पटना : बेहतरी और शहर को बदलने के लिए पार्षदों को शैक्षणिक भ्रमण कराया जाता है. बाहर के माहौल, सिस्टम को देखें और पटना को बदलने में अपनी भूमिका निभायें. लेकिन हालात तो कुछ और हैं. पार्षदों ने इसे मौज-मस्ती समझ लिया.
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आप करें सैर-सपाटा, शहर भुगते आपदा, नहीं चलेगा
पटना : बेहतरी और शहर को बदलने के लिए पार्षदों को शैक्षणिक भ्रमण कराया जाता है. बाहर के माहौल, सिस्टम को देखें और पटना को बदलने में अपनी भूमिका निभायें. लेकिन हालात तो कुछ और हैं. पार्षदों ने इसे मौज-मस्ती समझ लिया. भ्रमण के दौरान बड़े शहरों में गये लेकिन वहां की चीजों को समझने […]
भ्रमण के दौरान बड़े शहरों में गये लेकिन वहां की चीजों को समझने की बजाय आंख मूंदे रहे. शैक्षणिक भ्रमण की नेक परंपरा को पार्षदों की बदनियती ने दाग लगा दिया है. पार्षदों की इस हरकत से लोग आक्रोशित भी हैं और दुखी भी.
पार्षदों की इस करतूत पर क्या कहते हैं लोग
पार्षदों को सदबुद्धि दें भगवान
पार्षदों को इसलिए बाहर भेजा जाता है कि वह लोग वहां से कुछ सीख कर आयेंगे. यहां पर चीजें बदलेंगी. लेकिन अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो ठीक नहीं है. भगवान उन्हें सदबुद्धि दें. कुछ ऐसा करें जिससे लोग उनके किये गये कार्यों याद रखें. शहर में शनिवार को बारिश की वजह से जो स्थिति हुई है वह सबके सामने है.
अनामिका सिंह,भाजपा महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष
नाजायज फायदा उठा रहे पार्षद
नगर निगम के पार्षद मौके का नाजायज फायदा उठा रहे हैं. जब उन्हें सरकारी खर्चें पर भेजा जा रहा है तो रिपोर्ट करने में उन्हें क्या परेशानी है. अगर वह रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं तो साफ है कि वह इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. इसका खामियाजा शहर तो भुगत ही रहा है. पैसों को बर्बाद किया जा रहा है.
विशाल सिंह, रोटरी सदस्य
पार्षद बड़े शहरों में मौज-मस्ती के लिए जाते हैं
पार्षद मौज-मस्ती और सैर-सपाटा करने जाते हैं. पार्षद नगर निगम की तरफ से यह व्यवस्था होती है कि अपने शहर को साफ और स्वच्छ बनायें और दूसरे शहरों के लिए मिसाल बनें.
लेकिन पटना में ऐसा नहीं हो रहा है. यहां के पार्षद बड़े शहरों में मौज-मस्ती के लिए जाते हैं. अपने परिवार के साथ जाकर सरकारी पैसा खर्च करते हैं, लेकिन उसका कोई लाभ न तो शहर को मिल रहा है और न ही यहां के पब्लिक को. हालत यह है कि लोगाें को भगतना पड़ रहा है.
मोहम्मद खालिक, निजी कंपनी के कर्मचारी
मोहम्मद खालिक, निजी कंपनी के कर्मचारी
पार्षदों की ये हरकत क्षम्य नहीं
पार्षद पब्लिक के पैसों का मजाक बना रहे है. यह तो शहर से भी धोखा है और पब्लिक से भी. इस पर तो कार्रवाई होनी चाहिए. लोगों से पैसा रिकवर करना चाहिए. 31 लाख खर्च करके अगर सभी पार्षद मौज कर रहे हैं तो यह तो बड़ा अन्याय है. पार्षद इसका हिसाब दें, नहीं चुनाव में उनकों खासी परेशानी होने वाली है. धोखा पब्लिक बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्हें उस पैसे का हिसाब चहिए जो अपनी कमाई से पेट काट कर टैक्स भरते हैं.
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