पटना : आगामी 3 फरवरी को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होने वाली रैली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. इसको लेकर आज चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में कंकड़बाग स्थित टैंपू स्टैंड में एक जनसभा का भी आयोजन किया गया, जिसमें विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा, वर्तमान विधायक बंटी चौधरी, भूतपूर्व विधायक जनार्दन शर्मा व अन्य नेता मौजूद रहे.
इस दौरान जन संबोधित करते हुए कांग्रेस के प्रति आम लोगों में गजब का उत्साह है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा की पकौड़ा क्रांति के मुकाबले आय क्रांति का संकल्प लिया है. इससे देश के आम लोगों में गजब का उत्साह है.
जन आकांक्षा रैली में पटना के लोगों को आमंत्रण देने के मकसद से यहां आयोजित जनसभा में यह साफ झलक रहा है. उन्होंने भाजपा पर वोट के लिए समाज को बांटने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस न्यूनतम आय सुनिश्चित करने के नाम पर समाज को जोड़ रही है. यही वजह है कि सिर्फ पटना से पांच लाख लोग राहुल गांधी की रैली में 3 फरवरी को शामिल होंगे.
वहीं, आज राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में चल रही तैयारियों का जायजा बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा ने जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने एसपीजी सुरक्षा कर्मियों के साथ भी रैली को लेकर चर्चा की और रैली के लिए कांग्रेस की कार्यनीति से अवगत कराया.
बाद में इन नेताओं ने संयुक्त रूप से पत्रकारों से बात की और कहा कि राहुल गांधी की रैली के अभूतपूर्व होगी और इसमें पांच से अधिक राज्यों के लोग शामिल होंगे.
उन्होंने बताया कि कांग्रेस की इस अभूतपूर्व रैली के लिए हमने महागठबंधन के तमाम नेताओं को निमंत्रण दिया है, जिसे सबों ने स्वीकार भी कर लिया है. वहीं, विवि में 13 रोस्टर लागू करने के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं ने कहा कि भाजपा ने कहा था कि 100 दिनों में काम कर देंगे. मौका मिला तो कुछ किया नहीं. अब कह 100 दिन भी नहीं बचे हैं, लेकिन फिर से चुनावी जुमलाबाजी शुरू हो गई है. जबकि, राहुल गांधी और कांग्रेस काम करने में यकीन रखती है. यही वजह है कि तीन राज्य में चुनाव जीतने के बाद जनता से किया वादा तीन दिनों में पूरा कर दिया. इसके अलावा यूपीए सरकार ने कानून बना कर लोगों को हक दिए, चाहे वो राइट टू फूड बिल हो, राइट टू एजुकेशन हो, या काम करने की गाइरंटी वाला मनरेगा हो.