पटना : ब्रेन में ट्यूमर, फोड़ा, माइग्रेन सहित कई बीमारियों की शुरुआत महज सिर दर्द से होती है. अगर लंबे समय से सिर में दर्द की शिकायत हो, तो उसे इग्नोर न करें. गंभीरता से लेते हुए तुरंत अच्छे चिकित्सक से जांच करा कर उसका इलाज कराएं.
उक्त बातें पारस अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ मुकुंद प्रसाद ने कही. डॉ प्रसाद शुक्रवार को प्रभात खबर व पारस एचएमआरआइ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन टेली हेल्थ काउंसेलिंग में पाठकों द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्षों पुराना सिर दर्द, दर्द के साथ उल्टी या मिरगी जैसे लक्षण काफी
गंभीर होते हैं.
लोग खुद से दर्द की दवा खाकर ठीक कर लेते हैं. लेकिन, एक समय ऐसा आता है जब दर्द की दवा भी काम नहीं करता है. ऐसी स्थिति में लोगों को चाहिए कि लक्षण दिखने पर किसी न्यूरो सर्जन या मेडिसिन से जरूर दिखा लें. डॉ प्रसाद ने कहा कि हाल के दिनों में हुए सर्वे में यह बात भी निकल कर सामने आयी है कि ऐसा बहुत कम परिवार होगा, जहां का एक सदस्य सर दर्द की चपेट में नहीं होगा, लेकिन इसका यह भी मतलब नहीं है कि वह किसी गंभीर बीमारी की चपेट में हैं. क्योंकि सर दर्द का एक मुख्य कारण क्षमता से अधिक परेशानी झेलना भी होता है.
चलने-फिरने में परेशानी होती है. रीढ़ की हड्डी के पास तेज दर्द रहता है और उठना-बैठना मुश्किल है. -राजीव वर्मा, समस्तीपुर
पहले किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिले. इसके बाद भी आराम नहीं हो, तो किसी न्यूरो सर्जन से मिल सकते हैं. कभी-कभी रीढ़ की हड्डी के पास-पास से गुजरनेवाली नस दब जाती है. इसके कारण भी परेशानी होती है, जो खतरनाक है.
10 मिनट चलने के बाद पिताजी (उम्र 57) को कमर के नीचे दर्द शुरू हो जाता है. जोड़ों में दर्द इतना हो जा है कि वह चलने लायक नहीं रहते हैं. रवि कुमार, किशनगंज
इस उम्र में जोड़ों का दर्द आम बात है. इसलिए सबसे पहले किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ से दिखा लें. बावजूद इसके बीमारी ठीक नहीं हो, तो उसके बाद किसी न्यूरो चिकित्सक से दिखाये.
सिर के एक हिस्से में तेज दर्द होता है. जो एक-दो दिन बीच कर आता है. -कुणाल, जमुई
माइग्रेन में सिर दर्द रह-रह कर होता है और अधिकांश समय यह दर्द सिर के एक हिस्से में होता है. इस बीमारी का इलाज समय से कराया जाए, तो इसका इलाज संभव है. माइग्रेन से बचने के लिए लोगों को अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने की जरूरत है. जैसे सही समय पर खाना, सोना मुख्य है.
कभी – कभी दां व बायां हाथ व पैर में झटका महसूस होता है. -राजेश कुमार सिंह, किशनगंज
ज्यादातर शरीर के एक तरफ के हिस्से जैसे दायां या बायां हाथ व पैर के झटके द्वारा सामने आता है. इसका पूरा इलाज दवाओं द्वारा संभव है. इस बीमारी को दिमागी गांठ (न्यूरोसिस्टीसरकोसिस) कहते हैं. इसमें भी मिरगी रोकने की दवा दी जाती है, जिसे मरीजों को नियमित लेना चाहिए.
मेरा सात साल का बच्चा है. उसे कभी-कभी झटका आता है. -संजीव कुमार, जहानाबाद
बच्चे को मिरगी शुरुआती दौरा हो
सकता है. आप तुरंत किसी न्यूरो चिकित्सक के पास जाएं और उसका इलाज करायें.
चलने में सिर हिलता है. हाथ में कंपन है. -राजीव कुमार, मुजरफ्फरपुर
किसी न्यूरो फिजिशियन से मिलें. जांच के बाद बीमारी ठीक हो जायेगी. परेशान होने की जरूरत नहीं हैं.जन्म के बाद मेरा बच्चा 10 मिनट बाद रोया था. जन्म के तीन साल बाद एक बार उसे झटका आया है. -रवि कुमार, किशनगंज
बच्चे को किसी शिशु रोग विशेषज्ञ से दिखायें. ठीक नहीं हो, तो न्यूरो सर्जन से दिखा लें. बच्चा सेरेब्रलपाल्सी से ग्रसित हो सकता है.
इन्होंने भी पूछा सवाल
रजत (पटना), प्रकाश कुमार (पटना), संजीव कुमार (पटना), महंत सिंह (पटना), कंचन कुमारी (पटना), राजकुमार (जहानाबाद) , संजीव मेहरा (सहरसा), कुंदन कुमार (पटना), मंगली देवी (मुजफ्फरपुर), दीपू (गया), दीपक कुमार (रोहतास).
