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पटना :जागरूकता की कमी से देश में हर साल बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर के डेढ़ लाख नये मरीज

पटना :दो तिहाई कैंसर के मरीज कैंसर के अंतिम स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं. अगर पहले या दूसरे स्टेज में पहुंचें, तो उन्हें आसानी से बचाया जा सकता है. यह कहना है दिल्ली एम्स के डॉ अभिषेक शंकर का. मंगलवार को आईजीआईएमएस में ब्रेस्ट कैंसर अपडेट 2018 का आयोजन किया गया. ब्रेस्ट कैंसर पर जागरूकता […]

पटना :दो तिहाई कैंसर के मरीज कैंसर के अंतिम स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं. अगर पहले या दूसरे स्टेज में पहुंचें, तो उन्हें आसानी से बचाया जा सकता है. यह कहना है दिल्ली एम्स के डॉ अभिषेक शंकर का. मंगलवार को आईजीआईएमएस में ब्रेस्ट कैंसर अपडेट 2018 का आयोजन किया गया. ब्रेस्ट कैंसर पर जागरूकता कार्यक्रम में पूरे भारत के कैंसर रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया. डॉ शंकर ने कहा कि दिल्ली एम्स में बिहार के कैंसर के मरीज काफी संख्या में पहुंचते हैं.
आईजीआईएमएस में तीन साल में 2254 मरीज
आईजीआईएमएस कैंसर रोग विभाग की डॉ ऋचा माधवी ने कहा कि पॉपुलेशन बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री (पीबीसीआर) के अनुसार भारत में एक साल में करीब 1,44,000 यानी करीब डेढ़ लाख नये स्तन कैंसर के रोगी सामने आ रहे हैं. इतना ही नहीं आईजीआईएमएस में तीन साल में 2254 ऐसी महिलाएं इलाज कराने आयीं, जिनमें ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण था. उन्होंने कहा कि गलत जीवनशैली और जागरूकता की कमी के कारण भारत में रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
वहीं आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने कहा कि बदलती जीवनशैली, मोटापा, देर रात तक जागना, स्तनपान नहीं कराना आदि से ब्रेस्ट कैंसर पनपने का खतरा होता है. अपनी दिनचर्या को बदलने की जरूरत है.
खुद से स्तन परीक्षण है जरूरी
महावीर कैंसर की डॉ मनीषा सिंह ने कहा कि स्तन कैंसर की पहचान महिलाएं स्वयं स्तन परीक्षण (सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिन) के साथ भी कर सकती हैं.
स्तन में गांठ का उभरना, स्तन के हिस्से में सूजन आना, स्तन के चारों ओर की त्वचा में परिवर्तन होना, स्तन या निप्पल में दर्द होना या स्तन से किसी तरल पदार्थ का निकलना, यह सभी स्तन कैंसर रोग के लक्षण हैं.
महिलाओं में कैंसर के प्रति जागरूकता आ जाये, तो वे स्तन कैंसर से बच सकती हैं. इस मौके पर डॉ एसके साही, डॉ राजीव रंजन प्रसाद, डॉ अविनाश कुमार पांडे सहित काफी संख्या में कैंसर रोग विशेषज्ञ मौजूद थे.
उन्होंने कहा कि हाथ की उंगलियों का पैड बनाकर स्तन की गांठ, त्वचा का लचीलापन या आकार में परिवर्तन होने की पहचान की जा सकती है. यदि महिला, स्तन में परिवर्तनों में से कोई भी परिवर्तन देखती है, तो उसे कैंसर विशेषज्ञ से परामर्श करने में देरी नहीं करनी चाहिए. स्तन कैंसर की पहचान के लिए मैमोग्राफी सबसे महत्वपूर्ण जांच है.

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