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पटना : गंगा के पाटीपुल अप स्ट्रीम में डॉल्फिन्स की बढ़ गयी हलचल, पर्यावरण की बेहतरी का है ‘इंडीकेटर’

पटना : गंगा के पाटीपुल घाट खासतौर पर जेपी सेतु के अप-स्ट्रीम में इन दिनों डॉल्फिन्स (स्थानीय भाषा में इसे सूंस कहा जाता है) की हलचल बढ़ी है. यहां हर 4-5 मिनट पर डॉल्फिन को जल सतह पर अठखेलियां करते हुए देखा जा सकता है. ‘प्रभात खबर’ ने करीब दो घंटे तक समूचे इलाके का […]

पटना : गंगा के पाटीपुल घाट खासतौर पर जेपी सेतु के अप-स्ट्रीम में इन दिनों डॉल्फिन्स (स्थानीय भाषा में इसे सूंस कहा जाता है) की हलचल बढ़ी है. यहां हर 4-5 मिनट पर डॉल्फिन को जल सतह पर अठखेलियां करते हुए देखा जा सकता है.
‘प्रभात खबर’ ने करीब दो घंटे तक समूचे इलाके का सर्वे कर पाया कि बाढ़ की वजह से पानी अब कुछ साफ दिख रहा है. इसके चलते यहां डॉल्फिन्स की संख्या भी उत्साह बढ़ाने वाली दिख रही है. घाट के नाविकों ने बताया कि कुछ सालों बाद यहां सूंस की अच्छी मौजूदगी देखी जा रही है. नाविकों के मुताबिक इस इलाके में 25-30 सूंस अब तक देखी गयी हैं.
रेत लेकर चलने वाली जेनेरेटर युक्त नावों से इन्हें खतरा
शक्तिशाली जेनेरेटर से चल रही नावों ने इन्हें और उनके रहवासों को काफी नुकसान पहुंचाया है. स्थानीय लोगों ने बताया कि सबसे ज्यादा नुकसान रेत लेकर चलने वाली नावों से हुआ है. कई सूंस को घायल अवस्था में देखा गया है.
जानकारों ने बताया कि रेत लेकर चलने वाली नावें पानी की ऊपरी सतह से कुछ ही ऊपर बेहद तेज गति से चलती हैं. इसके चलते डॉल्फिन टकराकर चोटिल हो जाती हैं. कई दूसरे घाटों से सूंस एकदम पलायन कर चुकी है. जानकारी के मुताबिक एनआईटी घाट पर वर्ष 2016 और 2017 में मुंह कटी डॉल्फिन मृत मिली थी.
इससे पहले के सालों में दीदारगंज घाट पर डॉल्फिन मरी मिली थीं. हालांकि, एक-दो बार इन्हें ऑयल के फेर में भी मारा गया है. दरअसल जहां भी शहरी गंदगी प्रवेश कर रही है, उस इलाके से सूंस गायब हो चुकी हैं.
पर्यावरण की बेहतरी का ‘इंडीकेटर’
बता दें कि सूंस जलीय पर्यावरण की बेहतरी का इंडीकेटर कही जाती हैं. जाहिर है कि पटना के अप स्ट्रीम में डाउन स्ट्रीम की तुलना में गंगा के पानी की शुद्धता ज्यादा है. प्रभात खबर ने यह सर्वेक्षण पिछले शुक्रवार को किया. डॉल्फिन की अधिकतर हलचलें पाटीपुल घाट से केवल 300-400 मीटर की दूरी के अंदर ही हैं. इन्हें आसानी से देखा जा सकता है. हालांकि, इन्हें तभी देखा जा सकता है जब घाट पर हलचल कुछ कम हो.
विशेष फैक्ट
डॉल्फिन को संरक्षित करने व इस पर अनुसंधान के लिए पटना में एशिया का पहला नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर खोलने का प्रस्ताव है. हालांकि, इस दिशा में अभी केवल कागज पर कवायद चल रही है.
भारत में करीब 2500 डॉल्फिन हैं. इनमें आधी से अधिक बिहार में बह रही गंगा नदी में हैं.
दुनिया में डॉल्फिन की चार प्रजातियां मसलन गंगा, सिंधु, यांगची व अमेजन हैं. इनमें चीन की यांगची प्रजाति वर्ष 2006 में विलुप्त हो चुकी हैं.
ये स्तनधारी जीव पांच से आठ फुट गहरे पानी में आसानी से रह लेती हैं.

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