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पटना : पड़ोसी राज्यों की तुलना में 35% अधिक बिजली चार्ज
पटना : वर्तमान में राज्य के औद्योगिक उपभोक्ताओं से जो फिक्स्ड विद्युत चार्ज लिया जा रहा है वह पड़ोसी राज्यों की तुलना में 25 से 35% अधिक है. औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट लागत पड़ोसी राज्यों के तुलना में 30% अधिक है. ये बातें बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राम लाल खेतान ने […]
पटना : वर्तमान में राज्य के औद्योगिक उपभोक्ताओं से जो फिक्स्ड विद्युत चार्ज लिया जा रहा है वह पड़ोसी राज्यों की तुलना में 25 से 35% अधिक है. औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं पर प्रति यूनिट लागत पड़ोसी राज्यों के तुलना में 30% अधिक है.
ये बातें बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राम लाल खेतान ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहीं. उन्होंने बताया कि इतने बड़े अंतर का प्रभाव औद्योगिक इकाइयों के उत्पादन लागत पर पड़ता है. सूबे के औद्योगिक इकाइयों द्वारा उत्पादित माल अन्य राज्यों के इकाइयों के उत्पादन लागत की तुलना में ज्यादा होने के कारण प्रतिस्पर्धा में पिछड़ता है. खेतान ने कहा कि डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों द्वारा विभिन्न श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं खास कर औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए जो आवेदन भेजा है, उसमें विद्युत दर में अच्छी खासी वृद्धि का प्रस्ताव है. औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए फिक्स्ड चार्ज में भारी वृद्धि का प्रस्ताव है. एक ओर तो डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के क्रय लागत में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. विनियामक आयोग ने ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन लॉस को अधिकतम 15 फीसदी तक लाने का स्पष्ट निर्देश दिया है. इस परिपेक्ष्य में विद्युत दर में बढ़ोतरी का प्रस्ताव अतार्किक प्रतीत होता है.
खेतान ने बताया कि आर्थिक मंदी का सबसे ज्यादा निगेटिव प्रभाव उद्योगों पर देखने को मिल रहा है. पड़ोसी राज्य झारखंड एवं बंगाल ने इस मंदी के दौर में विद्युत आधारित उद्योगों को संबल प्रदान करने के लिए चालू वर्ष में विद्युत दर को कम करने एवं अतिरिक्त अनुदान दे कर उद्योगों को बचाने का प्रयास किया है. अगर बिहार के विद्युत आधारित उद्योगों को समान दर पर विद्युत उपलब्ध नहीं कराया गया तो राज्य के उद्योगों को बंदी का सामना करना पड़ेगा. इस मौके पर बीआइए के उपाध्यक्ष संजय भरतिया, को -चेयरमैन वासुदेव प्रसाद, अरुण अग्रवाल, संजीव कानोडिया, गिरजा प्रसाद आदि मौजूद थे.
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