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शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरायी अपील, पूछा- चंदा बाबू के तीसरे बेटे को क्यों मारा?

नयी दिल्ली / पटना : बिहार के बाहुबली नेता व पूर्व राजद सांसद को सुप्रीम को से बड़ा झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने सीवान में चंदा बाबू के बेटों की हत्या मामले में बाहुबली नेता मो शहाबुद्दीन को हाईकोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस […]

नयी दिल्ली / पटना : बिहार के बाहुबली नेता व पूर्व राजद सांसद को सुप्रीम को से बड़ा झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने सीवान में चंदा बाबू के बेटों की हत्या मामले में बाहुबली नेता मो शहाबुद्दीन को हाईकोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है. सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस की बेंच ने पूछा की दोहरे हत्याकांड के गवाह तीसरे भाई राजीव रोशन की गवाही देने जाने के दौरान क्यों की गयी?

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जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने सीवान में चंदा बाबू के दो बेटों की हत्या मामले में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. चीफ जस्टिस की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए दोहरे हत्याकांड मामले में दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद मो शहाबुद्दीन के अधिवक्ताओं से पूछा कि दोहरे हत्याकांड के गवाह तीसरे भाई राजीव रोशन की गवाही देने के लिए अदालत में जाते समय हत्या क्यों कर दी गयी? आखिर इस हमले के पीछे कौन था? साथ ही हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए अपील खारिज कर दी.

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क्या है मामला?

बाहुबली नेता व राजद के पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन और उसके गुर्गों ने बिहार के सीवान जिले के प्रतापपुर गांव में साल 2004 के अगस्त में चंदा बाबू के दो बेटों सतीश और गिरीश पर तेजाब से हमला कर हत्या कर दी थी. बताया जाता है कि दोनों का कसूर सिर्फ इतना ही था कि दोनों भाइयों ने शहाबुद्दीन के गुंडों को रंगदारी देने से इनकार कर दिया था. सीवान जिले के व्यवसायी चंदकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी ने बेटों की हत्या मामले में मुफस्सिल थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसके पांच साल बाद 2009 में सीवान के तत्कालीन एसपी अमित कुमार जैन के निर्देश पर हत्याकांड की जांच कर रहे अधिकारी ने मो शहाबुद्दीन, असलम, आरिफ और राज कुमार साह को अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया था. मामले की सुनवाई करते हुए दिसंबर 2015 को निचली अदालत ने शहाबुद्दीन व अन्य को उम्रकैद की सजा दी थी. इसके बाद पटना हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की गयी. पटना हाईकोर्ट ने भी मामले की सुनवाई करते हुए 2017 में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. मो शहाबुद्दीन की धमकियों के बावजूद चंदा बाबू अपने बेटों के हत्यारों के खिलाफ न्याय की लड़ाई लड़ने की ठानी. जारी रखी, लेकिन उन्हें भारी कीमत भी चुकानी पड़ी. जून 2014 को मामले के चश्मदीद गवाह व चंदा बाबू के तीसरे बेटे राजीव रोशन की भी गोली मारकर हत्या कर दी गयी. राजीव रौशन की हत्या उससमय की गयी, जब वह मामले में गवाही देने के लिए अदालत जा रहे थे.

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