पटना: केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि महाराणा प्रताप ने स्वाभिमान की खातिर घास की रोटी खाना पसंद किया, लेकिन समझौता करना नहीं. अगर वह समझौता किये होते, तो उन्हें सर्वस्व न्योछावर नहीं करना पड़ता. आज कुछ वैसी ही परिस्थिति बिहार में आ गयी है. महाराणा प्रताप की 417वीं पुण्यतिथि पर आयोजित महाराणा महोत्सव का उद्घाटन करते हुए श्री कुशवाहा ने कहा कि पैर में लटक कर चलना उन्हें नहीं आता है.
सम्मान की खातिर सब कुछ छोड़ कर अलग हुए. इसलिए सम्मान के लिए संकल्प लेना जरूरी है. संकल्प ऐसा लेना चाहिए, जो आचरण में उतार सकें. कुशवाहा ने कहा कि ऐसा नहीं है, जो जीता वही सिंकदर होता है. ईमानदारी व ईमानदार नीयत से लड़ाई लड़नेवाला भी सिकंदर होता है. उन्होंने कहा कि शिक्षा की कमी के कारण लोग महापुरुषों के संदेश पढ़ने से वंचित रह जाते हैं. केंद्र सरकार द्वारा यह व्यवस्था की जा रही है कि साइंस पढ़नेवाला भी इतिहास का अध्ययन कर सके. रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद डॉ अरुण कुमार ने कहा कि क्षत्रिय समाज अन्याय के खिलाफ सब दिन संघर्ष करता है.
एक बार फिर यह समय आ गया है. जंगलराज के खात्मे के लिए जिसे गद्दी पर बिठाया, वह क्षत्रिय समाज के साथ विश्वासघात करने लगा. आनंद मोहन ने कभी घुटना नहीं टेका. पूर्व विधायक बालेंद्र सिंह ने कहा कि जब पप्पू यादव जेल से छूट सकते हैं, तो आनंद मोहन क्यों नहीं. वे निदरेष हैं. पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने बदला लेने के लिए उन्हें जेल भेजने का काम किया. कार्यक्रम को विधान पार्षद संजीव श्याम सिंह, रालोसपा के कार्यकारी अध्यक्ष ललन पासवान, अखिलेश सिंह, पारसनाथ सिंह, शंकर झा आजाद आदि ने संबोधित किया. अध्यक्षता विज्ञान स्वरूप सिंह, स्वागत राज कुमार सिंह व संचालन विजय बहादुर सिंह ने किया. कार्यक्रम में रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता, प्रो अभयानंद सुमन, अनिल आदि थे.
एकजुट होकर लड़ाई लड़ें : कालवी
महाराणा प्रताप के 24वें वंशज लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा कि बिहार क्रांतिवीरों की धरती रही है, तभी तो महाराणा प्रताप को इस तरह पूजा जा रहा है. बाबू कुंवर सिंह ने सम्मान के लिए कभी घुटने नहीं टेके. उन्होंने कहा कि राजनीतिक तौर पर समाज में बिखराव पैदा करने की कोशिश की जाती है. इसलिए जरूरी है कि एकजुट होकर लड़ाई लड़ें. अगर समय निकल गया, तो माफ करनेवाला कोई नहीं होगा. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल में समाज के नेता रहें, उसे बढ़ाने का काम करें. अगर किसी राजनीतिक दल द्वारा उपेक्षा की जाती है, तो साथ देनेवाले की मदद करें. उन्होंने कहा कि वे दिवंगत नेता दिग्विजय सिंह के साथ पटना आये थे. मेरे पिताजी कल्याण सिंह कालवी उनके राजनीतिक गुरु रहे. श्री कालवी ने फिल्मों में दिखाये जा रहे इतिहास की चीजों पर आपत्ति व्यक्त किया. इसलिए जरूरी है कि समाज को एकजुट होकर ऐसी चीजों का विरोध होना चाहिए. उन्होंने आश्वस्त किया कि जब भी उन्हें बुलाया जायेगा, वे आयेंगे.