पटना : सरकारी विभागों में बेल्ट्रॉन के माध्यम से बहाल होने वाले डाटा इंट्री ऑपरेटर, प्रोग्रामर समेत अन्य तकनीकी कर्मियों में बड़ी संख्या ऐसे कर्मियों की है, जिनका कोई लेखा-जोखा नहीं है. बेल्ट्रॉन ने जब पहली बार अपने कर्मियों का डाटाबेस तैयार करने की पहल की, तो पता चला कि विभिन्न सरकारी महकमों और जिला स्तरीय सरकारी कार्यालयों में काम कर रहे करीब 700 डाटा इंट्री ऑपरेटर ऐसे हैं, जिनके बारे में उसे कोई सटीक जानकारी नहीं है, या कहें, इनकी बहाली गलत तरीके से हो गयी है. जांच पूरी होने के बाद इनकी संख्या बढ़ भी सकती है.
इनकी बहाली कब, कैसे और किसने की, इसका पता करने में बेल्ट्रॉन जुटा हुआ है. बेल्ट्रॉन बहाली के पहले टेस्ट या इंटरव्यू लेता है. इसके बाद चयनित हुए इन तकनीकी मैनपावर को मांग के मुताबिक संबंधित विभागों में मुहैया करा दिया जाता है. इस काम में निजी एजेंसी की मदद ली जाती है.
बेल्ट्रॉन में अब मैनपावर एप्वाइंटमेंट सिस्टम विकसित किया गया है, जिसके माध्यम से सभी कर्मियों का लेखा-जोखा रखने के साथ ही बहाली की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने जा रही है. अब तक छह हजार से ज्यादा कर्मियों की जांच हुई है. विभागों में करीब साढ़े आठ हजार ऑपरेटर समेत अन्य कर्मी बेल्ट्रॉन के स्तर से बहाल किये गये हैं. इन सभी का वेरिफिकेशन होना है.
मिली-भगत से हुई धांधली
अब तक जांच में यह पता चल पाया है कि बेल्ट्रॉन के बदले परीक्षा समेत अन्य प्रक्रिया पूरी कर कर्मियों को बहाल करने के लिए नियुक्त की गयी निजी एजेंसी और बेल्ट्रॉन कर्मियों की मिली-भगत से ही इस तरह की धांधली हुई है.
परीक्षा में फेल होने वाले कई लोगों को कुछ बिचौलिये पैसे लेकर सेटिंग के जरिये ऑपरेटर के तौर पर इंट्री करवा देते थे. कुछ मामले ऐसे भी सामने आये हैं कि पहले कुछ शीर्ष अधिकारी अपने स्तर से ही किसी ऑपरेटर को अपने विभाग में बहाल कर लेते थे. इस तरह से ही बहाल हुए कर्मियों का कोई लेखा-जोखा बेल्ट्रॉन के पास नहीं है.
सभी कर्मियों का वेरिफिकेशन चल रहा है. सही पाये जाने वालों का ही वेतन भुगतान होगा. जो वेरिफाइड नहीं हो पायेंगे, उनका वेतन भुगतान नहीं होगा. समय पर सभी कर्मियों को वेतन मिल सके, इसके लिए पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन किया जा रहा है.
– राहुल सिंह, प्रबंधन निदेशक, बेल्ट्रॉन