पटना : राजधानी पटना के राजीव नगर स्थित आसरा होम की संचालिका मनीषा दयाल मंगलवार को बेउर जेल से रिहा हो गयी. जेल से बाहर आते वक्त मनीषा दयाल ने खुद को बेकसूर बताया. मनीषा दयाल से जब पत्रकारों ने पूछा की किसी आधार पर आपको सजा मिली थी. इस पर मनीषा दयाल ने कहा- मैं निर्दोष हूं. मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है. आप कोर्ट के आदेश का इंतजार करें. मनीषा दयाल इतना बातें करते सीधे अपनी गाड़ी में जा बैठी. मनीषा दयाल को लेने के लिए उनके पति और पुत्र बेउर जेल पहुंचे थे. वहीं, जेल से बाहर आने के बाद मनीषा दयाल और उनके घरवालों ने तो राहत की सांस जरूर ली है. मगर अभी यह माला समाप्त नहीं हुआ है. मनीषा दयाल पिछले चार महीने से जेल में बंद थी.
विदित हो कि पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मनीषा दयाल को नियमित जमानत मिल थी. न्यायाधीश एस कुमार की एकल पीठ ने मनीषा दयाल द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. कोर्ट से कागजात मिलने के बाद मनीषा दयाल के रिहाई के लिए घरवाले सोमवार को बेउर जेल पहुंचे थे. मगर अगजात पूरा नहीं सोने के कारण उन्हें नहीं छोड़ा गया था. जिसके बाद आज फिर पूरे कागज के साथ मनीषा के घरवाले पहुंचे थे. मनीषा दयाल एक हाईप्रोफाइल महिला है. वह पटना के राजीव नगर स्थित आसरा होम की पूर्व संचालिका है. शुरुआती जांच में उसके एनजीओ में राज्य सरकार द्वारा दिये गये पैसे में काफी अनियमितता बरतने की बात सामने आयी थी.
मुजफ्फरपुर बालिका यौन उत्पीड़न मामले की जांच के दौरान जब राज्य के अन्य आसरा होम की जांच की जाने लगी तो यह पता चला कि राजधानी पटना के राजीव नगर स्थित आसरा होम में भी कुछ गड़बड़ियां हुई है, जिसे लेकर प्राथमिकी दर्ज की गयी और जांच शुरू की गयी. जांच के दौरान पता चला की इस आसरा होम की दो लड़कियों की संदिग्ध स्थिति में मृत्यु हो गयी है . जांच में यह भी पता चला कि अगस्त 2018 में इस आसरा होम की कुछ महिलाएं भागने की कोशिश की लेकिन बाद में उन्हें पकड़ लिया गया.
तहकीकात में यह भी बात पता चला कि आसरा होम में रखी गयी लड़कियों के साथ अत्याचार हुआ करता था. भागने वाली लड़कियों में से दो लड़कियां मृत भी पायी गयी. जांच के दौरान यह भी पता चला कि मनीषा दयाल का संबंध मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से भी है. मनीषा दयाल की ओर से अदालत को अधिवक्ता अजय ठाकुर द्वारा बताया गया कि मनीषा के एनजीओ से ब्रजेश ठाकुर को कोई लेना देना नहीं है. आरोपी पर जो धाराएं लगायी गयी है वह संगीन नहीं है तथा आवेदिका को नियमित जमानत दी जानी चाहिए. कोर्ट ने सभी पक्षी को सुनने के बाद मनीषा दयाल को रिहा करने का निर्देश दिया.