महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आज सुबह पटना में निधन हो गया वे 74 साल के थे. बताया जा रहा है कि वे पिछले 40 सालों से 4 सिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त थे. इस बीमारी के कारण भी एक महान गणितज्ञ गुमनामी के अंधेरों में खो गया. आइए जानते हैं आखिर क्या है सिजोफ्रेनिया बीमारी-
एक मानसिक रोग है सिजोफ्रेनिया
सिजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है, जो एक इंसान की क्षमता का नाश कर देती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सिजोफ्रेनिया युवाओं की सबसे बड़ी क्षमतानाशक बीमारी है. इसे विश्व की दस सबसे घातक बीमारियों में सिजोफ्रेनिया को शामिल किया गया है. इस बीमारी के लगभग तीन करोड़ रोगी पूरे विश्व में हैं, जिनकी उम्र 15 से 35 वर्ष के बीच है. भारत में इस बीमारी के लाखों मरीज हैं. सिजोफ्रेनिया एक ऐसी मानसिक बिमारी है जो किसी भी व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता को समाप्त कर देती है. जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने का तरीका प्रभावित होता है.एक्सपर्ट का मानना है कि सिजोफ्रेनिया 16 से 30 साल की आयु में हो सकता है. पुरुषों में इस रोग के लक्षण महिलाओं की तुलना में कम उम्र में दिखने शुरू हो सकते हैं. शुरुआती दौर में इसके लक्षण दिखते नहीं है इसलिए लोगों को इस बात का पता ही नहीं होता कि उन्हें यह रोग हो गया है.
बदल जाता है मरीज का व्यवहार
सिजोफ्रेनिया का मरीज लोगों से दूर रहने लगता हैं, उसकी सोच असमान्य हो जाती है. वह असमान्य व्यवहार करता है. सिजोफ्रेनिया के मरीजों को अन्य दिक्कतें भी हो सकती हैं जैसे कि किसी नशीले पदार्थ की लत, स्ट्रेस, और डिप्रेशन.
ऐसे करें रोगी की मदद
मरीज का सही इलाज करायें. उनके साथ प्रेम और आदर का भाव रखें. परिवार और दोस्तों से मिला प्रेम और सहयोग मरीजों को सामान्य रख सकता है.