पटना : सुप्रीम कोर्ट में समान काम, समान वेतन मामले में नियोजित शिक्षकों के पक्ष में बुधवार को कई नामचीन वकीलों ने बहस की. इसमें पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री सह जाने-माने वकील पी. चितंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी, वैद्यनाथन समेत अन्य शुमार हैं. सभी वकीलों ने नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने को लेकर वकालत करते हुए अपने-अपने तरीके से पक्ष रखे.
पी. चिदंबरम ने कहा कि सभी शिक्षकों की बहाली अनुच्छेद- 21 (ए) यानी शिक्षा का अधिकार कानून के तहत की गयी है. ऐसे में इन्हें समान काम के लिए समान वेतन नहीं देने का कहीं से कोई कारण नहीं दिखता है. उन्होंने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत तमाम जरूरी प्रावधानों को पेश करते हुए कहा कि ये शिक्षक ही इस कानून के अंतर्गत शिक्षा की अलख जगाने का काम करते हैं. ऐसे में इन्हें तमाम तरह की सुविधाएं मिलनी चाहिए, जो अन्य शिक्षकों को दिया जाता है.
इसके अलावा अभिषेक मनु सिंघवी, रणजीत कुमार समेत अन्य ने कहा कि सरकार ने अभी तक यह नहीं कहा है कि ये शिक्षक अन्य शिक्षकों के समान काम नहीं करते हैं. यानी इनके समान काम पर किसी तरह का कोई प्रश्न नहीं उठता है, तो इनके वेतन पर किसी तरह का प्रश्न उठाना गलत है.
शिक्षकों की तरफ से दलील पेश करते हुए वकीलों ने कहा कि टीईटी और एसटीईटी पास करने वाले शिक्षकों हर तरह से तवज्जों मिलना चाहिए. इसके अलावा माध्यमिक स्कूल के शिक्षकों के लिए अलग से खास व्यवस्था करने के लिए भी दलील पेश की गयी. इसमें यह भी कहा गया कि माध्यमिक शिक्षकों के लिए अलग व्यवस्था की जाये या इन्हें विशेष महत्व दी जाये. शिक्षकों की तरफ से चल रही यह बहस गुरुवार को समाप्त होने की संभावना है. इसके बाद कुछ अन्य मामलों पर चर्चा होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय अपना अंतिम फैसला सुना सकता है.