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सूबे में मेडिकल की बढ़ेंगी 600 सीटें

13 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की होंगी 1550 सीटें प्रह्वाद कुमार पटना : बिहार में मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रों को बाहर नहीं जाना पड़े, इसके लिए सूबे में नये चार मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. सभी में एमबीबीएस की 100-100 सीटें होंगी. इसके अलावा पीएमसीएच, एनएमसीएच व गया मेडिकल कॉलेज में 200 […]

13 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की होंगी 1550 सीटें
प्रह्वाद कुमार
पटना : बिहार में मेडिकल की पढ़ाई के लिए छात्रों को बाहर नहीं जाना पड़े, इसके लिए सूबे में नये चार मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. सभी में एमबीबीएस की 100-100 सीटें होंगी. इसके अलावा पीएमसीएच, एनएमसीएच व गया मेडिकल कॉलेज में 200 सीटें बढ़ायी जायेंगी. इस तरह राज्य में 13 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1550 सीटें हो उपलब्ध होंगी. वर्तमान में नौ मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल 950 सीटें हैं.
मधेपुरा, पूर्णिया, छपरा, समस्तीपुर में नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की जा रही है, जबकि पीएमसीएच में एमबीबीएस की सीटें 100 से बढ़ा कर 250, एनएमसीएच व गया मेडिकल कॉलेज में 50-50 सीटें बढ़ा कर 150 करने का काम किया जा रहा है. विभागीय सूत्रों की मानें, तो जनवरी में एमसीआइ की टीम जब बढ़ी सीटों का निरीक्षण करने आयेगी, तो उस वक्त तक संबंधित कॉलेजों की सभी कमियों को पूरा कर लिया जायेगा. कमियों को दूर करने के लिए सभी प्राचार्यो को 15 दिनों का समय दिया गया है.
साथ ही उन्हें पर्याप्त सीटों के लिए योजनाएं सौंपी गयी हैं. दरअसल स्वास्थ्य विभाग के सभागार में सीटों को बढ़ाने को लेकर प्राचार्यो की बैठक हुई थी. मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर पीएमसीएच को विकसित करने की योजना बनायी गयी है, जिस पर पूर्व प्राचार्य डॉ अमर कांत झा अमर ने काफी हद तक काम किये हैं.
शिक्षकों की कमी दूर करने की कवायद
बिहार के नौ मेडिकल कॉलेजों में लगभग ढाई हजार शिक्षक हैं. लेकिन, मानक के मुताबिक हर मेडिकल कॉलेज में 100 छात्रों पर तीन सौ शिक्षक होने चाहिए. शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए सरकार शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र 65 से बढ़ा कर 70 करनेवाली है. अगर ऐसा हुआ, तो मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की कमी एक हद तक दूर हो जायेगी.
मालूम हो कि हर साल एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए 500 छात्र बाहर पढ़ने के लिए जाते हैं, जिनका खर्च लाखों में हैं. सूत्रों के अनुसार प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एक छात्र को एमबीबीएस की पढ़ाई पर लगभग 50 लाख का खर्च आता है. ऐसे में उन छात्रों के लिए बिहार में कम-से-कम 21 मेडिकल कॉलेजों की जरूरत है. गौरतलब है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई पर महज 30 हजार रुपये का खर्च आता है.
बिहार में तकनीकी संस्थानों के खुलेंगे कैंपस
पटना : बिहार में बीआइटी, मेसरा के तर्ज पर सिक्किम मणिपाल समेत अन्य तकनीकी संस्थाओं के कैंपस खुलेंगे. इसके लिए नामी संस्थानों को न्योता दिया जायेगा. विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग इसका प्रस्ताव तैयार कर रहा है. इन तकनीकी संस्थानों का दिसंबर-जनवरी में वर्कशॉप का आयोजन किया जा सकता है, जिसमें बिहार में कैंपस खोलने के लिए जरूरी चीजों की जानकारी ली जायेगी. बिहार में आइआइटी, एनआइटी समेत कुल 13 सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जबकि इतने ही प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज भी चल रहे हैं.
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में जहां सीटें भर जा रही हैं, वहीं कई प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें खाली रह जाती हैं. इधर, नौ निजी विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग के पास आये हैं. इनमें से बिहटा में अमेटी विश्वविद्यालय को कैबिनेट की मंजूरी भी मिल चुकी है, जबकि बिहारशरीफ में केके विश्वविद्यालय स्थापना भी लगभग तय मानी जा रही है.
एमसीआइ की गाइडलाइन के मुताबिक पीएमसीएच को विकसित करने की योजना बनायी गयी, जिससे पीएमसी में एमबीबीएस में सीटों की संख्या 250 हो जायेगी. इसके लिए परिसर में शिक्षकों की कमी को दूर किया जायेगा, साथ ही लेक्चर हॉल, लैब, हॉस्टल आदि की संख्या बढ़ायी जायेगी. इसके बाद एमसीआइ की टीम निरीक्षण के लिए आयेगी, तो उन्हें 250 सीटों के लिए मान्यता देनी होगी.
डॉ एसएन सिन्हा, प्राचार्य, पीएमसीएच
पहले अनुबंध पर बहाल शिक्षकों को नियमित करने की जरूरत है और उसके बाद शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र 70 करने की. अगर सरकार ऐसा करने में सफलता मिली, तो मेडिकल कॉलेजों से शिक्षकों की कमी लगभग दूर हो जायेगी. इससे छात्रों को परेशानी दूर हो जायेगी.
डॉ राजीव रंजन प्रसाद, पूर्व अध्यक्ष, आइएमए

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