अजय कुमार, पटना : कदमकुआं होते हुए हम नाला रोड की ओर मुड़ते हैं. इसी सड़क के बीच में मंदिर के आगे से आपको पानी दिखना शुरू हो जायेगा.पानी में घुसते ही नथूनों में उसकी सड़ांध पहुंचती है. कहीं घुटने भर पानी, तो कहीं छाती से भी ऊपर तक. पानी सरक रहा है. लेकिन,उसकी गति बेहद धीमी है. लोगों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है.
राजेंद्र नगर में साईं साह अपार्टमेंट के पास मिले एक बुजुर्ग दीनानाथ अपने दरवाजे के पास खड़े होकर बताते हैं: ऐसी हालत किसी बरसात में नहीं हुई थी. हम सालों से यहां रह रहे हैं. मेरी उम्र सत्तर होने जा रही है. दीनानाथ कहते हैं: बारिश तो पहले भी होती थी.
एक-दो दिनों में पानी निकल जाता था. इस बार तो अधिकारियों ने करामात ही कर दिया. कुछ काम नहीं हुआ. राजेंद्र नगर सेमलाही पकड़ी, हनुमान नगर, कंकड़बाग की दर्जनों आवासीय कॉलोनियों की बड़ी आबादी के लिए यह जलजमाव दु:स्वपन की तरह है.
बालकनी से हाथ हिला कर मदद मांग रहे लोग
पानी से घिरे लोग गम और गुस्से में हैं. कोई अपनी किस्मत को कोस रहा है तो कोई सिस्टम पर मुखर होकर बोल रहा है. केंद्रीय विद्यालय के कैंपस में एक टीचर कहते हैं -‘हमने इतनी बेबसी जिंदगी में कभी महसूस नहीं की थी’. दरवाजे के पास पड़ी स्कूटी का आधा से ज्यादा हिस्सा पानी में समाया हुआ है. पानी खींचने वाले मोटर हांफ रहे हैं.
महिलाएं खिड़कियों से झांक रही हैं. उन्हें पानी चाहिए और बच्चों के लिए दूध. घरों की छतों और अपार्टमेंट की बालकनी पर खड़े लोग हाथ हिलाकर मदद मांग रहे हैं. उन्हें मदद की जरूरत है. वे बालकनी से बाल्टी लटकाकर खाने-पीने के सामान ले रहे हैं. आसमान में बादलों को देखते ही वे डर जा रहे हैं.
यहां पोरसा भर पानी लगा हुआ है. घरों की दीवालों के निशान बता रहे हैं कि पानी अब तक एक फुट सरका है. लेकिन चार-पांच फुट जमा पानी कितने दिनों में निकलेगा, यह सोचकर लोग सिहर जा रहे हैं. कुत्ते ऊंची जगह खोज रहे हैं. उन्हें मुश्किल से ठिकाना मिल रहा है. इस इलाके के अनेक घरों के ग्राउंड फ्लोर में पानी भरा हुआ है. ऐसे परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ा. कॉलोनियों के अंदर खड़ी चारपहिया गाड़ियां डूबी हुई हैं.
यहां के सत्यप्रकाश कहते हैं – हम अभी यह भी नहीं सोच पा रहे हैं कि कितने के सामान की बर्बादी हुई. अभी हम पानी निकलने का इंतजार कर रहे हैं. उनकी लाचरगी चेहरे पर देखी जा सकती है. ये सभी मध्यवर्गीय या उच्च मध्यवर्गीय लोग हैं. पैसे हैं. पर कुछ कर नहीं कर पा रहे हैं. पानी और सिस्टम ने उन्हें चिड़चिड़ा बना दिया है. 27 सितंबर से अब तक लगातार पानी के साथ रहना जिंदगी भर के लिए कड़वा अनुभव बन गया है.
हम तो यहां से निकल भी नहीं सकते
सत्यप्रकाश ही नहीं, लाखों लोगों को पानी के निकलने का इंतजार है. सबका एक ही सवाल है – पानी क्यों नहीं निकल रहा है? निगम और उसके अधिकारी कहां हैं? नेता कहां हैं? नेताओं के प्रति एक खास तरह की नाराजगी लोग जाहिर करते हैं. उनका गुस्सा वाजिब है. रमाकांत पूछते हैं- हम तो यहां से निकल भी नहीं सकते. कहां जायेंगे. कुछ परिवारों के लोग अपने रिश्तेदारों के पास चले गये हैं.
कंकड़बाग : वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र कुमार जी यहां पिछले 52 सालों से रहे हैं. वह कहते हैं: इतने वर्षों में ऐसा कभी नहीं हुआ. उनके घरकी चार सीढ़ियां पानी में डूब गयीं. बोरिंग ठप पड़ गया. वह कहते हैं कि पानी निकासी का प्रबंध नहीं किया गया.
यहां भी ज्यादातर घरों में पानी घुस गया है. आज छठे दिन से पानी कम होना शुरू हुआ. फिर भी सड़क पर ठेहुन भर पानी लगा हुआ है. इस विपदा से गरीब दोहरी मार झेल रहे हैं. राहत वाले घरों तक पहुंचना चाहते हैं. गरीब राहत बांटने वाली टीम के पीछे-पीछे दौड़ रहे हैं. कोने में बैठा एक ठेला वाला चिल्लाता है-सबके चिंता अमीरवन लागी है.
हमनी के कवनों पूछतै ना है. जलजमाव में घिरे लोगों के लिए घनुष पुल के पास राहत कैंप बनाये गये हैं. इसी पुल से राजेंद्र नगर के वैशाली चौक की ओर उतरा जाता है. अधिकारियों की टीम यहीं से राहत की मॉनिटरिंग कर रही है. कई स्वयंसेवी संगठनों के लोग राहत पहुंचाने में लगे हैं. एनडीआरएफ के जवान सरकारी-गैर सरकारी राहत के सामान बोट पर लादकर ले जा रहे हैं.
बोट का पतवार पानी में जैसे ही हिलोरे मारता, जेत बदबू भभकता है. राहत बचाव दल के लोग ब्लीचिंग पाउडर मारने लगते हैं. हम केंद्रीय विद्यालय से निकलकर राजेंद्र नगर पुल क्रास करते हुए मेन रोड पर पहुंच जाते हैं. वहां दुर्गा पूजा के पंडाल सजाये जा रहे हैं. पर लाखों लोगों की नारकीय जिंदगी पूजा के उमंग को फीकी कर चुकी है.
आपदा विभाग ने कहा, 15 जिलों में 21.45 लाख लोग पीड़ित, 55 की मौत
पटना. राज्य में बाढ़ और जलजमाव से 15 जिलों में लगभग 21.45 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. आपदा विभाग के मुताबिक अब तक बाढ़ में 55 लोगों की मौत एवं नौ लोग घायल हुए हैं. वहीं, जिन जिलों में बाढ़ का पानी है, वहां पानी और बिजली का संकट कायम है. विभाग के 15 जिलों के 92 प्रखंडों की 506 पंचायतों के अंतर्गत 959 गांव बाढ़ की चपेट में हैं.
बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए 45 राहत शिविर एवं 324 सामुदायिक रसोई चल रहे हैं. 1124 सरकारी एवं निजी नावों को लगाया गया है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 23 टीमों को लगाया गया है. इसके अतिरिक्त चार टीम भी इन जिलों में काम कर रही है. पटना में 60 मोटर बोट के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की आठ टीमें लगायी गयी हैं.
जलजमाव से अब भी परेशानी
- पटना शहर में पानी निकालने में अभी लगेगा तीन से चार दिनों का समय
- फुलवारीशरीफ में कूड़ा नवादा और चिंहुत के पास पुनपुन का रिंग बांध टूटा
- मसौढ़ी में 16 से 18 सेमी बढ़ा पुनपुन का जल स्तर
- धनरूआ की सभी पंचायतें जलमग्न, बढ़ी परेशानी
- अथमलगोला में डगराइन व पंचाने उफान पर
- भागलपुर इलाके में डूबने से छह लोगों की मौत
- नालंदा में बांध टूटने से पचास हजार की आबादी पानी से घिरी
- कल तक स्कूल बंद करने का आदेश