21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

2019 का लोकसभा चुनाव होगा और महंगा, 2009 में प्रति वोटर खर्च 12 रुपये से बढ़कर अब 22 रुपये तक पहुंचा

शशिभूषण कुंवर पटना : लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने में अब चंद दिन ही रह गये हैं. निर्वाचन आयोग राज्यों का दौरा कर अपनी मशीनरी की तैयारी ठीक करने में जुटा है. लोकतंत्र को बचाने के लिए जो सिस्टम लगाये जायेंगे, उसकी कीमत भी जनता को चुकानी पड़ती है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि […]

शशिभूषण कुंवर
पटना : लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने में अब चंद दिन ही रह गये हैं. निर्वाचन आयोग राज्यों का दौरा कर अपनी मशीनरी की तैयारी ठीक करने में जुटा है.
लोकतंत्र को बचाने के लिए जो सिस्टम लगाये जायेंगे, उसकी कीमत भी जनता को चुकानी पड़ती है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1952 के पहले लोकसभा चुनाव संपन्न कराने पर प्रति वोटर महज 60 पैसे खर्च हुए थे. वहीं, 2009 में प्रति वोटर 12 रुपये खर्च हुए.यह खर्च 2014 के लोकसभा चुनाव तक आते-आते 20-22 रुपये प्रति मतदाता हो गये हैं.
बिहार में हैं करीब छह करोड़ 97 लाख वोटर
बिहार में करीब छह करोड़ 97 लाख मतदाता हैं. भारत निर्वाचन आयोग को अगर 20 रुपये प्रति मतदाता के अनुसार पैसे खर्च करने हों, तो बिहार में चुनाव संपन्न कराने में 13 करोड़ 94 लाख 76 हजार रुपये खर्च हो जायेंगे. भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार लोकसभा चुनाव में पहली बार 1977 के लोकसभा के चुनाव में प्रति मतदाता पर होने वाला खर्च बढ़कर डेढ़ रुपया हो गया. 1971 में यह खर्च महज प्रति मतदाता 40 पैसे था. इसके बाद से चुनावी खर्च में लगातार वृद्धि दर्ज होती रही.
यह खर्च 1984-85 में बढ़कर दो रुपये, 1991-92 में सात रुपये, 1996 में प्रति वोटर 10 रुपये, 1999 में 15 रुपये और 2014 में तो 17 रुपये प्रति वोटर हो गया. 2009 में लोकसभा चुनाव में प्रति वोटर 12 रुपये था. जो 2014 में बढ़कर 20 रुपये से अधिक हो गये. इस खर्च में राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के खर्च शामिल नहीं हैं.
चुनावी खर्च बढ़ना लोकतंत्र के लिए चिंताजनक
1964 से चुनाव संपन्न कराने वाले व बिहार-झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव वीएस दुबे भी मानते हैं कि पहली बार 1970 के बाद लोगों में राजनीतिक भूख में बेतहाशा वृद्धि हुई. लोग पावर और संपत्ति बनाने का जरिया राजनीति को मानने लगे. तब शुरू हुआ वोटों को हर तरह से प्रभावित करने का चलन.
दो-तीन प्रतिशत मत भी प्रभावित कर लोग समझ गये कि इससे जीत निश्चित होगी. पूर्व मुख्य सचिव का मानना है कि चुनावी खर्च बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है रुपये का अवमूल्यन. इसके अलावा चुनाव का अाधुनिकीकरण. चुनाव संपन्न कराने के लिए प्रशासन के कई स्तर बन गये हैं. बूथों पर सुविधाएं बढ़ायी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों का चुनावी खर्च बढ़ना लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel