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जमीन अधिग्रहण : सीएम नीतीश कुमार की मांग , चार गुना अधिक मुआवजा दे केंद्र

जमीन अधिग्रहण : एनएच प्रोजेक्टों को लेकर गडकरी से िमले मुख्यमंत्री, की मांग 2014 के भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक िकसानों को मुआवजा देने की मांग भूमि अधिग्रहण को लेकर कई एनएच प्रोजेक्ट लटकी हुई हैं. इनका निर्माण जल्द शुरू करने के लिए सीएम ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिल कर जमीन का चार […]

जमीन अधिग्रहण : एनएच प्रोजेक्टों को लेकर गडकरी से िमले मुख्यमंत्री, की मांग
2014 के भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक िकसानों को मुआवजा देने की मांग
भूमि अधिग्रहण को लेकर कई एनएच प्रोजेक्ट लटकी हुई हैं. इनका निर्माण जल्द शुरू करने के लिए सीएम ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिल कर जमीन का चार गुना अधिक मुआवजा देने की मांग की.
नयी दिल्ली : राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के लिए जमीन अधिग्रहण में आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने लगभग एक घंटे तक विचार-विमर्श किया. इस दौरान नीतीश कुमार ने 2014 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार जमीन के बाजार भाव से चार गुनी अधिक राशि देने की की मांग की और गडकरी को एक पत्र सौंपा.
राज्य में कई राजमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण का काम किया जाना है, लेकिन किसान पुरानी दर पर भूमि देने को तैयार नहीं हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने जमीन अधग्रिहण के लिए जो नीति पहले से तैयार की है, उसी आधार पर मुआवजा देता है, जबकि जमीन मालिक 2014 के भूमि अधग्रिहण कानून में बाजार भाव से चार गुना अधिक मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
पटना-बक्सर फोरलेन, फारबिसगंज-जोगबनी फोरलेन, पटना-डोभी फोरलेन, बिहारशरीफ-मोकामा फोरलेन, वाराणसी-औरंगाबाद सिक्स लेन और छपरा-मुजफ्फरपुर फोरलेन के निर्माण के लिए 2010-12 में ही निर्णय हो चुका है. कुछ एग्रीमेंट को दोबारा घोषित करना पड़ा, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है.
इसका सबसे बड़ा कारण भूमि के मुआवजे की राशि को लेकर किसानों और एनएचएआइ के बीच बना गतिरोध है. ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से भी यह स्पष्ट निर्देश है कि किसानों के जमीन को बाजार भाव से चार गुना ज्यादा की दर पर मुआवजा देना है.
किसानों से कम कीमत पर जमीन नहीं ली जा सकती है. मुख्यमंत्री ने गडकरी से आग्रह किया है कि किसानों की जमीन की मुआवजा राशि को लेकर किसानों और एनएचएआइ में जो मतभेद हैं, उसे जल्द दूर किया जाये.
नीतीश कुमार ने कहा कि दूसरा मुद्दा महात्मा गांधी सेतु के पुनर्निर्माण का है. गांधी सेतु जर्जर है, इसलिए इसके पुनर्निर्माण की जरूरत है. इस विषय में एनएचएआइ से बातचीत हो गयी है.
केंद्रीय कैबिनेट के एप्रूवल के बाद इसे पूरा कराने का आश्वासन भी दिया गया है. चूंकि यह पुल एनएच में आता है, इसलिए इसे बनाने की जिम्मेवारी भी केंद्र सरकार की बनती है और एनएचएआइ को ही इसका पुनर्निर्माण करना होगा. यह पूछे जाने पर कि मंत्री ने क्या आश्वासन दिया है, मुख्यमंत्री ने कहा कि पॉजिटिव बातचीत हुई है.
जमीन के पेच में फंसी राज्य की एनएच प्रोजेक्ट
पटना-बक्सर फोरलेन, फारबिसगंज-जोगबनी फोरलेज, पटना-डोभी फोरलेज, बिहारशरीफ-मोकामा फोरलेन, वाराणसी-औरंगाबाद सिक्स लेन और छपरा-मुजफ्फरपुर फोरलेन शीघ्र पैसा आवंिटत करे केंद्र-17
रजौली-बख्तियारपुर फोरलेन प्रोजेक्ट केंद्र को होगी वापस
पटना : पीपीपी माेड वाली राज्य की पहली सड़क परियोजना रजौली -बख्तियारपुर फोरलेन से राज्य सरकार अपना हाथ खींच सकती है. निर्माण एजेंसी मधुकॉन प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा आनाकानी किये जाने के बाद इसे फिर से केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय को वापस किये जाने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. ऐसे में रजौली-बख्तियारपुर एनएच की मरम्मत के लिए बिहार राज्य पथ विकास निगम ने केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय को 81 करोड़ का एस्टीमेट भेजा है.
चार साल बाद भी फोरलेन बनाने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है. इस 107 किलोमीटर लंबे फोरलेन के निर्माण को लेकर जून, 2012 में एग्रीमेंट हुआ था. हैदराबाद की कंपनी मधुकॉन प्रोजेक्ट्स लिमिटेड का पथ विकास निगम के साथ हुए एग्रीमेंट में ढाई साल के अंदर इसका निर्माण काम पूरा होना था.
इस पर 847 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित था. लेकिन, एजेंसी को बैंक से लोन नहीं मिलने के कारण इसका काम शुरू नहीं हो सका. इसमें बिहार सरकार को कुछ खर्च नहीं करना था.
फोरलेन के निर्माण में होनेवाले खर्च की वसूली एजेंसी को टोल टैक्स से पूरा करना था. पहले जमीन अधिग्रहण की समस्या आयी. इसके बाद फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण मामला अटका रहा. इन सब का बहाना बना कर एजेंसी ने फोरलेन बनाने से अपने को अलग कर लिया, जबकि इसका निर्माण शुरू नहीं किये जाने को लेकर राज्य पथ विकास निगम ने एजेंसी को नोटिस जारी किया था.
केंद्र से ली गयी थी सड़क
बिहार सरकार ने रजौली-बख्तियारपुर एनएच को फोरलेन बनाने के लिए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय से लिया गया था. इसके लिए वर्ष 2008 में केंद्र से एनओसी मांगी गयी थी. एनओसी मिलने के बाद पथ निर्माण विभाग ने की डीपीआर तैयार करा कर इसके निर्माण की अनुमति ली थी. इसके बाद टेंडर निकाल कर एजेंसी का चयन वर्ष 2012 में हुआ था. राज्य पथ विकास निगम के आधिकारिक सूत्र ने बताया कि एजेंसी द्वारा काम से पल्ला झाड़ने के बाद अब उसकी मरम्मत के लिए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय को लिखा गया है. इसके लिए 81 करोड़ राशि की मांग की गयी है.

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