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पटना : शिक्षा पर खर्च बढ़ा है, पर सुधार अपर्याप्त

आद्री, यूनिसेफ और बिहार सरकार द्वारा आयोजित बिहार में बाल बजट व कार्यक्रम पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम पटना : जिन बच्चों की उम्र छह वर्ष तक की है, उन पर सबसे कम खर्च होते हैं, जबकि प्रारंभिक शिक्षा के वर्षों में छह से 14 वर्ष की उम्र में सबसे अधिक खर्च होते हैं. हालांकि, बिहार […]

आद्री, यूनिसेफ और बिहार सरकार द्वारा आयोजित बिहार में बाल बजट व कार्यक्रम पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम
पटना : जिन बच्चों की उम्र छह वर्ष तक की है, उन पर सबसे कम खर्च होते हैं, जबकि प्रारंभिक शिक्षा के वर्षों में छह से 14 वर्ष की उम्र में सबसे अधिक खर्च होते हैं. हालांकि, बिहार में पिछले सात वर्षों के दौरान शिक्षा पर खर्च बढ़ा है, लेकिन सुधर अपर्याप्त है. ऐसे में आवंटन की पर्याप्तता और बाल बजट के व्यय पर काम करना जरूरी है. साथ ही बाल बजट की कुशलता के लिए आवश्यक बुनियादी न्यूनतम सीमा के बारे में समझने की जरूरत है.
उक्त बातें नयी दिल्ली के एनआइपीएफपी के निदेशक डॉ रथीन राय ने कहीं. वे सोमवार को आद्री, यूनिसेफ और बिहार सरकार द्वारा आयोजित बिहार में बाल बजट और कार्यक्रम : वर्तमान अभ्यास और भावी दिशा पर आयोजित राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आज के समाज में बाल बजट निर्माण को मुख्य धारा में लाने की जरूरत है.
बच्चों के लिए वित्तपोषण स्वचालित तरीके से होना चाहिए. बिहार का प्रदर्शन बहुत अच्छा है, क्योंकि यह भविष्य के लिए निवेश करते हुए औसतन 66 प्रतिशत व्यय करता है. उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि सार्वजनिक सेवाओं की उपलब्धता पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. सत्र की अध्यक्षता बिहार के राज्य चुनाव आयुक्त एके चौहान ने की. आद्री के निदेशक प्रोफेसर प्रभात पी घोष ने स्वागत भाषण दिया.

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