केंद्रीय बजट. केंद्र सरकार के आम बजट की जदयू-राजद ने की आलोचना, मुख्यमंत्री बोले
बजट से आर्थिक पैकेज व बीआरजीएफ गायब
कहीं से नहीं लग रहा था कि वित्त मंत्री या अर्थशास्त्री का बजट भाषण है, लगा कि एक वकील का बजट भाषण है
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आम बजट को निराशा से भरा करार दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक दिन पहले कहा था कि देश के 125 करोड़ लोग उनकी परीक्षा लेंगे.
आम बजट पेश हो गया है और बजट को कोई पास मार्क्स भी नहीं दे सकता है. बजट का परीक्षाफल प्रकाशित होने से इसमें प्रधानमंत्री फेल हो गये हैं. संसद में आम बजट पेश होने के बाद मुख्यमंत्री 7, सर्कुलर रोड स्थित अपने कैंप कार्यालय के बाहर बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी निशाना साधा. नीतीश कुमार ने कहा कि कहीं से नहीं लग रहा था कि वित्त मंत्री या अर्थशास्त्री का बजट भाषण है, लगा कि एक वकील का बजट भाषण है. केंद्रीय मंत्री डिस्प्यूट सेटेलमेंट पर ज्यादा बोल रहे थे. बजट में आम लोगों को कोई राहत नहीं मिलनेवाली है. इसमें कालाधन वालों को फायदा होगा. उनके लिए एमेनेस्टी स्कीम लायी जा रही है.
इसमें अगर किसी के पास देश से बाहर कालाधन है, तो वह लाओ, उसमें से 45 फीसदी राशि टैक्स के रूप में जमा करने और 55 फीसदी राशि से ऐश करो. साफ है कि अवैध धन को वैध करने के लिए केंद्र एमेनेस्टी स्कीम लायी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में बिहार को न तो विशेष राज्य का दर्जा देने की बात हुई और न ही विशेष पैकेज की ही चर्चा की गयी. सरकार ने पहले जो कुछ दिया था और विशेष पैकेज में जो कहा था, वह भी आम बजट से गायब हो गया.
बजट में किसान, कृषि, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की बात की गयी, लेकिन कहीं से भी कोई कंक्रीट कार्यक्रम नहीं दिखा. बहुत सारी बातों को कह दिया गया कि एनेक्सर में है, लेकिन वह वहां नहीं दिखा. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में जानबूझ कर बोझ डाल दिया गया है. केंद्र सरकार योजनाओं से अपने हाथ खींच रही है. इससे विकसित राज्यों का विकास तो हो गया, लेकिन जो राज्य पिछड़े थे, उनके हक के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया. बजट में क्षेत्रीय संतुलन भी नहीं बनाया गया.
किसानों से किये वादे पर अमल नहीं : मुख्यंमत्री ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वादा किया था कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत का 50 फीसदी जोड़ कर राशि दी जायेगी, लेकिन बजट में इस पर कोई प्रावधान नहीं किया गया. दो साल बाद भी वे अपने वादे पर कोई कदम नहीं उठाया. किसानों का इससे क्या भला होगा. बजट में कहा जा रहा है कि किसानों की आमदनी पांच साल में दोगुनी हो जायेगी. जब किसानों की आमदनी अभी ही कम है, तो दोगुनी भी कर जाये तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
आज जो उनकी माली हालत है, वह बरकरार रहेगी. भाजपा के मेनिफेस्टो में भी किसानों के साथ किये वादे का जिक्र था, लेकिन उसे भूल गये. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में तो केंद्र सरकार ने कह दिया है कि वह किसानों को यह लाभ नहीं दे सकते. तो भला चुनाव में वादा क्यों किया था? नीतीश कुमार ने कहा कि बजट में केंद्र के आर्थिक पैकेज और बीआरजीएफ का नाम तक नहीं है.
बीआरजीएफ का लाभ (12 हजार करोड़ रुपया) 12वीं पंचवर्षीय योजना में 2016-17 सत्र मिलना है, लेकिन इसका जिक्र तक नहीं है. बिहार में जो धान अधिप्राप्ति की गयी, उसका 2058 करोड़ रुपया भी केंद्र ने नहीं दिया है. रुरल एरिया का जिक्र कहा गया कि बजट की राशि बढ़ायी गयी है, लेकिन पहले पीएमजीआरवाइ में शत-प्रतिशत केंद्र सरकार खर्च करती थी, वहीं अब 60 फीसदी ही करेगी और 40 फीसदी खर्च का बोझ राज्य सरकार पर डाल दिया गया है.
राज्य के साथ अन्याय
सीएम ने कहा कि बजट में केंद्र ने राज्य सरकार के साथ अन्याय किया है. 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य को पैसा दिया गया, उसका भी बजट में जिक्र है. लगता है कि राशि दी जा रही है, जबकि यह राशि 14वें वित्त आयोग की है.
14वें वित्त आयोग ने बिहार के लिए 56,300 करोड़ रुपये की सिफारिश की, लेकिन प्रावधान 50,747 करोड़ रुपये का किया गया, जो बाद में रिवाइज के बाद 48,922 करोड़ हो गया. 2016-17 में बिहार को 14वें वित्त आयोग के अनुसार 64,973 करोड़ मिलना चाहिए, लेकिन आवंटन 55,233 करोड़ की बात हो रही है.करीब 10 हजार करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है.और वित्त आयोग की अनुशंसा भी नहीं मानी जा रही है.उन्होंने कहा कि कालाधन लाने के नाम पर वोट लिया था. इस सरकार ने कालाधन वालों से समझौता कर लिया है.
केंद्र सरकार के लिए था वादा निभाने का स्वर्णिम अवसर : मुख्यमंत्री
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के लिए तो स्वर्णिम अवसर था. दो साल बीत गये हैं.अब तक कुछ नहीं किया तो इस साल का बजट खास था. लेकिन रेल बजट की तरह ही आम बजट निराशाजनक रहा. अब दो साल बचे हैं. अगले साल बजट होगा और अंतिम साल वाले का कोई मतलब नहीं बनता. हर कुछ दिन में कोई-न-कोई स्कीम लायेंगे. राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का नाम बदल कर पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण योजना कर दिया. इस स्कीम में पहले राज्य को एक पैसा नहीं लगता था, लेकिन अब 40 फीसदी खर्च होगा. राज्यों का कितना हित सोचते हैं उससे पता चलता है.
सड़क बनाने पर भी न ले लें सर्विस टैक्स
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार जो बिल्डिंग बनाती है, उस पर भी सर्विस टैक्स लगाया है.हमने कहा था कि जब राज्य सरकार निर्माण करा रही है, तो उस पर सर्विस टैक्स न लें, लेकिन वह नहीं माने. अब कहीं राज्य की सड़कों का जब निर्माण हो, तो कहीं उस पर भी टैक्स न लगा दें. विधानसभा चुनाव के दौरान बिहार की बोली लगा दी थी. 50 करोड़, 60 करोड़, 70 करोड़, 90 करोड़, चलो 125 करोड़ दिया. 40 हजार करोड़ अलग से. इसका जिक्र तक नहीं है. इसका क्या मतलब है?
