पटना : इप्टा प्लैटिनम जुबली समारोह के दौरान गांधी मैदान में भिखारी ठाकुर रंगभूमि में विभिन्न नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत आगरा इप्टा के जनगीतों से हुई. वहीं, नुक्कड़ नाटकों की शुरुआत पश्चिम बंगाल इप्टा के नाटक ‘असली शस्त्र’ से हुआ. इस नाटक के लेखक हीरेन भट्टाचार्य और निर्देशक भोला नाथ मुखर्जी थे. सामाजिक विसंगतियों पर यह नाटक बेहतरीन कटाक्ष था. दूसरा नाटक भागलपुर इप्टा का ‘सफदर के बोल’ प्रभावशाली प्रस्तुति थी. नाटक का आलेख साहिल सिंह एवं निर्देशन रितेश रंजन का है.
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असम इप्टा ने ‘मूवमेंट ऑफ ड्रम’ पेश किया. विभिन्न प्रकार के ड्रमों ने दर्शकों का दिल जीत लिया. उनके साथ केरल इप्टा के कलाकारों ने ड्रम बजाना शुरू किया तो, महसूस हुआ कि चित्त प्रसाद की पेंटिंग ‘कॉल ऑफ ड्रम’ जीवंत हो उठी हो. कर्नाटक इप्टा द्वारा साथी सुंदरेश लिखित व निर्देशित माइम ‘जय श्रीराम’ वर्तमान सांप्रदायिक राजनीति पर सशक्त कटाक्ष था. छपरा इप्टा ने नाटक ‘कुंभकरण’ की प्रस्तुति दी. इसका आलेख व निर्देशन अमित रंजन का था. वहीं अंत मे तमिलनाडू इप्टा ने कौवी सेल्वराज लिखित और निर्देशित नाटक ‘दीसर’ की प्रशावशाली प्रस्तुति दी.