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प्रभात खबर से विशेष बातचीत में भूपेंद्र यादव ने कहा, नीतीश कुमार की छवि एनडीए के आ रही है काम

भाजपा के बिहार प्रभारी व सांसद भूपेंद्र यादव 2015 से बिहार में लगातार काम कर रहे हैं. वह राज्य की सभी चालीस लोकसभा सीटों पर एनडीए की जीत का दावा करते हुए कहते हैं बिहार-झारखंड में महागठबंधन का दिखावटी मंच एक है, पर मन तो अलग है. लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पटना प्रवास के […]

भाजपा के बिहार प्रभारी व सांसद भूपेंद्र यादव 2015 से बिहार में लगातार काम कर रहे हैं. वह राज्य की सभी चालीस लोकसभा सीटों पर एनडीए की जीत का दावा करते हुए कहते हैं बिहार-झारखंड में महागठबंधन का दिखावटी मंच एक है, पर मन तो अलग है. लोकसभा चुनाव के दौरान उनके पटना प्रवास के दौरान अजय कुमार और मिथिलेश ने उनसे बातचीत की. पेश है बातचीत के अंश-
तीन चरणों के चुनाव हो चुके हैं, बिहार में कैसा रिस्पांस दिख रहा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले एक कार्यकाल की योजनाओं को जनता ने हाथों हाथ लिया है. पांच साल में 35 करोड़ लोगों के खाते खोले गये. पांच करोड़ लोगों को उज्ज्वला कनेक्शन दिया गया. 17 करोड़ लोगों को मुद्रा लोन बाटे गये. ढाई करोड़ लोगों को पीएम आवास योजना का लाभ मिला. दुनिया की बेहतरीन पांच इकोनोमी वाले देश में भारत का नाम शुमार हुआ. सुरक्षा की भावना मजबूत की गयी. आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी. इसके आधार पर जनता का प्यार मिल रहा है.
2014 की तुलना में इस बार किस तरह लोगों के पास पहुची है भाजपा
देखिए, 2014 में भाजपा की पांच राज्यों में सरकारें थीं. अभी हम 16 राज्यों में हैं. एनडीए का दायरा भी 2014 की तुलना में बढ़ा है. सदस्यता दोगुनी से अधिक हुई है. एनडीए का भूगोल और उसका दायरा बढ़ा है.
भाजपा व एनडीए के खिलाफ बिहार में और राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस व राजद का गठबंधन आक्रामक है. महागठबंधन की तथाकथित ताकत चुनाव होते ही कमतर होती जा रही है. बंगाल में टीएमसी और कांग्रेस अलग-अलग है. यूपी में सपा-बसपा के साथ कांग्रेस नहीं है. केरल में कांग्रेस के साथ वामदल नहीं है. यह बेमेल है. यहां राजद के साथ कांग्रेस और भाकपा माले खड़ी है. कांग्रेस का बड़ा नेता दूसरे दल से अपने बेटे को चुनाव मैदान में उतारा है.
बिहार में एक लाइन सी खींच जाती है, अगड़े-पिछड़े, धर्म आदि की. भाजपा इसमें अपने को कहां मानती है?
मुझे लगता है इस चुनाव में भाजपा और एनडीए को सभी तबके का समर्थन मिल रहा है. यह 2019 का चुनाव है. इसमें वैसे वोटर बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं, जिनका जन्म 2000 साल में हुआ है. विपक्ष और राजद के आचरण व व्यवहार नौजवानों को पसंद नहीं आ रहा. नौजवान भाजपा और एनडीए की ओर देख रहा है. चुनाव में रोजगार एक मुद्दा है.
देश में 17 करोड़ लोगों को मुद्रा लोन का लाभ मिला है. ये लोग रोजगार पैदा कर रहे हैं. कृषि क्षेत्र में विकास हुआ है. अर्थव्यवस्था विकसित हुई है. पांच सालों में स्वरोजगार के अवसर बढ़े हैं.
क्या बिहार में ब्रांड मोदी असर दिखा पायेगा?
प्रधानमंत्री के नेतृत्व पर लोगों में भरोसा है. पीएम ने पांच साल में कोई छुट्टी नहीं ली. अपने व अपने परिवार के लाभ के लिए कोई काम नहीं किया. भाजपा की सरकार गरीबों के कल्याण के लिए काम कर रही है. सरकार चलाने के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी उन्होंने जोड़ा.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में फैक्टर हैं?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तीन कार्यकाल में बिहार को आगे बढ़ाया है. उनकी छवि और सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता एनडीए को मजबूती प्रदान कर रहा है. आचरण, नीति और सुशासन में हम जदयू के ज्यादा करीब हैं. वंशवाद का वह भी विरोध करते हैं. जदयू हमारा स्वभाविक साथी है.
लालू प्रसाद को आप एक फैक्टर मानते हैं?
लालू प्रसाद का युग समाप्त हो गया है. लालू की पार्टी भी राजनीतिक नहीं रही. वह एक पारिवारिक इंटरप्राइजेज बन कर रह गयी है. जहां सियासत कम, विरासत की लड़ाई अधिक हो रही है. जनता से कोई वास्ता नहीं है.
लालू प्रसाद का एक वोट बैंक रहा है, भाजपा कितना इसे तोड़ पायेगी?
वोट बैंक जैसी कोई राजनीति नहीं है. तीन चरण के चुनाव हो गये. मधेपुरा, अररिया, खगड़िया और सुपौल में एनडीए भारी बहुमत से जीत हासिल करेगा. लालू प्रसाद का वोट बैंक नहीं रहा. सारी सीटों पर एनडीए की हवा है. हम चालीस की चालीस सीटें जीतेंगे.
उपेंद्र कुशवाहा आखिरी क्षणों में एनडीए से बाहर हो गये, कितना नुकसान आप मानते हैं?
उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए के साथ विश्वासघात किया है. पांच साल तक मंत्री रहे. हमने मान-सम्मान दिया. गठबंधन की मर्यादा उन्होंने तोड़ी. वे किस स्वार्थ में महागठबंधन में गये, वही जानते हैं. वे पूरी तरह हार रहे हैं. हर पंद्रह दिनों में उनकी पार्टी में विघटन हो रहा है.
विपक्ष कह रहा, स्पेशल पैकेज और स्पेशल स्टेटस नहीं मिला
बिहार के विकास के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह तत्पर है. मधेपुरा में रेलवे कारखाना, महात्मा गांधी सेतू के लिए पैसे दिये गये हैं. किसानों को उपज के पैसे मिल रहे हैं. केंद्र ने जो भी वायदे किये, उसे पूरा किया. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि केंद्र सरकार ने बिहार को पूरी मदद की है. इन चीजों का जवाब विपक्ष के पास नहीं है. झारखंड में भाजपा को कितनी सीटें आयेंगी.
भाजपा झारखंड में पिछली
बार से अधिक सीटें जीतेगी. झारखंड बनने के बाद पहली बार कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर रही है. शिक्षा, कानून व्यवस्था में सुधार आया है. राज्यसभा के चुनाव में अब खरीद-फरोख्त नहीं होती. महागठबंधन बिखरा हुआ है. चतरा और धनबाद का उदाहरण है उनकी एकता के लिए.
शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति आजाद के आरोपों को आप कैसे लेते हैं?
इन दोनों की नयी भूमिका खुद कांग्रेस ने ही नहीं स्वीकार की है. शत्रु के बारे में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जो उपमाएं दी हैं, वह देखने वाली बात है. पटना साहिब की सीट पर कोई लड़ाई नहीं है. शत्रुघ्न सिन्हा के भाजपा से अलग होने का कोई प्रभाव नहीं होगा. शत्रु के आरोपों को हम गंभीर नहीं मानते.
Prabhat Khabar Digital Desk
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