19.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

यूरोपीय वास्तुकला का अनोखा नमूना है पटना हाइकोर्ट की इमारत, 100 साल पूरे

पटना : यूरोपीय वास्तुकला, संरचना की सबसे बेहतरीन बानगी के तौर पर तारीफ बटोर चुकी पटना उच्च न्यायालय की इमारत के आज 100 साल पूरे हो गये और खास बात यह है कि प्रथम विश्वयुद्ध के शुरू होने के बावजूद युवा बिहार की राजधानी में मौजूद इस इमारत के निर्माण कार्य को जारी रखा गया. […]

पटना : यूरोपीय वास्तुकला, संरचना की सबसे बेहतरीन बानगी के तौर पर तारीफ बटोर चुकी पटना उच्च न्यायालय की इमारत के आज 100 साल पूरे हो गये और खास बात यह है कि प्रथम विश्वयुद्ध के शुरू होने के बावजूद युवा बिहार की राजधानी में मौजूद इस इमारत के निर्माण कार्य को जारी रखा गया. तत्कालीन वायसराय लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंग ने औपचारिक रुप से तीन फरवरी, 1916 को एक शानदार समारोह में ‘पैलेडियन’ डिजाइन में निर्मित ‘नियो-क्लासिकल’ शैली में बनी इस विशाल इमारत का उद्घाटन किया था. चार्ल्स हाडि’ग ने ही एक दिसंबर, 1913 को इमारत की नींव रखी थी.

इस अवसर पर बिहार और ओडिशा के तत्कालीन उपराज्यपाल सर एडवर्ड गेट ने अपने भाषण में कहा था कि युद्ध के कारण पैदा हुए वित्तीय संकट के कारण नई राजधानी पर हो रहे खर्च में भारी कटौती जरूरी हो गयी है और इसी कारण सचिवालय तथा अन्य इमारतों का निर्माण कार्य रद्द या टाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि लेकिन यह भी माना गया कि प्रांतीय उच्च न्यायालय की स्थापना में देरी नहीं की जानी चाहिए और इसलिए इमारत का निर्माण और जोर शोर से किया जाने लगा।’ संयोगवश, लॉर्ड हार्डिंग ने बंगाल विभाजन के बाद अलग प्रांत के तौर पर बिहार और ओडिशा के निर्माण में अहम भूमिका निभायी थी। पटना इसकी नई राजधानी थी, जिसकी घोषणा 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में की.

अंग्रेजी के अक्षर ‘यू’ आकार में बनी यह इमारत ऐतिहासिक बेली रोड पर स्थित है, जिसका निर्माण करने वाले वास्तुशिल्प जे. एफ. म्युनिंग्स के सहायक ए. एम. मिलवुड थे और तब से यह इमारत 1934 के भीषण भूकंप सहित कई छोटे बडे भूकंप के झटकों, बाढ़ को झेल चुकी है. मुख्य न्यायाधीश एडवर्ड मेनार्ड डे चैम्प चैमियर पटना उच्च न्यायालय के पहले न्यायाधीश थे. इनके अलावा तीन भारतीय न्यायाधीश – न्यायमूर्ति सैयद शफरुद्दीन, न्यायमूर्ति बसंत कुमार मलिक और न्यायमूर्ति ज्वाला प्रसाद सहित छह सहयोगी न्यायाधीश थे. पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और ‘पटना हाईकोर्ट : ए सेंचुरी ऑफ ग्लोरी’ के लेखक न्यायमूर्ति :सेवानिवृत्त: एस के कटरियार का कहना है कि इमारत की नींव रखने और इसके उद्घाटन का समारोह बहुत शानदार था और इन दोनों कार्यक्रमों में शिरकत करने वाले लॉर्ड हाडि’ग ऐसे पहले वायसराय थे. 1936 में ओडिशा के अलग प्रांत बनने के बाद भी 1948 तक इसी न्यायालय से न्यायिक कार्य चलता रहा.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel