पटना : लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी सूरत में सात सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए नहीं छोड़ेगी. पार्टी ने इशारा किया है कि उसके लिए लोकसभा की औरंगाबाद, किशनगंज, सासाराम, सुपौल, कटिहार, समस्तीपुर और दरभंगा सीटें सांस की तरह हैं.
पार्टी का मानना है कि इन सीटों को छोड़ने का मतलब है कि पार्टी का बिहार में कोई चेहरा ही नहीं रहेगा. ऐसे नेता विरासत से ही इन सीटोंे पर कांग्रेस की राजनीति करते हैं. पार्टी इसके अलावा सामाजिक समीकरण के तहत भी अलग से सीटों के गांठ खोलने में जुटी है. कांग्रेस के लिए बिहार में विपरीत परिस्थितियों में भी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाली सीटों में सासाराम की सीट है. यह सीट मीरा कुमार के नाम पूर्व से ही निर्धारित हैं.
इसी तरह से औरंगाबाद की सीट निखिल कुमार को हर हाल में मिलेगी. सुपौल की सीट से रंजीत रंजन को टिकट मिलना तय है, तो किशनगंज कांग्रेस की परंपरागत सीट है. यह सीट कांग्रेस के सांसद असरारूल हक के निधन से रिक्त हुई है. पार्टी में शामिल होने के बाद कटिहार की सीट तारिक अनवर के लिए आवंटित मानी जा रही है, तो समस्तीपुर की सीट डाॅ अशोक कुमार को दिया जाना तय है.
इसी तरह से कीर्ति आजाद के पार्टी में शामिल होने पर दरभंगा की सीट कांग्रेस अपने खाते में रखेगी, तो चौधरी महबूब अली कैसर के कांग्रेस में वापसी होने पर खगड़िया की सीट कांग्रेस अपने हिस्से में ले लेगी. कांग्रेस का मानना है कि उसके खाते में जो भी सीटें मिले उसमें से ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, पिछड़ा, अनुसूचित जाति, महिला और अल्पसंख्यकों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सके.
इसमें पार्टी अनुसूचित जाति के रूप में मीरा कुमार और डाॅ अशोक कुमार के नाम पर सहमत हो सकती है. अल्पसंख्यक समुदाय में सीटों के वितरण में तारिक अनवर, किशनगंज और चौधरी महबूब अली के कांग्रेस वापसी पर तीन सीटें दी जा सकती हैं.
इसी तरह से दरभंगा की सीट कीर्ति आजाद को देकर ब्राह्मण समुदाय को जोड़ने का प्रयास होगा. महिला उम्मीदवार के रूप में रंजीत रंजन और मीरा कुमार पार्टी का चेहरा हैं. इसके अलावा पार्टी पिछड़ा वर्ग और उच्च जातियों के लिए कुछ सीटों पर अपनी दावेदारी करेगी.
