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बिहार में 17% मरीजों को ही मिल रहा खून

आनंद तिवारी, पटना : अगर आप बिहार के किसी अस्पताल में हैं और आपका ब्लड ग्रुप खासकर निगेटिव है, तो फिर दुआ करें कि कभी आपको खून चढ़ाने की जरूरत न पड़े. अगर जरूरत पड़ी तो शायद ही ब्लड बैंकों से आपको खून उपलब्ध हो पायेगा, क्योंकि बिहार के सरकारी व प्राइवेट ब्लड बैंकों में […]

आनंद तिवारी, पटना : अगर आप बिहार के किसी अस्पताल में हैं और आपका ब्लड ग्रुप खासकर निगेटिव है, तो फिर दुआ करें कि कभी आपको खून चढ़ाने की जरूरत न पड़े. अगर जरूरत पड़ी तो शायद ही ब्लड बैंकों से आपको खून उपलब्ध हो पायेगा, क्योंकि बिहार के सरकारी व प्राइवेट ब्लड बैंकों में खून की भारी किल्लत चल रही है. स्थिति यह है कि पटना सहित पूरे बिहार में सिर्फ 17 प्रतिशत मरीजों को ही ब्लड मिल पा रहा है. प्रदेश में खून की किल्लत और मरीजों की परेशानी हो रही है.

रक्तदान को आगे रहती है माता रानी की टीम
पटना की रहने वाली एमए इकोनॉमिक्स की छात्रा प्रिया सिंह ने जरूरतमंदों को ब्लड डोनेट करने के लिए माता रानी रक्तदान जागरूकता एवं सहयोग नाम से छात्र व छात्राओं का ग्रुप तैयार किया है. यह ग्रुप हर विकट परिस्थिति में मरीजों को ब्लड मुहैया कराने को तैयार रहता है.
प्रिया बताती हैं कि गूगल में माता रानी ब्लड जगरूकता एवं सहयोग के माध्यम से खून के लिए मदद मांग सकते हैं. हमारी टीम के साथ बिहार के सभी सरकारी व प्राइवेट कॉलेजों के करीब तीन हजार छात्र-छात्राएं जुड़े हैं. जो जरूरतमंद मरीजों की मदद को हमेशा तत्पर रहते हैं. उन्होंने कहा कि टीम के साथ रक्त दान के इच्छुक लोग जुड़ सकते हैं.
चालकों का सारथी ग्रुप भी है सक्रिय
पटना सहित पूरे बिहार के ऑटो व चार पहिया वाहनों के चालकों ने सारथी रक्तदान ग्रुप बनाया है. ग्रुप के संचालक दीनानाथ ने कहा कि वाट्सएप ग्रुप में सभी चालकों को जोड़ा गया है. जरूरत पड़ने पर हम मरीज को अस्पताल में नि:शुल्क पहुंचाते हैं. अगर खून की जरूरत हो तो डोनर ब्लड भी दान करते हैं. अब तक 500 से अधिक मरीजों को रक्तदान कर जान बचायी जा चुकी है.
इनका कहना है
पिछले कुछ सालों से लोगों में रक्तदान को लेकर जागरूकता देखने को मिल रही है. रक्तदान के लिए आयोजित शिविरों में युवा बढ़-चढ़ कर रुचि दिखा रहे हैं, लेकिन सही मायने में अभी तक रक्तदान को लेकर लोगों में भ्रांतियों के कारण रक्तदान में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है.
– डॉ बीबी सिन्ह, चेयरमैन रेडक्रॉस सोसाइटी
सभी सरकारी ब्लड बैंकों को आदेश जारी किया गया है कि गंभीर व जरूरतमंद वाले मरीज को ब्लड मुहैया कराएं. लेकिन जब तक लोग जागरूक नहीं होंगे ब्लड बैंकों में खून की कमी खत्म नहीं होगी. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों, सरकारी व निजी संगठनों की ओर से रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है. इसमें कम ही लोग रक्तदान के लिए जाते हैं. अगर रक्तदाताओं की संख्या बढ़ेगी तो खून की कमी दूर होगी.
– डॉ एनके गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर ब्लड सेफ्टी डिपार्टमेंट व बिहार एड्स कंट्रोल सोसाइटी
थैलीसिमिया के मरीजों की सुविधा के लिए डे केयर यूनिट खोलने की जरूरत है. यह बीमारी ब्लड से जुड़ी होती है. खून की कमी, ब्लड बैंक व जिम्मेदारों की अनदेखी से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से रुपये देने के बावजूद डे केयर यूनिट की स्थापना नहीं हो पा रही है. यह पैसा हर साल आता है और लौट जाता है.
– मुकेश हिसारिया, सामाजिक व ब्लड जागरूक कार्यकर्ता
सर्वे में खुलासा – रक्तदान को लेकर भ्रम
अस्पताल आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों में रक्तदान संबंधी जागरूकता जांचने के लिए रेडक्रॉस की ओर से एक कार्यक्रम के तहत हुए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ कि अब भी लोगों में रक्तदान को लेकर भ्रांतियां हैं. सर्वे के अनुसार 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि रक्तदान उन्हें कमजोर बनाता है. 40 प्रतिशत का मानना है कि धूम्रपान करने वाला व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता. वहीं राज्य में 83 प्रतिशत मरीज डोनर पर ही निर्भर हैं.
…तो बिहार मेंमहज 1350 कैंप
ब्लड की कमी का दूसरा सबसे बड़ा कारण जागरूकता अभियान के अलावा रक्तदान शिविरों का कम लगना भी रहा है. रेडक्रॉस के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक साल यानी 2017-18 में पूरे भारत में 73 हजार रक्तदान शिविर आयोजित किये गये.
इसमें बिहार में महज 1350 रक्तदान शिविर ही लगाये गये थे, जबकि पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में 12 हजार, झारखंड में 1700 और ओड़िशा में 2 हजार रक्तदान शिविर आयोजित हुए. जानकारी अनुसार राज्य में अकेले रेडक्रॉस सोसाइटी ने 60 हजार यूनिट के लगभग ब्लड जमा किया था. अन्य सरकारी एजेंसियां काफी पीछे रहीं.
सात साल में नहीं हुई बैठक
प्रदेश में खून की कमी और मरीजों कीहो रही परेशानी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सहित सभी राज्यों को स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के गठन करने का आदेश जारी किया था. वर्ष 2012 में राज्य में काउंसिल का गठन हुआ. इसके लिए एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से परियोजना अधिकारी की ड्यूटी भी लगायी गयी. लेकिन, इसके सात साल के बाद अब तक एक बार भी काउंसिल की बैठक नहीं हुई.
कितने ब्लड बैंक
आइजीआइएमएस, पटना
कुर्जी होली फेमली अस्पताल, पटना
पीएमसीएच, पटना
लाइफ लाइन ब्लड बैंक जीएम रोड, पटना
पाटलिपुत्र ब्लड बैंक, अशोक राजपथ पटना
नेशनल ब्लड बैंक एवं रिसर्च सेंटर कंकड़बाग, पटना
महावीर कैंसर अस्पताल, फुलवारीशरीफ पटना
जयप्रभा ब्लड बैंक, कंकड़बाग पटना
एनएमसीएच व एम्स पटना
श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, मुजफ्फरपुर
सदर अस्पताल, मुजफ्फरपुर
जेएनएन मेडिकल कॉलेज भागलपुर
दरभंगा मेडिकल कॉलेज, लखीसराय
एएनएम मेडिकल कॉलेज, गया
सदर अस्पताल, सारण छपरा
दुखन अस्पताल , इस्ट चंपारण
आरसीएस ब्लड बैंक मोतिहारी
ब्लड बैंक एवं रिसर्च सेंटर बेगूसराय
रोटरी ब्लड बैंक, बेगूसराय
सदर अस्पताल, सासाराम
सदर अस्पताल, सीवान
सदर अस्पताल, मुंगेर
सदर अस्पताल, बिहारशरीफ
इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी ब्लड बैंक, पटना, भोजपुर
सदर अस्पताल मधुबनी
सदर अस्पताल, सीतामढ़ी
सदर अस्पताल, गोपालगंज, पूर्णिया व औरंगाबाद
वर्चुअल ब्लड बैंक से 2000 से अधिक मरीजों की बचायी जान
पटना के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश हिसारिया एक अनोखा वर्चुअल ब्लड बैंक चलाते हैं. www. biharbloodbank.com नामक इस वर्चुअल ब्लड बैंक से किसी भी वक्त किसी भी जरूरतमंद को ब्लड उपलब्ध कराया जाता है. अब तक इसके जरिये 2000 से ज्यादा लोगों की जिंदगी बचायी जा चुकी है. उन्होंने बताया कि अमिताभ बच्चन उनकी टीम की सराहना कर चुके है.

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