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बालू की रॉयल्टी में प्रति घनमीटर करीब डेढ़ गुने की हुई बढ़ोतरी

पटना : सरकार की मंजूरी के बाद राज्य में बालू की रॉयल्टी में प्रति घनमीटर करीब डेढ़ गुने की बढ़ोतरी कर दी गयी है. यह एक जनवरी, 2020 से लागू होगी. इसका मकसद बालू से सरकार को होने वाली आमदनी में बढ़ोतरी करना है. 2018-19 यह आमदनी करीब सात सौ सड़सठ करोड़ रुपये थी. अब […]

पटना : सरकार की मंजूरी के बाद राज्य में बालू की रॉयल्टी में प्रति घनमीटर करीब डेढ़ गुने की बढ़ोतरी कर दी गयी है. यह एक जनवरी, 2020 से लागू होगी. इसका मकसद बालू से सरकार को होने वाली आमदनी में बढ़ोतरी करना है. 2018-19 यह आमदनी करीब सात सौ सड़सठ करोड़ रुपये थी. अब बढ़ोतरी के बाद यह एक साल में करीब 1140 करोड़ रुपये हो जायेगी.

खान व भूतत्व विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि विभाग की नयी नियमावली को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद अब सरकारी विभागों में निर्माण कार्य आसान हो जायेगा. इसके तहत एम फॉर्म भरने की प्रक्रिया खत्म कर दी गयी है. वहीं सभी जिलों में छोटे बालू घाट बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी और राज्य के38 जिलों में करीब 400 घाटों की नीलामी होगी.
तीन हजार करोड़ का है अवैध कारोबार
पटना : राज्य सरकार को 2018-19 में बालू से करीब 767 करोड़ का राजस्व मिला, जबकि, इसका अवैध कारोबार करीब तीन हजार करोड़ सालाना पार कर गया. बालू के अवैध कारोबार पर वर्चस्व की लड़ाई में कई लोगों की जानें जा चुकी है.
फिलहाल नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर एक जुलाई से 30 सितंबर तक नदियों से खनन बंद है. इसके बावजूद ताजा मामले में पटना सहित कई जिलों में अवैध बालू लदे वाहन पकड़े किये गये हैं. इससे बालू के अवैध खनन व कारोबार की पुष्टि होती है.
पटना सहित सारण जिला के डोरीगंज इलाके में बड़े पैमाने पर बालू का अवैध कारोबार देखा जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि मुख्य रूप से गंगा व सोन नदी को लाल बालू का भंडार माना जाता है. केवल पटना जिले में ही नदी किनारे की लंबाई करीब 12 किमी है, जिसमें बालू का खनन होता है.
साथ ही राज्य की नदियों के बीच में टापू जैसे इलाके हैं. ऐसे इलाकों की बंदाेबस्ती नहीं होने और उन पर निगरानी नहीं होने का फायदा अवैध कारोबारी उठाते हैं. वे रात में बालू का अवैध खनन कर नाव से बालू ढोते हैं. इसके बाद वाहनों से इसकी सप्लाई हो जाती है. इससे राजस्व का नुकसान होता है.
खनन कार्यों पर रोक के लिए नयी नीति व नियमावली बनायी गयी है. इसकी निगरानी जिला खनन पदाधिकारी की देखरेख में होती है. अवैध कारोबार की जानकारी होने पर जिला प्रशासन की सहयोग से कार्रवाई की जाती है.
जिला प्रशासन व पुलिस की सहयोग से समय-समय पर अभियान भी चलाया जाता है. 2018-19 में विभाग ने अभियान चलाकर अवैध खनन से करीब तीस करोड़ की वसूली की थी. वहीं, इस साल बालू से सरकार को 767 करोड़ का राजस्व मिला था.
अरुण प्रकाश, अपर सचिव सह निदेशक, खान व भूतत्व विभाग

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