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बिहार सरकार ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा को लेकर केंद्र पर बोला हमला

पटना : बिहार की महागठबंधन सरकार ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में कटौती किए जाने के साथ केंद्रीय राजस्व में समस्तरीय :हारिजांटल: बंटवारे से राज्य को होने वाली आर्थिक हानि को लेकर केंद्र पर आज प्रहार किया. सरकार ने कहा कि इससे पहले से आर्थिक तौर कमजोर इस […]

पटना : बिहार की महागठबंधन सरकार ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में कटौती किए जाने के साथ केंद्रीय राजस्व में समस्तरीय :हारिजांटल: बंटवारे से राज्य को होने वाली आर्थिक हानि को लेकर केंद्र पर आज प्रहार किया. सरकार ने कहा कि इससे पहले से आर्थिक तौर कमजोर इस राज्य पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा.

जदयू विधायक विनोद प्रसाद यादव और श्याम रजक सहित 11 अन्य विधायकों द्वारा लाये गये एक कार्यस्थगन प्रस्ताव पर दो घंटे तक चली चर्चा के बाद जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में कटौती किये जाने से वित्त वर्ष 2015-16 और 2016-117 के दौरान राज्य पर अनावश्यक बोझ पड़ेगा.

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं को लागू करने के लिए 20102.59 करोड़ रुपये के पुनरीक्षित बजट को केंद्र ने दरकिनार कर दिया है जिसके लिए राज्य सरकार ने 6306.59 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था.लेकिन गत वर्ष के नवंबर महीने में केंद्र द्वारा जारी एक अधिसूचना के कारण इस राज्य को अतिरिक्त 4508.63 करोड़ रुपये देकर अपना अंशदान बढ़ाकर 10,715.22 करोड़ रुपये करना पड़ रहा है.

ललन ने कहा कि इस प्रकार से वर्तमान वित्त वर्ष में केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए प्रावधान किये गये 22467.37 करोड़ रुपये की राशि के बजाए पुरानी पद्धति के अनुसार बिहार को 7005.57 करोड़ रुपये का अंशदान करना था पर आज राज्य को अतिरिक्त 4917.87 करोड़ रुपये देकर अपना अंशदान बढ़ाकर 11927.74 करोड़ रुपये करना पड़ रहा है.

उन्होंने कहा कि 13वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार बिहार के केंद्रीय करों में हिस्सेदारी जहां 10.92 प्रतिशत थी उसे केंद्र की वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार ने 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर घटाकर 9.66 प्रतिशत कर दिया है.
बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि केंद्र के पास बिहार द्वारा विभिन्न योजनाओं जिसकी प्रतिपूर्ति का वादा किया गया था, का अतिक्ति 20,340 करोड रुपया पिछले कई सालों से लंबित है.

उन्होंने 14वें वित्त आयोग पर बिहार के अधिक आबादी अनुपात और भौगोलिक स्थिति की समस्या की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र बिहार को विकास के पथ पर अग्रसर होने में बाधा उत्पन्न कर रहा है. ललन ने कहा कि केंद्र के ही नीति आयोग ने बिहार के 17 प्रतिशत के वार्षिक विकास दर को प्राप्त करने की तारीफ की थी लेकिन इस राज्य के आर्थिक संसाधनों में कटौती कर केंद्र प्रदेश के आर्थिक विकास में बाधक बन रहा है.

जल संसाधन मंत्री के इस कथन का विरोध करते हुए भाजपा सदस्यों के सदन से बहिर्गमन कर जाने पर भी मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना करते हुए कहा कि मोदी ‘मन की बात’ करते हैं जबकि मुख्यमंत्री ने विकास को लेकर अपना ‘निश्चय’ प्रकट किया है.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी दृष्टि और दूरदर्शिता के अलावा आधारभूत संरचना का प्रबंध कर तथा कार्यबल के जरिए पिछले एक दशक में बिहार को निरंतर विकास के पथ पर ले गये. जबकि प्रधानमंत्री अपने साप्ताहिक ‘मन की बात’ करने में लगे हुए हैं.

ललनसिंह ने प्रधानमंत्री द्वारा पिछले वर्ष अगस्त महीने में आरा में एक कार्यक्रम के दौरान बिहार को 1.25 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज के अलावा जारी केंद्रीय योजनाओं के लिए 40 हजार करोड़ रुपये के वादे को पूरा करने के प्रति आशंका व्यक्त करते हुए बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी से विशेष पैकेज के तहत अगले पांच सालों के दौरान संचालित की जाने वाली परियोजनाओं की निगरानी के लिए सदन की एक कमेटी गठित किए जाने की मांग की जिसे अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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