पटना : बिहार विधान परिषद में आज दलित छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति के भुगतान में गड़बड़ी को लेकर विपक्ष के हंगामा के कारण सभापति अवधेश नारायण सिंह को सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित करनी पड़ी. बिहार विधान परिषद की आज की कार्यवाही शुरू होने पर भाजपा सदस्य लाल बाबू द्वारा सभी कार्यों को स्थिगित कर उक्त मामले पर सबसे पहले सदन में चर्चा कराये जाने को लेकर लाए गये अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव का मामला उठाए जाने पर सभापति ने उन्हें शून्यकाल के दौरान उठाने को कहा.
प्रश्नकाल के बाद शून्यकाल के दौरान लाल बाबू के अपने सीट से खड़े होकर फिर से अपने कार्यस्थगन प्रस्ताव के बारे में आसन से पूछे जाने पर सभापति के सूचित किये जाने पर कि उनके प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया गया हैंं. लाल बाबू के साथ अन्य विपक्षी सदस्य सदन के बीचोंबीच आकर सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे. सभापति अवधेश नारायण सिंह द्वारा विपक्षी सदस्यों से अपनी सीट पर लौटने और सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलने देने के आग्रह किये जाने के बाद जब वे नहीं माने तो सभापति ने सदन की कार्यवाही अपराह्न 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. लालू बाबू ने अपने कार्यस्थगत में आरोप लगाया था कि प्रदेश में अति पिछडे एवं दलित वर्ग के छात्रों को मिलने वाली पोस्ट मैटरी छात्रवृत्ति का भुगतान लगभग दो-तीन वर्षो से नहीं हुआ है. वहीं कई फर्जी संस्थानों को छात्रवृत्ति की राशि का भुगतान किया गया है, जिससे इस छात्रवृत्ति में घोटाला उजागर हुआ है.
भाजपा सदस्य लाल बाबू ने यह भी आरोप लगाया था कि प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान भी फर्जी विद्यालयों के नाम पर फर्जी व्यक्तियों के खाते में होने के कारण इसमें गंभीर अनियमिततायें हुई है. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं होने के कारण उड़ीसा, राजस्थान एवं उत्तराखंड सहित अन्य राज्यों में पडने वाले बिहार के गरीब छात्रों को संस्थान से निकालने की नौबत आ गयी है. बिहार विधान परिषद स्थित अपने कक्ष में बाद में पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने दलित वर्ग के छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति के भुगतान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी किए जाने का आरोप लगाते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच कराये जाने की मांग की. सुशील ने आरोप लगाया बिहार में पिछले तीन वर्षों से दलित वर्ग के छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं हुआ है जिसके परिणाम में उड़ीसा, राजस्थान आदि राज्यों के संस्थानों में नामांकन लेने छात्रों को निकाला जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि देहरादून के पांच कॉलेज फर्जी पाये गये और वहां एक करोड रुपये से अधिक की राशि भेज दी गयी है. इसी प्रकार से अलीगढ़ का मामला सामने आया था.
सुशील ने आरोप लगाया कि जिन छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान उनमें से बिहार के नवादा जिला में दो लड़केपाये ही नहीं गये. उन्होंने बड़ी संख्या में फर्जी कॉलेजों तथा कई मामलों में फर्जी छात्रों को भुगतान किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वास्तविक छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान किया गया. सुशील ने हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व गत वर्ष अगस्त महीने में सात दिनों का नामांकन मेला लगाया और देश भर के कालेज प्रतिनिधियों को बुलाकर छात्रों का नामांकन करा दिया गया और हालत यह है कि वर्ष 2014-15 की छात्रवृत्ति के लिए आवेदन अभी तक भरे जा रहे हैं.