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55 अस्पताल ट्रॉमा सेंटर के रूप में चिह्नित, राज्य में सड़क दुर्घटना के बाद लोगों की बचाना होगा आसान

बिहार में सड़क दुर्घटना के बाद लोगों को तुरंत इलाज मिल सके, इसके लिए राज्यभर के 55 अस्पताल ट्रॉमा सेंटर के रूप में चिह्नित हैं.

संवाददाता, पटना

बिहार में सड़क दुर्घटना के बाद लोगों को तुरंत इलाज मिल सके, इसके लिए राज्यभर के 55 अस्पताल ट्रॉमा सेंटर के रूप में चिह्नित हैं. इन अस्पतालों को ट्रॉमा सेंटर के रूप में चिह्नित करने का मूल मकसद सड़क हादसे में शिकार लोगों की जान बचाना है.बिहार सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि इन अस्पतालों में जल्द ही पूरे तौर पर उपकरण लगाये जायेंगे और जरूरत के अनुसार स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की जायेगी, ताकि इन अस्पतालों में मरीजों का और बेहतर इलाज हो सकें और सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों में साल दर साल वृद्धि को कम किया जा सके.

मिजोरम के बाद बिहार में सबसे अधिक लोगों की सड़क दुर्घटना में हो रही है मौत

समीक्षा में पाया गया कि ट्रॉमा अस्पतालों में मानव बल और जरूरी उपकरणों की कमी है.इस कारण परिवहन विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कहा कि सड़क दुर्घटना के मामलों को देखते हुए जिला अस्पतालों के ट्रॉमा सेंटर को पूर्ण रूप से कार्यरत करें.सेंटर पर जरूरत के अनुसार स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली की जाये और उपकरणों की खरीदारी हो. मिजोरम के बाद बिहार देश का दूसरा राज्य है जहां सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें हो रही हैं.इस वर्ष पहली तिमाही में हर रोज 34 हादसे हुए ,जिनमें 28 लोगों की मौत हुई.पिछले साल की तुलना में इस वर्ष की पहली तिमाही में सड़क हादसों में 19 फीसदी तो मौत में 18 फीसदी की वृद्धि हुई है.

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