पटना : दधीचि देहदान समिति, बिहार की ओर से ‘अंतर्राष्ट्रीय अंगदान दिवस‘ पर आयोजित संकल्प सभा को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य के सभी 9 मेडिकल काॅलेज अस्पतालों में दशहरा तक आई बैंक की स्थापना कर वहां प्रशिक्षित मानव बल व मोटिवेटर की भी नियुक्ति की जायेगी. इसके लिए मेडिकल काॅलेजों को डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये दिये जा चुके हैं. अगले एक साल में एक हजार काॅर्निया प्रत्यारोपण का लक्ष्य हासिल किया जाये. देहदान समिति ‘ब्लाइंड वाक’ आयोजित करेगी ताकि अंधों की जिंदगी की जटिलता का अहसास हो सके.
सुशील मोदी ने कहा कि विज्ञान की तमाम तरक्की के बावजूद मानव अंग (किडनी, लीवर, पेन्क्रियाज, हृदय, क्रोनिया) आदि न तो प्रयोगशाला में बनते हैं और न ही बाजार में मिलते हैं. जब कोई व्यक्ति इसे दान करेगा तभी इसका इस्तेमाल कर किसी की जिंदगी को हम बचा सकते हैं. पश्चिम बंगाल में 10 लाख लोगों ने देहदान का संकल्प पत्र भरा हैं जिनमें से मृत्यु उपरांत 1800 लोगों का देहदान हो चुका है.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में आरएसएस के वर्तमान सर संघ चालक मोहन भागवत की प्रेरणा से दधीचि देहदान समिति का शुभारंभ किया गया. तभी से इस संस्था के माध्यम से रक्तदान, अंगदान, देहदान द्वारा जिंदगियों को बचाने और रौशन करने का पुनित कार्य किया जा रहा है. पटना के आईजीआईएमएस में अब तक 412 काॅर्निया तथा 54 किडनी के सफल प्रत्यारोपण किए गये हैं.
सुशील मोदी ने कहा, हमारी संस्कृति में दान की परंपरा प्राचीन काल से रही है. पहले देहदानी महर्षि दधीचि ने असुरों के नाश के लिए अपनी हड्डियों का दान किया. राजा शिबी ने शरणागत कबूतर की जान अपने शरीर का मांस देकर कर बचाया. क्या दानवीर कर्ण की धरती के लोगों से भी दान की अपील की आवश्यकता है?