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नीतीश को सीएम बनाना कर्तव्य मगर मेरा दिल दलित के पक्ष में : मांझी

पटना : मुख्यमंत्री बदलने को लेकर लगातार आ रही बयानबाजी और नीतीश कुमार को फिर से कमान देने पर सीएम जीतन राम मांझी ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि अगर कोई विधायक ऐसा सोचते हैं, तो इसमें गलत क्या है? विधायक दल की बैठक होगी. उसमें विचार होगा. 20 फरवरी से शुरू हो रहे […]

पटना : मुख्यमंत्री बदलने को लेकर लगातार आ रही बयानबाजी और नीतीश कुमार को फिर से कमान देने पर सीएम जीतन राम मांझी ने चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने कहा कि अगर कोई विधायक ऐसा सोचते हैं, तो इसमें गलत क्या है? विधायक दल की बैठक होगी. उसमें विचार होगा. 20 फरवरी से शुरू हो रहे बजट सत्र को लेकर 20 या 23 फरवरी को विधायकों की बैठक होनी है. उसमें बात हो सकती है. मुख्यमंत्री सोमवार को जनता दरबार कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पद से हटने के लिए उन पर कोई दबाव नहीं है. पार्टी में किसी के काम से कोई संतुष्ट है, तो कोई संतुष्ट नहीं है. मेरी अब कोई इच्छा भी नहीं है. विधायक दल की बैठक में पहले तय हुआ था कि अगली बार हम सत्ता में आये, तो नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे. इस पर हम आज भी अडिग हैं. विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नीतीश कुमार ही होंगे. उनके नाम का प्रस्ताव रखने की जरूरत पड़े, तो हम ही सबसे पहले रखेंगे.
यह मेरा कर्तव्य है, लेकिन जहां तक भावना का सवाल है, तो हम अनुसूचित जाति के हैं, गरीब परिवार से आते हैं. उनकी अपनी भावना है. अनुसूचित जाति का मुख्यमंत्री ही इस वर्ग के बारे में सामाजिक न्याय और कल्याण के बारे में ज्यादा बेहतर सोच सकता है, दूसरी जाति के मुख्यमंत्री की अपेक्षा. इसलिए अनुसूचित जाति-महादलित होने के नाते हम चाहते हैं कि इस वर्ग के विकास के लिए इसी वर्ग से कोई मुख्यमंत्री बने. सीएम ने कहा कि इस मामले पर उनके बयानों को गलत ढंग से पेश किया जाता है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में भू-राजस्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव मौजूद थे.
काम से नहीं थे संतुष्ट, इसलिए किये तबादले
पथ निर्माण मंत्री राजीव रंजन सिर्फ उर्फ ललन सिंह और वन-पर्यावरण मंत्री पीके शाही द्वारा तबादलों पर सवाल उठाने पर मुख्यमंत्री ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि वह पथ निर्माण विभाग के काम से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए तबादला किया है. वह विभाग अपना रिजल्ट नहीं दे पा रहा था. मंत्री पर कार्रवाई के सवाल पर सीएम ने कहा कि यह आगे की बात है, लेकिन करना होगा, तो मीडिया से पूछ कर नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री ने खुलासा किया कि कई बार मंत्रियों की बात मान कर तबादला करना पड़ता है. जब काम नहीं हो रहा है, तो उसे बेहतर करने के लिए ट्रांसफर जरूरी होता है. मंत्री अगर उनसे कहे होते कि तबादला नहीं करें, तो वे करते.
वे कहते कि अधिकारी अच्छा काम नहीं कर रहे हैं, तो कार्रवाई होती. सीएम ने कहा कि मंत्रियों ने मुख्य सचिव से सवाल किये और उन्होंने उन सवालों का जवाब दे दिया है. उन्हें शायद जानकारी नहीं थी, इसलिए उन्होंने सवाल उठाया. 2007 में कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद मुख्यमंत्री को तबादले के लिए ऑथराइज किया गया था. इसके बाद 2007, 2008 व 2009 में तबादले भी किये गये. इसमें एक कमेटी होती है और तबादले का कारण बताया जाता है. जो तबादले किये गये हैं, उसके भी कारण बताये गये हैं. सीएम ने कहा कि तबादला वैसे अधिकारियों का हुआ, जो खराब काम कर रहे थे.
उन जगहों पर उन्हें लाया गया है, जो अच्छा काम कर रहे थे. यह ट्रांसफर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए नहीं, बल्कि काम अच्छी तरह हो, इसके लिए किया गया है. दो-तीन बार तबादले के बाद से काम भी अच्छा हो रहा है. मंत्रियों से मतभेद के सवाल पर सीएम ने कहा कि ऐसा नहीं है. कैबिनेट का सामूहिक उत्तरदायित्व होता है और हर बात हम लोग समझ रहे हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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