पटना: राज्य में 15 लाख रुपये तक के सरकारी ठेके में अब अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. यह निर्णय मंगलवार को राज्य कैबिनेट की हुई बैठक में लिया गया. इसके अलावा दांगी जाति को अति पिछड़ा वर्ग और तांती को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया गया है. साथ ही 2015-16 सत्र में साइकिल -पोशाक राशि के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है.
बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि राज्य के सभी कार्य विभाग, योजना एवं विकास विभाग के अंतर्गत स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन, निगम, उपक्रम, प्राधिकरण, पर्षद एवं निकाय के अधीन वैसे कार्य में 50 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा, जिसकी राशि 15 लाख या इससे कम हो. उन्होंने बताया कि नये प्रावधान के अनुसार ठेके में अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को एक प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 12 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को तीन प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. श्री सिन्हा ने बताया कि ठेकेदारी के लिए इन्हें जाति प्रमाणपत्र की प्रति, प्रपत्र क, पैन रजिस्ट्रेशन की प्रति, आवासीय प्रमाणपत्र और निर्धारित शुल्क का बैंक ड्राफ्ट देना होगा. गौरतलब है कि जीतन राम मांझी की पूर्ववर्ती सरकार ने भी ठेकेदारी में आरक्षण का लाभ इन जातियों को दिया था.
श्री सिन्हा बताया कि दांगी जाति को पिछड़े वर्ग की सूची से हटा कर अति पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जबकि तांती (ततवा) को अत्यंत पिछड़ों की सूची से हटा कर पान-स्वासी अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है. इसके अलावा राज्य के सरकारी प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, अनुदानित माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों और प्रस्वीकृत मदरसा, संस्कृत (सहायताप्राप्त) प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में मुख्यमंत्री पोशाक, साइकिल प्रोत्साहन-मेधावृत्ति और छात्रवृत्ति के लिए सिर्फ एक साल के लिए 75 प्रतिशत की उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है.
इंदिरा आवास में केंद्रांश और राज्यांश अब 50-50%
राज्य में चालू वित्तीय वर्ष में बननेवाले 2.80 लाख इंदिरा आवास में केंद्र और राज्य सरकार को 50-50 प्रतिशत राशि खर्च करनी होगी. कैबिनेट की बैठक में 50 प्रतिशत राज्यांश की अनुमति दी गयी. कैबिनेट सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि अब तक इंदिरा आवास के लिए केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत राशि खर्च करती थी. उन्होंने बताया कि केंद्रांश के रूप में 1032.03 करोड़ और राज्यांश के रूप में 1032.03 करोड़ रुपये खर्च करने की अनुमति दी गयी है. केंद्रांश और राज्यांश के अनुपात में बदलाव के कारण राज्य सरकार को 688 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे.
श्रेणी चार के स्थानीय ठेकेदार के लिए निबंधन शुल्क
श्रेणी चार के स्थानीय ठेकेदार के लिए बिहार ठेकेदारी निबंधन नियमावली में संशोधन की स्वीकृति मिली है. इस संशोधन के बाद स्थानीय अभिकर्ता को निबंधन शुल्क के रूप में दो हजार रुपये देने होंगे. श्रेणी एक, दो और तीन के लिए पांच वर्ष की अवधि और श्रेणी चार के अभिकर्ता के लिए 10 साल के लिए निबंधन मान्य होगा. श्रेणी चार के अभिकर्ता को 10 साल बाद पुन: दो हजार रुपये की शुल्क देकर नवीकरण होगा.
अन्य फैसले
-पिछड़े वर्ग के लिए राज्य आयोग को सहायक अनुदान के रूप में एक करोड़ 93 लाख 63 हजार रुपये में से एक करोड़ 43 लाख 80 हजार तीन सौ रुपये मंजूर -अति पिछड़े वर्ग के लिए राज्य आयोग को सहायक अनुदान मद में एक करोड़ 82 लाख 58 हजार रुपये में से एक करोड़ 14 लाख 78 हजार 284 रुपये स्वीकृत
-उच्च जातियों के लिए राज्य आयोग को सहायक अनुदान दो करोड़ 39 लाख 76 हजार रुपये में से एक करोड़ 46 लाख 39 हजार सात सौ रुपये मंजूर
– लोक वित्त एवं आर्थिक नीति केंद्र की स्थापना के लिए एक करोड़ 88 लाख 15 हजार रुपये सहायक अनुदान मंजूर, चालू वित्तीय वर्ष में 97.25 लाख रुपये की निकासी की अनुमति
-गरीबी रेखा से ऊपर या दो लाख पचास हजार रुपये तक वार्षिक आयवाले गरीबों की असाध्य रोगों के इलाज के लिए मुख्यमंत्री चिकित्सा कोष में 40 करोड़ रुपये खर्च की अनुमति
-भोजपुर के जगदीशपुर व पीरो और सीतामढ़ी के बेलसंड में अनुमंडलीय कोर्ट के लिए तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के 144 पदों को सृजित करने पर स्थापना मद में खर्च के लिए दो करोड़ 73 लाख 71 हजार 686 रुपये स्वीकृत.
-भागलपुर जिले के जगदीशपुर-सन्हौला में क्रास ड्रेन कार्य सहित निर्माण से जुड़े सभी कार्य के लिए 40 करोड़ 53 लाख 11 हजार रुपये स्वीकृत
-दरभंगा जिले के बलिया-ककोढ़ा-देवना-रजवार-झंझारपुर पथ में कमला नदी के सुतरिया घाट पर पुल के निर्माण सहित अन्य कार्य के लिए 40 करोड़ 48 लाख 70 हजार रुपये स्वीकृत.
मधुबनी जिले के झंझारपुर के निकट एनएच -57 पर कमला बलान नदी पर पुल निर्माण के लिए 41 करोड़ 97 लाख पांच हजार रुपये स्वीकृत.
-गोपालगंज जिले के कटैया के रानीपुर में विद्युत उपकेंद्र स्थापित करने के लिए 50 डिसमिल जमीन के लिए 85 लाख 50 हजार रुपये भुगतान की स्वीकृति.
पश्चिम चंपारण के ठकराहा में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युत उपकेंद्र की स्थापना के लिए 0.50 एकड़ जमीन बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी को हस्तांतरण की स्वीकृति.
निजी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए सरकार कम ब्याज पर दिलायेगी लोन
प्रदेश में निजी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल खोलने पर सरकार अन्य उद्योगों के तर्ज पर सभी सुविधाएं मुहैया करायेगी. साथ ही कम ब्याज दर पर बैंक लोन भी दिलवायेगी. हालांकि, इसके लिए जमीन की व्यवस्था खुद करनी होगी. यह निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में लिया गया. सीएम संवाद कक्ष में करीब दो घंटे तक चली उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि वे ऐसी व्यवस्था करें, जिससे मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के क्षेत्र में अधिक-से-अधिक लोग निवेश को आगे आएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पेशयलिटी, सुपर स्पेशयलिटी, मल्टी स्पेशयलिटी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज खोलनेवाले चार श्रेणियों के उद्यमियों को बैंक से टर्म लोन मिलेगा. निवेश करनेवालों को इस पर ब्याज में सब्सिडी दी जायेगी.
बैठक में निर्णय लिया गया कि वैसे उद्यमी, जो स्पेशयलिटी, सुपर स्पेशयलिटी, मल्टी स्पेशयलिटी और मेडिकल कॉलेज खोलेंगे, उन्हें सरकारी सहायता लोन इंटरेस्ट सब्सिडी के रूप में दी जायेगी. इसके बदले ऐसे अस्पतालों को निर्धारित सीमा क्षमता तक बीपीएल, गरीब एवं अन्य प्राथमिकतावाले मरीजों को रियायती दरों पर इलाज की सुविधा देना अनिवार्य होगा. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल खोलने के लिए निवेशकों को बियाडा की जमीन नहीं दी जायेगी.
मुख्यमंत्री ने बैठक में बिहार स्वास्थ्य सेवा निवेश नीति पर चर्चा करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र में समुचित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जायेगा. बिहार स्वास्थ्य सेवा निवेश नीति के माध्यम से राज्य के लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया करायी जायेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र में अधिक-से-अधिक स्पेशयलिटी, सुपर स्पेशयलिटी, मल्टी स्पेशयलिटी एवं मेडिकल कॉलेज खुले, ताकि जनता को इन संस्थाओं से उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सके. उन्होंने कहा कि सरकार का मूल उद्देश्य राज्य में चिकित्सा शिक्षा एवं सहायक क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देना है. साथ ही निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी बेहतर सेवाओं के लिए इन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना है.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में होंगे ये भी शामिल
बैठक के बाद स्वास्थ्य सचिव आनंद किशोर ने बताया कि सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में नेफ्रोलॉजी और यूरोलाजी, रेनल ट्रांसप्लांटेशन, इन्डोक्रोनोलाजी न्यूरोसजर्री, गैस्ट्रोइंट्रोरोलॉजी, जीआइ सजर्री, लीवर ट्रांसप्लांटेशन, अंकोलॉजी (सजर्री, केमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी) के अलावा गाइनोकोलॉजी, आइ (आंख) एवं आर्थोपेडिक को भी जोड़ा जायेगा.
बैठक में ये हुए शामिल
बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक, विकास आयुक्त एसके नेगी, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डीएस गंगवार, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र, वित्त विभाग के प्रधान सचिव रवि मित्तल, प्रधान सचिव वाणिज्यकर सुजाता चतुर्वेदी, प्रधान सचिव उद्योग त्रिपुरारि शरण, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा आदि उपस्थित थे.
उद्योग के तर्ज पर मिलेंगी सभी सुविधाएं
शर्ते : 1. ऐसे अस्पतालों को बीपीएल, गरीब एवं अन्य प्राथमिकतावाले मरीजों को रियायती दरों पर इलाज करना अनिवार्य होगा.
2. जमीन की व्यवस्था खुद करनी होगी
बियाडा की जमीन नहीं मिलेगी
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि बियाडा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसे स्पेशियलिटी, सुपर स्पेशयलिटी, मल्टी स्पेशियलिटी एवं मेडिकल कॉलेज की स्थापना नहीं की जायेगी, क्योंकि औद्योगिक क्षेत्रों में ऐसे अस्पतालों के मरीजों को वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं अन्य प्रकार की कठिनाइयां उत्पन्न हो सकती हैं. औद्योगिक क्षेत्र में अस्पताल खोलना मेडिकल नॉर्म्स के खिलाफ है.