पटना : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेशनिवार को एक नया विचार प्रस्तुत कियाऔर कहा, अदालतें वार्षिक बुलेटिन पेश करें जिसमें देश में लंबित मामलों के बारे में संवेदनशीलता पैदा करने के लिए वह सबसे पुराना मामला बताएं जिसपर वे सुनवाई कर रहे हों. पटनाहाई कोर्ट की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने बार, बेंच और अदालतों को उनके कामकाज में डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर टेक-सैवी बनाने पर भी सुझाव मांगा.
सभा को संबोधित करते हुएपीएममोदी ने कहा, मुझे एक विचार पर सुझाव देना है जिसके बारे में मैंने अभी सोचा. यह सुझाव है कि हमारी अदालतें हर साल एक बुलेटिन लाएं जिसमें वो अपने समक्ष लंबित सबसे पुराने मामले के बारे में बताएं. कुछ मामले 40 साल या 50 साल पुराने हो सकते हैं और वो अदालतों में लंबित मामलों के बारे में लोगों में संवेदनशीलता पैदा कर सकते हैं. उन्होंने कहा, यह अन्य लोगों को लंबित मामलों के बारे में कुछ करने को प्रेरित करेगा. ऐसा करना गलत नहीं है. यह लंबित मामलों की समस्या से बाहर निकलने के लिए वातावरण तैयार करने में मदद कर सकता है.
सभी क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के आगमन के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले कानून के क्षेत्र में शोध करने में काफी समय खर्च करना पड़ता था जबकि अब बेहद अल्प अवधि में कोई गूगल कर सकता है. उन्होंने कहा, अब हमारे पास कुछ ऐसा है जो पहले नहीं था. प्रौद्योगिकी की ताकत. बार, बेंच और अदालतों के कामकाज में डिजिटल प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके हम कितना टेक्नो-सैवी बना सकते हैं और प्रौद्योगिकी का सक्रियता से इस्तेमाल करके फैसलों की गुणवत्ता और दलीलों में सुधार के काम में मदद कर सकते हैं.
पीएम मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंच साझा किया. उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान एक-दूसरे पर खूब निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि पटनाहाई कोर्ट ने विगत 100 वर्षों में नयी उंचाइयों को छुआ है. मुझे उम्मीद है कि सर्वश्रेष्ठ पहलुओं को आने वाले वर्षों में आगे बढ़ाया जाएगा. यद्यपि पिछली शताब्दी में इस हाई कोर्ट की अच्छी बातों को याद करने का यह समय है लेकिन यह आने वाली सदी के लिए ठोस आधारशिला रखने का भी यह समय है.
प्रधानमंत्री ने कहा, यह नये संकल्पों के लिए भी समय है और नये मानदंडों के बारे में सोचने का भी समय है और मुझे उम्मीद है कि बार और बेंच नये मानदंड स्थापित करने की दिशा में काम करेंगे और इस संस्थान को आगे ले जाएंगे. जिनके पास सदियों की विरासत है वो निश्चित तौर पर देश को आगे बढ़ाने के लिए काफी कुछ दे सकते हैं. इस अवसर पर संस्थान को शुभकामना देते हुए प्रधानमंत्री ने उम्मीद जतायीऔर कहा कि देश आने वाले समय में हाई कोर्ट से काफी कुछ पाएगा.
मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम में कानून के जानकारों द्वारा निभायी गयी महत्वपूर्ण भूमिका को भी याद किया. उन्होंने अपनी लंदन यात्रा के दौरान घटी एक घटना का उल्लेख किया, जब एक जाने-माने वकील की 1930 में छीनी गयी सदस्यता को लौटाने का तोहफा उन्हें दिया गया. स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के कारण ब्रिटेन के बार ने उस वकील की सदस्यता छीन ली थी.
इसमौके परमुख्यमंत्रीनीतीश कुमार ने कहा, कार्यक्रम में प्रधानमंत्री उपस्थित हैंऔर मैं उनका स्वागत करता हूं. मुख्य न्यायाधीश का भी स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि गौरव की बात है कि इस हाईकोर्ट में देशरत्न राजेंद्र बाबू ने प्रैक्टिस किया था. यहां के न्याय निर्णय की काफी अहमियत रही है. यहां एक से एक विद्वान अधिवक्ता काम करते रहे हैं. उन सब के लिए यह गौरव का दिन है. लोकतंत्र में इंडिपेंडेंट जूडिशियरी की बड़ी भूमिका है.
नीतीश ने कहा कि जो भी जूडिशियरी की आवश्यकता है, हम अपने सीमित संधाधनों के बावजूद पूरा करने की कोशिश करते हैं. केंद्र व राज्य सबका दायित्व है कि जूडिशियरी को मजूबत करें. मैंकेंद्रीयमंत्री से राशि को समय पर रीलीज करने का आग्रह करता हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि हर इंसान को न्याय मिलेगा तो उसका विश्वास लोकतंत्र में और गहरा होगा. भारत में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं. इसके लिए हम सब प्रतिबद्ध हैं.
इस अवसर पर प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय विधि मंत्री डीवी सदानंद गौडा और बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद भी मौजूद थे. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले साल 18 मार्च को पटना हाईकोर्ट के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया था. प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने अदालतों में न्यायाधीशों की बड़ी संख्या में रिक्तियों को उजागर किया. यह अदालतों में तेजी से बढ़ते मामलों की संख्या की चुनौतियों को पूरा करने में समस्या पेश कर रहा है.
ठाकुर ने कहा, देश में 900 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या पर सिर्फ 468 न्यायाधीश हैं. इसका मतलब है कि देश में अदालतें आधी क्षमता पर ही चल रही हैं.