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राजीव नगर आसरा होम :एक सप्ताह से मौत की घड़ी गिन रही थीं दोनों संवासिनें
पटना : 10 अगस्त की रात को भले ही आसरा होम की दो संवासिनों की मौत हो गयी हों, लेकिन उनकी धड़कनें एक सप्ताह पहले से ही थमने लगी थीं. जी हां, दोनों को जबरदस्त डायरिया और बुखार था. दोनों शारीरिक रूप से बेहद कमजोर हो गयी थीं. वजन गिर रहा था. खून की कमी […]
पटना : 10 अगस्त की रात को भले ही आसरा होम की दो संवासिनों की मौत हो गयी हों, लेकिन उनकी धड़कनें एक सप्ताह पहले से ही थमने लगी थीं. जी हां, दोनों को जबरदस्त डायरिया और बुखार था. दोनों शारीरिक रूप से बेहद कमजोर हो गयी थीं. वजन गिर रहा था. खून की कमी हो गयी थी.
बावजूद शेल्टर होम प्रबंधन ने उन्हें किसी बड़े अस्पताल में भर्ती नहीं कराया. राजीव नगर के आसरा होम की बात करें तो दोनों संवासिनियों को बुखार व डायरिया तो था, लेकिन और क्या-क्या समस्याएं थी, इसकी जांच नहीं की गयी. यहां तक की नौ और दस अगस्त को कोई चिकित्सक भी अासरा होम में देखने नहीं आया था. ये सभी निष्कर्ष कलेक्टर की विशेष रिपोर्ट में सामने आये हैं.कितना सच है आसरा होम के प्रबंधकों का दावाराजीव नगर आसरा होम की ओर सेमृत दोनों संवासिनियों के इलाज कादावा किया जा रहा है. उस पर भीडीएम की जांच रिपोर्ट आने के बाद सवाल खड़े होने शुरू हो गये हैं.रिपोर्ट में कहा गया है कि इलाज में किसी तरह का कोई मेडिकल जांच मसलन खून, पेशाब से लेकर अन्यकोई परीक्षण नहीं कराया गया था. इसके अलावा डॉक्टर की रिपोर्ट में संवासिनियों के वजन, नेत्र से लेकर अन्य कोई जानकारी नहीं दी है. ऐसे में आसरा होम की ओर से दोनों संवासिनियों की आसरा होम की ओर से किया जा रहा था चिकित्सीय दावा कितना सच है. इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
जांच रिपोर्ट का मजमून, अक्षरश: जानिए लापरवाही
प्रथम दृष्टया आसरा होम कार्यालय में उपलब्ध कराये गये मेडिकल रिकॉर्ड के निरीक्षण में पाया गया कि लगभग एक सप्ताह से दोनों मृतक बुखार व डायरिया बीमारी से ग्रसित थे. जिसका इलाज संस्था के चिकित्सक के द्वारा किया जा रहा था. संस्था के पास संधारित चिकित्सकीय कागजात का अवलोकन करने पर उसमें इनकी शारीरिक स्थिति यानी वजन, नेत्र स्थिति आदि के बारे में कोई तथ्य अंकित नहीं पाया गया. साथ ही परीक्षण स्थिति यथा रक्तचाप, खुन जांच रिपोर्ट, पेशाब जांच रिपोर्ट इत्यादि का कोई भी जिक्र नहीं पाया गया.
आठ अगस्त से लेकर नौ व दस अगस्त को उनकी चिकित्सीय स्थिति क्या रही, यह भी अंकित नहीं है. बार-बार पूछे जाने पर अन्य कोई चिकित्सीय कागजात उपलब्ध नहीं कराया जा सका. एेसा प्रतीत होता है कि दोनों को नौ अगस्त व दस अगस्त को कोई चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी. वहां पर कार्य कर रही कर्मियों द्वारा यह जानकारी दी गयी कि सप्ताह में एक दिन चिकित्सक अंशुमान के द्वारा जांच किया जाता है तथा शेष दिनों में एएनएम के द्वारा चिकित्सीय देखभाल किया जाता है. परंतु यह नहीं बताया जा सका कि किसी संवासिन की तबीयत खराब हो गयी थी तो उक्त चिकित्सक को चिकित्सीय देखभाल के लिए क्यों नहीं बुलाया गया. तथा रेफर कर अच्छे संस्थान में क्यों नहीं भेजा गया?
पटना. एसआईटी की जांच में पता चला है कि आसरा होम के संचालन के लिए मनीषा दयाल के एनजीओ को 28 लाख की पहली किस्त मिली थी. अब पुलिस इसके खर्चे का ब्योरा देख रही है. एनजीओ के बैंक एकांउट का लेखा-जोखा देखा जा रहा है. इसके लिए एसआईटी ने इलाहाबाद, एक्सिस बैंक और कोटक महिंद्रा बैंकी शाखाओं में विजिट किया है. इसके अलावा मनीषा दयाल और चिरंतन के पर्सनल बैंक एकाउंट को खंगाला जा रहा है. हाल के दिनों में बैंक एकाउंट में जमा और निकासी की गयी राशि को देखा जा रहा है.
पुलिस को यह भी पता चला है कि मनीषा दयाल भाड़े के फ्लैट में जरूर रहती है, लेकिन उसने हाल में फ्लैट और कुछ जमीन की रजिस्ट्री करवायी है. इस बात की पड़ताल की जा रही है. एसआईटी ने समाज कल्याण विभाग को पत्र लिखा है. विभाग से पूछा गया है कि किस आधार पर मनीषा दयाल के एनजीओ को आसरा होम के संचालन की जिम्मेदारी दी गयी थी. मनीषा दयाल का एनजीओ क्या सभी मानकों को पूरा करता है? क्या यह जिम्मेदारी किसी के पत्र, फोन या अन्य माध्यम से की गयी सिफारिश के आधार पर दिया गया है. एेसे तमाम सवालों का जवाब मांगा गया है. इसके अलावा एसअाईटी अन्य फॉल्ट की तलाश कर रही है.
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