी और गंगा नदी से पूर्व की तुलना में अधिक जल स्राव होने के कारण नदी के दियारा इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई पर प्रदेश के किसी भी शहर में बाढ़ का पानी प्रवेश नहीं किया.

13 सालों में उच्चतम स्तर पर रहा नदियों का बहाव

उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्यों झारखंड, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में अत्यधिक बारिश के कारण सोन नदी में 12 लाख क्यूसेक जल का अचानक बहाव हुआ जिसके कारण गंगा नदी का जल बहाव बढ़कर 32 लाख क्यूसेक हो गया और उसने कई स्थानों पर उच्चतम पानी के वर्तमान स्तर को पार करते हुए कई स्थानों पर नया उच्चतम पानी का स्तर बनाया. ललन ने कहा कि गंडक नदी का जल बहाव 13 सालों के बाद अपने उच्चतम स्तर :6 लाख 39 हजार क्यूसेक: को पहुंच गया. वर्ष 2003 में इस नदी से उच्चतम जल बहाव 3 लाख 50 हजार क्यूसेक रहा था. उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से कोसी नदी का वर्ष 2008 में जल बहाव एक लाख 6 हजार क्यूसेक था जो कि इस बार बढ़कर 2 लाख 82 हजार पहुंच गया.

बाढ़ के लिये फरक्का जिम्मेवार-ललन

ललन ने गंगा नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के लिए उसमें मौजूद गाद और फरक्का बांध को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जब तक फरक्का बांध को नहीं तोड़ा जायेगा और राष्ट्रीय स्तर पर गाद प्रबंधन की नीति नहीं बनायी जाएगी तब तक बाढ़ की समस्या बनी रहेगी. उन्होंने कहा कि गंगा नदी में गाद के प्रबंधन के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पिछले महीने प्रधानमंत्री से मिलकर उनसे अनुरोध किए जाने पर गत एक सितंबर को इसके अध्ययन के लिए केंद्र की एक चार सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम बिहार दौरे पर आयी थी. इस टीम ने बक्सर से फरक्का तक हवाई सर्वेक्षण किया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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