पटना : इन दिनों प्रदेश में पावर होल्डिंग कंपनी का कई काम आउटसोर्सिंग के सहारे चल रहा है. मीटर रीडिंग का पूरा काम आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से कराया जा रहा है. लाइनमैन के 70-80 फीसदी काम भी बाहर के मानव बल से कराये जा रहे हैं. फ्यूज कॉल सेंटर भी आउटसोर्स मैन पावर की सहायता से संचालित हो रहे हैं. लेकिन आउटसोर्स कर्मियों के कार्यप्रणाली और व्यवहार की आये दिन शिकायत सामने आती रहती है.
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आउटसोर्स कर्मियों की मनमानी से सब परेशान
पटना : इन दिनों प्रदेश में पावर होल्डिंग कंपनी का कई काम आउटसोर्सिंग के सहारे चल रहा है. मीटर रीडिंग का पूरा काम आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से कराया जा रहा है. लाइनमैन के 70-80 फीसदी काम भी बाहर के मानव बल से कराये जा रहे हैं. फ्यूज कॉल सेंटर भी आउटसोर्स मैन पावर की […]
प्रभात खबर की टीम ने कुछ पीड़ित उपभोक्ताओं से बात कर ऐसे मामलों की सच्चाई जानने का प्रयास किया. टीम ने पाया कि आउटसोर्स कर्मियों की मनमानी से एक ओर विद्युत उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है. वहीं, दूसरी ओर पावर होल्डिंग कंपनी को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है.
बार-बार सामने आ रही मीटर रीडिंग मिस्टेक, हलकान हो रहे उपभोक्ता
मीटर रीडिंग की गलती बार बार सामने आ रही है. कभी ऊपर वाले मीटर की रीडिंग नीचे वाले मीटर में दर्ज हो जाती है तो कभी एक अंक की जगह दूसरा अंक अंकित हो जाने से रीडिंग में कई गुना का अंतर हो जाता है. अलकापुरी के ध्रुव कुमार ने बताया कि मिस रीडिंग के कारण तीन माह पहले उन्हें 1600 की जगह 10,000 रुपये का बिल दे दिया गया. ऐसा पहली बार नहीं हुआ. इससे पहले भी उन्हें 10 हजार रुपये का भारी री भरकम बिल गलत रीडिंग के कारण मिल चुका है.
उस बार तो विवाद का निबटारा होने से पहले ही कनेक्शन काटने वाली टीम भी आ गयी थी. ऐसा नहीं कि ध्रुव ऐसे एकमात्र उपभोक्ता मिले. और भी कई उपभोक्ताओं ने प्रभात खबर की टीम को बताया कि कैसे लापरवाही से लिये गये मीटर रीडिंग के कारण उनके सामने आठ-दस हजार का बिल चुकाने की समस्या आ गयी.
बिल के संबंध में शिकायत करने पर भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं जिसके अंतर्गत मामले का निष्पादन नहीं होने तक बकाया राशि को लेकर कनेक्शन काटने की कार्रवाई नहीं की जाये. ऐसे में उपभोक्ता किसी भी दिन कनेक्शन कट जाने का भय लिए डिविजनल ऑफिस से हेड ऑफिस तक दौड़ते रहे.
हालांकि, समस्या का जल्द निदान निकालने की बजाय ज्यादातर अधिकारियों का कहना था कि पहले बिल भर दें. यदि बाद में यह गलत रीडिंग का मामला निकला, तो अगले बिल में अतिरिक्त राशि सामंजित कर ली जायेगी. उपभोक्ताओं का कहना था कि उनके पास आठ-दस हजार रुपये अतिरिक्त हो, तब तो वे इस बढ़े हुए बिल का भुगतान कर दें.
मुझसे संपर्क करें
अगर किसी को गलत बिलिंग से समस्या है तो वह सीधे मुझसे कार्यालय में आकर संपर्क कर सकता है. उसके मामले को सुलझाने और उससे पहले उसके बिजली कटवाने पर रोक लगाने की व्यवस्था की जायेगी.
अरविंद कुमार, जीएम रेवेन्यू , एसबीपीडीसीएल
लाइन मैन को नहीं दिया पैसा, तो लगा दिया टेंपरिंग का आरोप
पोस्टल पार्क के बबलू कुमार ने बताया कि उन्होंने सर्विस वायर बदलने के लिए आवेदन दिया था और उसके लिए निर्धारित 1200 शुल्क भी जमा किया था. लेकिन उनके यहां सर्विस वायर बदलने के लिए जो लाइन मैन आया, उसने कम खर्च में अधिक क्षमता वाला कनेक्शन देने का प्रलोभन देकर उस समय घर पर मौजूद उनके मां से 12 हजार की मांग की.
जब मां ने उन्हें बताया तो नाराजगी जताते हुए उन्होंने उस लाइनमैन से वरीय अधिकारियों से उसके आचरण की शिकायत करने की बात कही. इस पर लाइनमैन वहीं सीढ़ी छोड़कर चला गया और शिकायत से बचने के लिए वरीय अधिकारियों से उपभोक्ता पर ही टेंपरिंग करने का आरोप लगा दिया.
बबलू जैसी शिकायत कई अन्य उपभोक्ताओं ने भी की, जिसमें उन्हें लाइनमैन द्वारा पहले कम बिल आने का उपाय लगाने और कम खर्च में अधिक क्षमता वाला कनेक्शन देने का प्रलोभन दिया गया. बातों में नहीं आने पर बाद में मीटर के साथ छेड़छाड़ और गलत ढंग से कनेक्शन लेने जैसे आरोप लगाकर डराने और पैसे वसूलने का प्रयास किया गया.
बिना अनुमति ले रखी हैं तीन फेज की लाइन
प्रभात खबर की टीम को पड़ताल के दौरान यह भी मालूम हुआ कि शहर में बड़ी संख्या में ऐसे उपभोक्ता हैं, जिन्होंने लाइनमैन की मदद से बिना वैध अनुमति लिये और राशि जमा किये ही तीन फेज के लाइन ले रखे हैं.
पेसु के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि आउटसोर्स एजेंसियों के माध्यम से नियुक्त कर्मी पर न तो अनुशासन का अधिक बंधन रहता है और न ही गलत काम करने से पहले वे अधिक सोचते हैं, क्योंकि कम वेतन और नौकरी स्थायी नहीं होने के कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई या नौकरी से हटाये जाने का उन्हें उतना भय नहीं होता जितना बिजली कंपनी के स्थायी कर्मचारियों को होता है. स्मार्ट मीटर की संकल्पना आने के बाद मीटर रीडरों के काम का भविष्य ही संकट में पड़ गया है. लिहाजा अपने काम के प्रति उनमें लापरवाही और भी बढ़ गयी है.
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