सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया आदेश
पटना : राज्य सरकार ने सृजन घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए बिहार प्रशासनिक सेवा (बिप्रसे) के पदाधिकारी कृष्ण कुमार को से बर्खास्त कर दिया है. वह 31 जनवरी को ही रिटायर हो रहे थे और इसी दिन उन्हें सेवा से बर्खास्त करने से संबंधित आदेश भी जारी कर दिया गया. इस घोटाले में नाम आने के बाद वह निलंबित चल रहे थे.
उन पर आरोप है कि जब वह सहरसा जिले में कोसी योजना के तहत विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी के पद पर तैनात थे, तब उन्होंने तमाम मानदंडों को दरकिनार करते हुए सरकारी रुपये को सहरसा जिले से भागलपुर में सृजन महिला विकास सहयोग समिति के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था.
इसके अलावा सरकार के बचत खाते का संचालन नहीं किया और बचत खाते से सूद की राशि को नहीं निकाला. इसी राशि को सृजन के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था. जांच में यह बात सामने आने पर जब वह जल संसाधन विभाग में तैनात थे, तब उन्हें निलंबित कर दिया गया.
इसके बाद उन पर आरोपपत्र गठित कर विभागीय कार्रवाई शुरू की गयी. जनवरी, 2018 में उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था. इसका जो जवाब उन्होंने दिया, वह स्वीकार करने योग्य नहीं पया गया.
इसके बाद उन पर लगे आरोपों की जांच विभागीय जांच आयुक्त के स्तर पर शुरू कर दी गयी. इन पर लगे छह आरोपों को हर तरह से सही पाया गया. इसके अलावा सीबीआइ के स्तर से चल रही जांच में भी उन पर लगे सभी आरोप सही पाये गये. इसके बाद जब उनसे फिर से इस मामले में पूछताछ की गयी, तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया.
इसके बाद विभाग ने उन पर यह कार्रवाई की है. इस मामले की समीक्षा बिहार लोक सेवा आयोग के अनुशासनिक प्राधिकार के स्तर से फिर से की गयी. इसमें भी पूरा मामला सही पाया गया है. कृष्ण कुमार की सृजन से सांठगांठ प्रमाणित पाया गया और उन्होंने सृजन के खाते में सरकारी पैसे ट्रांसफर किये थे, यह भी साबित हो गया. इन तमाम जांच के मद्देनजर उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया है.
ये हैं प्रमुख आरोप
सरकारी रुपये को सहरसा जिले से भागलपुर में सृजन महिला विकास सहयोग समिति के एकाउंट में ट्रांसफर किया
सरकार के बचत खाते का संचालन नहीं किया और बचत खाते से सूद की राशि को नहीं निकाला. इसी राशि को सृजन के एकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था
चार एफआइआर में 25 नामजद अभियुक्त
सृजन घोटाले की जांच सीबीआइ को 2017 में सौंपी गयी थी. सभी बिंदुओं पर जांच करने के बाद सीबीआइ ने जून 2018 में चार एफआइआर दर्ज की थी, जिसमें 25 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. इनमें अधिकतर लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
नामजद अभियुक्तों में तीन सरकारी कर्मचारी हैं, जिनमें बांका की तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी जयश्री ठाकुर, भागलपुर के तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार और जिला कल्याण कार्यालय के तत्कालीन नाजिर स्व. महेश मंडल शामिल हैं. मामले की जांच अब भी जारी है. इस क्रम में सहरसा जिले में कोसी योजना के अंतर्गत विशेष भू-अर्जन पदाधिकारी कृष्ण कुमार समेत आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी अधिकारियों और पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं.
इनमें कुछ आइएएस और आइपीएस अधिकारी भी शामिल हैं. इसमें कुछ अधिकारियों से पूछताछ करने के लिए सीबीआइ ने राज्य सरकार से अनुमति भी मांगी है. जांच का दायरा जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इसकी जद में पदाधिकारी आते जा रहे हैं और उन पर कार्रवाई भी हो रही है.
