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अवैध जांच घरों व कलेक्शन सेंटरों पर कार्रवाई कर 13 तक सिविल सर्जन रिपोर्ट दें : पटना हाइकोर्ट

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि वह 13 अगस्त तक अवैध ढंग से चल रहे पैथोलॉजी लैब और कलेक्शन सेंटराें के विरुद्ध कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपे. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलोजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट की […]

पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि वह 13 अगस्त तक अवैध ढंग से चल रहे पैथोलॉजी लैब और कलेक्शन सेंटराें के विरुद्ध कार्रवाई कर रिपोर्ट सौंपे.
मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलोजिस्ट एंड माइक्रोबायोलॉजिस्ट की तरफ से दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. इससे पहले की सुनवाई में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दायर हलफनामे में कोर्ट को बताया गया था कि राज्य में कुल 3153 पैथोलोजिकल व डायग्नोस्टिक सेंटर हैं. इनमें 2514 अवैध पाये गये हैं. कोर्ट को जानकारी दी गयी कि कई जिलों में पाये गये अवैध पैथोलॉजी लैब और कलेक्शन सेंटरों में अधिकतर पर कार्रवाई कर उन्हें बंद करा दिया गया है.
याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार की कार्रवाई के बावजूद अवैध तरीके से कई पैथोलॉजी लैब व कलेक्शन सेंटर अब भी चल रहे हैं. याचिका में हस्तक्षेप करते हुए हाजीपुर के थायरोकेयर कलेक्शन सेंटर ने कोर्ट से अनुरोध किया कि पैथोलॉजी लैब के बहाने सरकार कलेक्शन सेंटरों पर कार्रवाई न करे. इस पर सरकारी अधिवक्ता ने विभिन्न कानून व नियमावली का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया की क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के दायरे में पैथोलॉजी लैब के कलेक्शन सेंटर भी आते हैं.
नियमित वकालत के लिए नहीं देना होगा शपथ पत्र
पटना. पटना हाइकोर्ट के अधिवक्ताओं को अपने एडवोकेट ऑन रिकार्ड की हैसियत को कायम रखने और नियमित वकालत करने को लेकर किसी भी प्रकार का शपथ पत्र अभी नहीं देना होगा. कोर्ट ने इस मामले पर एकलपीठ के आदेश पर लगाये गये रोक को बरकरार रखा है.
मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के तीनों वकील संघों की समन्वय समिति की ओर से इस मामले को लेकर दायर अपील को निबटाते हुए यह फैसला सुनाया.
खंडपीठ ने फैसले में स्पष्ट किया कि इस मामले पर जब तक हाइकोर्ट प्रशासनिक तौर पर फुल कोर्ट की बैठक करा कर कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेता है, तब तक हाइकोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकार्ड को हरेक वर्ष अपने वकालत करने की शपथ पत्र देने की बाध्यता नहीं होगी. विदित हो कि पांच जुलाई, 2016 को एक मामले की सुनवाई करते वक्त हाइकोर्ट की एकलपीठ ने उक्त कानूनी बाध्यता एडवोकेट ऑन रिकार्ड के लिए लगाया था.
वकील संघों की ओर से एकलपीठ के उक्त आदेश को खंडपीठ में अपील दायर कर चुनैाती दो गयी थी. अपील की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने 25 जुलाई, 2017 को एकलपीठ के उस आदेश पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट के एओआर वकीलों को हर साल शपथ पत्र पर अपने वकालत करने की जानकारी देने की बाध्यता से मुक्त कर दिया था.
पटना : तथ्य छिपाकर याचिका दायर करने पर विभाग से मांगा जवाब
पटना : पटना हाइकोर्ट ने तथ्यों को छिपा कर रिट याचिका दायर करने के मामले में नाराजगी जाहिर करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग और जलवायु परिवर्तन विभाग से जवाब तलब किया है.
कोर्ट ने दोनों विभागों के सचिवों को तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश एपी शाही और जस्टिस अंजना मिश्र की खंडपीठ ने केंद्र सरकार द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. प्रोन्नति के एक मामले में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के एक आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार ने हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की है.
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि एक तरफ केंद्र सरकार कैट के आदेश का अनुपालन करने की बात न्यायाधिकरण के समक्ष करती है. वहीं, दूसरी ओर इस तथ्य को छुपा कर हाइ कोर्ट में डेढ़ साल के बाद यह रिट याचिका दायर कर दी है .यह कार्य कोर्ट को गुमराह करने वाला है. इसी मामले में कोर्ट ने जवाब तलब किया है. इस मामले में सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जायेगी.

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